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Tuesday, January 24, 2023

श्रीमद्भगवत कथा के सातवें दिन श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं एवं विवाह का वर्णन, जरासंध उद्धार, सुदामा चरित्र आदि कथाओं का वर्णन किया

 श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं एवं विवाह का वर्णन, जरासंध उद्धार, सुदामा चरित्र आदि कथाओं का वर्णन किया



बसना।सर्व समाज बसना विधानसभा क्षेत्रवासी एवं कार्यक्रम संयोजक व नीलांचल सेवा समिति संस्थापक डॉ.सम्पत अग्रवाल द्वारा बसना नगर दशहरा मैदान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन कथावाचक पंडित हिमांशु कृष्ण भारद्वाज महाराज ने श्री कृष्ण की बाल लीलाओं व विवाह का वर्णन, सुदामा चरित्र,जरासंध उद्धार, आदि प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया। सुदामा जी जितेंद्रिय एवं भगवान कृष्णजी के परम मित्र थे। भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते । गरीबी के बावजूद भी हमेशा भगवान के ध्यान में मग्न रहते। पत्नी सुशीला सुदामा जी से बार बार आग्रह करती कि आपके मित्र तो द्वारकाधीश हैं उनसे जाकर मिलो शायद वह हमारी मदद कर दें। सुदामा जी पत्नी के कहने पर द्वारका पहुंचते हैं और जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है। कृष्ण यह सुनकर नंगे पैर दौङकर आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते । उनकी दीन दशा देखकर कृष्ण के आंखों से अश्रुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है। सिंहासन पर बैठाकर कृष्ण जी सुदामा के चरण धोते हैं। सभी पटरानियां सुदामा जी से आशीर्वाद लेती हैं। सुदामा जी विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं लेकिन सुदामा जी अपनी फूंस की बनी कुटिया में रहकर भगवान का सुमिरन करते हैं।


श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन श्रीकृष्ण बाल लीलाओं एवं विवाह का किया वर्णन


श्रीमद्भागवत कथा में कथावाचक पंडित हिमांशु कृष्ण भारद्वाज महाराज ने श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं एवं विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह दिखाया भी था की श्री राधा और वह दो नहीं बल्कि एक हैं, लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया। देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुकमणी हुईं। देवी रुकमणी और श्रीकृष्ण के बीच प्रेम कैसे हुआ इसकी बड़ी अनोखी कहानी है। कथा में आगे बताया कि श्रीकृष्ण और देवी रूकमणी की इसी कहानी से प्रेम की नई परंपरा की शुरुआत हुई। देवी रूकमणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुकमणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्याय प्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं। रुकमणी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। जब विवाह की उम्र हुई तो इनके लिए कई रिश्ते आए लेकिन उन्होंने सभी को मना कर दिया। उनके विवाह को लेकर माता-पिता और भाई चिंतित थे। बाद में रुकमणी का श्री कृष्ण से विवाह हुआ।

        कथा के दौरान कथा वाचक पंडित हिमांशु कृष्ण भारद्वाज महाराज ने कहा कि सभी लोग अपने अपने जा कर एक दीया अपने घर जा कर शाहिद गगन दीप की याद में जरूर जलाए जो सच्ची श्रद्धांजलि होगी। देश का सैनिक देश के लिए सर्वोपरि है हमारा सैनिक भगवान के रूप में है क्योंकि सैनिक अपने आप में श्रीकृष्ण का रूप है जिस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने अधर्म के नाश के लिए महाभारत में खड़े हुए ठीक उसी प्रकार हमारे देश के सैनिक भी हमारे देश की रक्षा के लिए देश की सीमा पर खड़े रहते हैं जिन माताओं के पुत्र देश के लिए वीरगति को प्राप्त हुए माताओं को कहना चाहूंगा कि पुत्रों के लिए कभी आंसू मत बहाना क्योंकि वह देश रक्षा तथा धर्म रक्षा के लिए इस जीवात्मा संसार में आया था कभी आंखों में आंसू नहीं लाती। देश के लिए हमेशा जान न्योछावर करने के लिए लिए तैयार रहना चाहिए जो देश के लिए जीते हैं उन्हें सद्गति प्राप्त होती है।चाहे हम कितनी भी भीड़ में हो संसार में अकेले को ही आना एवं जाना होता है आना जाना लगा रहता है हम सब भगवान के पुष्प हैं। जहां पर आध्यात्मिक शक्ति का वास होता है वहां सभी मनुष्य एक भाव से रहते हैं जहां प्रभु होते हैं वहां सभी के अंदर मानवता का विचार प्रवाहित होता है। हम सभी मनुष्यों को गौ सेवा करनी चाहिए जिनके साथ स्वयं भगवान रहते हैं वह दुनिया वालों के साथ रहकर भी संसार से अलग रहते हैं जैसे की हमारे साधु संत। श्रीमद् भागवत कथा का प्रथम उद्देश्य है कि जो लोग करो ना काल में अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए हैं उन के मोक्ष प्राप्ति के लिए या भव्य आयोजन किया गया। जिसमें सभी की मोक्ष प्राप्ति के लिए लगातार 7 दिनों तक पूजा एवं पूजा के बाद हवन पूर्णाहुति कर भंडारे के साथ इसका समापन किया जायेगा।


कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सम्पत अग्रवाल ने पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल का सम्मान किया


श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन अमर अग्रवाल पूर्व मंत्री,धरम लाल कौशिक पूर्व नेता प्रतिपक्ष छ ग शासन, सरोज पाण्डे राज्य सभा सांसद, संयोगिता युद्धवीर सिंह जूदेव, अमर बंसल, विक्रमादित्य सिंह जूदेव, महारानी जया सिंह जूदेव, इंद्रजीत सिंह गोल्डी, महेश गागड़ा,आदि ने पं. हिमांशु कृष्ण भारद्वाज का स्वागत कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान कार्यक्रम के संयोजक एवं नीलांचल सेवा समिति के संस्थापक डॉ. सम्पत अग्रवाल के द्वारा पं. हिमांशु कृष्ण भारद्वाज के हाथों जनप्रतिनिधियों एवं श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति कार्यकर्ताओं का श्रीराधे कृष्ण की माला पहनाकर एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।




श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन यजमान के रूप में रहें उपस्थित 


श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के सातवें दिन मुख्य यजमान डॉ. सम्पत सरोज अग्रवाल, उप यजमान सुमित सोनिया अग्रवाल, अमित रिंकी अग्रवाल, किशन सृष्टि अग्रवाल, मुरारीलाल राजकुमारी अग्रवाल, दयाराम रामकली अग्रवाल, जयंतीलाल चन्द्रकला अग्रवाल, राहूल प्रगति अग्रवाल, विजय रश्मी अग्रवाल, सुशील नेहा अग्रवाल, सुनील दुर्गा अग्रवाल, ज्योति ममता अग्रवाल, निर्मल वीना दास, विकास अंशु वाधवा, देवचरण माला अग्रवाल, अशोक रीना अग्रवाल, शंकर सुमन अग्रवाल, नन्दकिशोर लक्ष्मी अग्रवाल, मुकेश नीलिमा प्रधान, बृजेश सोनीदेवी यादव, कमलध्वज जमुना पटेल, मुकेश सुमन दुबे, रामरतन अंजना अग्रवाल, नरेश रेखा अग्रवाल, श्याम सुन्दर मीना अग्रवाल, कीर्तिलाल किरण फूलमोती पटेल, ओमप्रकाश किरण अग्रवाल, शैलेश सगुन अग्रवाल, गजानन अरुणा अग्रवाल, बिष्णु लक्ष्मी अग्रवाल, राजकुमार गीता अग्रवाल, विकास भारती अग्रवाल, श्याम कांता अग्रवाल, रघुवीर उमा अग्रवाल उपस्थित रहें।


कथा को सुनने के लिए बसना विधानसभा क्षेत्रवासी, छत्तीसगढ़, उडीसा, झारखंड सहित भारतवर्ष से श्रृद्धालु जन बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। बता दें कि 16जनवरी से चल रही इस कथा का समापन मंगलवार को सुबह 09बजे से हवनपूर्णाहुति तथा विशाल भंडारे के साथ होगा। कार्यक्रम संयोजक एवं नीलांचल सेवा समिति संस्थापक डॉ.सम्पत अग्रवाल ने सभी भक्तों से कथा का श्रवण कर धर्मलाभ लेने की अपील की है।

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