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Sunday, August 22, 2021

सुकमा जिले का ऐसा गांव जहां रक्षाबंधन के दिन बहनों की आंखों से बहते हैं आंसू

 सुकमा जिले का ऐसा गांव जहां रक्षाबंधन के दिन बहनों की आंखों से बहते हैं आंसू



एर्राबोर गांव के समीप 12 शहीद जवानों की प्रतिभा स्थापित। 


सभी अलग-अलग घटनाओं में हुए शहीद। आज भी बहने पहुंचती है और रक्षासूत्र बांधती है।


भाईयों की याद में बहनों की छलक पड़ती हैं आंखें

 

सुकमा  - भाई-बहन का रिश्ता अमर होता है। राखी केवल धागा मात्र नहीं है ये भाई-बहन के प्यार के बंधन का अटूट डोर होता है। जो हमेशा बहन अपने भाई की कलाई में बांधती है और रक्षा का वचन लेती है। और इस रिश्ते की महक कभी कम नहीं होती। आज भी बहने देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले अपने शहीद भाई की प्रतिमा के हाथों में राखी बांधकर इस पवित्र रिश्ते को निभा रही है। उससे खुद और देश की रक्षा का अनमोल बचन ले रही हैं 14 साल बाद भी बहनों की यादों में भाई जिंदा है। और उनकी यादों को याद कर बहनों के आंखे भर जाती है उन्हे लगता है कि काश हमारे भाई राखी के दिन हमारे बीच रहते लेकिन देश सेवा में वो शहीद हो गए है उन पर हमे गर्व महसूस हो रहा है।



जवानों के स्मारक देखकर हर गुजरने वालों की आंखे भीग जाती है


विश्व स्तर पर नक्सल प्रभावित जिले के रूप में अपनी पहचान बना चुका सुकमा पिछले कई वर्षों से नक्सलवाद  से झूझ रहा है  जहां कई घटनाओं में सैकड़ों जवान शहीद हुए है। जिले के कई जगहों पर शहीदों की प्रतिमा देखी जा सकती है। ऐसा ही एक गांव है एर्राबोर जो एनएच 30 पर स्थित है। इस सड़क मार्ग से गुजरने पर आंखे नक्सलियों के द्वारा बर्बरता पूर्ण हत्या किए गए जवानों के स्मारक को देखकर अपने आप आंखे भीग जाती हैं, गांव के समीप साप्ताहिक बाजार स्थल के पास 12 जवानों के शहीद स्मारक बनाए गए है। ये सभी जवान गांव के आसपास के रहने वाले है और अलग-अलग घटनाओं में नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए है। 10 जुलाई 2007 में एर्राबोर थानाक्षेत्र के उत्पलमेटा घटना जिसमें 23 जवान शहीद हो गए थे उसमें से 6 जवान एर्राबोर गांव के ही थे। घटना में बाद इन जवानों की प्रतिमा स्थापित की गई। उसके बाद से उन जवानों की बहने यहां हर साल रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने आती है। उसके बाद भी कई घटनाओं में गांव के जवान शहीद हुए अब 12 जवानों की प्रतिमा स्थापित है। जहां हर साल रक्षाबंधन के दिन बहनों का तांता लगा रहता है। उसके अलावा स्वतंत्रा दिवस व गणतंत्र दिवस के मौके पर शहीद परिवारों के साथ पुलिस कार्यक्रम का आयोजन करती है।



14 सालों से हर राखी पर आती  हूं - सोयम संकरी


मेरा भाई वेंकटेश सोयम वर्ष 2007 की घटना में नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया था। उसके दूसरे साल से लेकर आज तक हर साल में शहीद स्मारक आती हूं और भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधती हूं। मुझे मेरे भाई पर गर्व महसूस होता है कि वो देश की सेवा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।


यहां आकर भाई को करती हूं महसूस, मेरे और दो भाई कर रहे देश की सेवा - कमला सोयम


मई 2010 में चिंगावरम के पास नक्सलियों ने एक बस को बम से उड़ा दिया था जिसमें मेरे बड़े भाई चंद्रा सोयम भी थे जो इस घटना में शहीद हो गए। उस वक्त में छोटी थी और यहां पर मेरे भाई का स्मारक बनाया गया उसके बाद से हर साल हम परिवार के साथ राखी बांधने आते है। और हर राखी को मुझे बुरा लगता है क्योंकि सभी बहनों के पास उनके भाई होते है लेकिन मेरा भाई देश की सेवा में शहीद हो गया है। मेरे और दो भाई फोर्स में है हमें हमेशा डर लगा रहता है



सुकमा से संवाददाता- संजय सिंह भदौरिया की रिपोर्ट

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