नवरात्रि 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो रही है. अधिकमास पड़ने की वजह से इस बार नवरात्रि में विलंब हो गया है. यह शारदीय नवरात्रि है. नवरात्रि में मां नव दुर्गा के शक्तिपीठों का अपना अलग ही महत्व है. हर नवरात्रि भक्त मां के शक्तिपीठ जाकर पूजा अर्चना करते थे और मन्नत मांगते थे. इस बार लेकिन कोरोना के चलते भक्तों को पूजा में भी गाइडलाइंस का पालन करना होगा. आज हम आपको पाकिस्तान में स्थित देवी मां के एक ऐसे शक्तिपीठ के बारे में बताने जा रहे हैं जोकि 2000 साल प्राचीन है. बलूचिस्तान में स्थित हिंगलाज माता मंदिर जिसे कि हिंगलाज भवानी मंदिर भी कहा जाता है काफी प्रसिद्ध है.
मंदिर में दिखती है हिंदू-मुस्लिम एकता:
पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू जहां मंदिर में शीश झुकाते है वहीं मुस्लिम श्रद्धालु भी मंदिर में सजदा करते हुए दिखाई देते हैं. पाकिस्तान के निवासियों के लिए यह नानी का मंदिर है.
जहां गिरा सती का सिर वहीं है शक्तिपीठ:
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिंगलाज मंदिर वहां स्थित है जहां भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती का सिर गिरा था. इसीलिए मंदिर में माता अपने पूरे रूप में नहीं दिखतीं, बल्कि उनका सिर्फ सिर ही दिखाई देता है. मंदिर के आपस 10 फीट लंबी अंगारों की एक सड़क है. ऐसा माना जाता है कि जो भक्त शोलों भरे इस रास्ते पर चलता हुआ आता है हिंगलाज माता उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.
सी एन आई न्यूज़ के लिए संजय ठारवानी की रिपोर्ट
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.