रायपुर
: धान
का
कटोरा
कहे
जाने
वाले
राज्य
में
धान
पर
ही
संकट
खड़ा
हो
गया
है।
पहले
खंड
वर्षा
के
कारण
किसान
चिंतित
थे।
बाद
में
अच्छी
बारिश
ने
राहत
दे
दी
तो
अब
जीव-जंतुओं के कारण खेतों में खड़़ी फसल के नुकसान का खतरा मंडराने लगा है। खासकर जंगल से सटे खेतों में हाथियों के दल और जंगली सुअरों के झुंड धान की फसल को रौंद रहे हैं। वहीं, राज्य के उत्तरी हिस्से में भूरा-माहो कीटों ने धान पर आक्रमण कर दिया है तो कुछ इलाकों में झुलसा रोग ने शिकार बनाया है।
पूरे
राज्य
में
इस
समय
धान
की
फसल
पर
खतरे
के
बादल
मंडरा
रहे
हैं।
ऐसे
में
सरकार
को
किसानों
की
पूंजी
बचाने
के
लिए
ठोस
कदम
उठाने
की
जरूरत
है।
राज्य
के
किसानों
की
आजीविका
का
मुख्य
आधार
धान
है।
अधिकतर
किसान
धान
की
खेती
करते
हैं।
राज्य
सरकार
भी
किसानों
को
समृद्ध
बनाने
के
लिए
राजीव
गांधी
न्याय
योजना
के
माध्यम
से
धान
के
लिए
केंद्र
से
निर्धारित
समर्थन
मूल्य
से
अधिक
राशि
दे
रही
है।
इससे
राज्य
के
किसानों
की
आर्थिक
स्थिति
में
सुधार
आया
है,
मगर
इस
समय
राज्य
के
किसान
नए
संकट
से
जूझ
रहे
हैं।
समय
से
पहले
आए
मानसून
के
बाद
अच्छी
बारिश
का
पूर्वानुमान
लगाया
गया
था।
इससे
उत्साहित
होकर
किसानों
ने
खेतों
का
रुख
किया
और
धान
बुआई
कर
दी,
लेकिन
मानसून
ने
बीच
में
धोखा
दे
दिया।
खंड
बारिश
से
किसानों
के
माथे
पर
चिंता
की
लकीरें
दिखने
लगी
थीं।
हालांकि
बाद
में
अच्छी
बारिश
हुई
तो
किसानों
में
खुशी
की
लहर
आ
गई,
मगर
जब
धान
की
बालियां
निकलने
लगीं
तो
नया
संकट
खड़ा
हो
गया।
जंगल
के
आसपास
के
खेतों
से
धान
की
फसल
की
सुगंध
हाथियों
और
जंगली
सुअरों
को
आकर्षित
करने
लगी।
हाथियों
का
दल
और
सुअरों
के
झुंड
खेतों
तक
पहुंच
गए।
किसान
सुअरों
को
भगाने
के
लिए
खेतों
के
बाड़़ों
में
कपड़़ों
का
घेरा
यानी
बिजूका
बनाकर
इंसानों
के
खड़़े
होने
का
भ्रमपैदा
करने
का
देसी
तरीका
अपना
रहे
हैं।
साथ
ही
पटाखे
फोड़कर
भी
भगा
रहे
हैं,
मगर
हाथियों
के
मामले
में
असहाय
हैं।
वन
विभाग
भी
उनकी
मदद
नहीं
कर
पा
रहा
है।
हाथियों
का
दल
धान
के
खेतों
में
विचरण
कर
रहा
है
और
किसान
बेबस
होकर
देखने
को
मजबूर
हैं।
वहीं,
प्रदेश
के
उत्तर
में
कीट-पतंगों ने धान कीफसल पर हमला बोल रखा है। यहां भूरा-माहो कीट धान की बालियां चट कर रहे हैं। इनके आतंक से परेशान किसान कीटनाशक का छिड़़काव कर फसल बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। दूसरी तरफ झुलसा रोग भी फसल झुलसा रहा है। इस सीजन में धान की फसल को भारी नुकसान की आशंका है। आशा की जानी चाहिए कि सरकार किसानों के दर्द को समझेगी और उनके नुकसान का आकलन कर भरपाई करेगी।
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