राज्य शासन के पेंशनरों को महंगाई राहत का लाभ समय पर नहीं
राज्य में चल रही दोहरी नीति पर रोक लगाने की राज्य शासन के पेंशनरों को महंगाई राहत का लाभ समय पर नहीं
सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी।
रायपुर- राज्य में चल रही दोहरी नीति पर रोक लगाने की मांग
धारा 49 के कारण छत्तीसगढ़ सरकार को करोड़ों की कई वर्षों से हो रही आर्थिक हानि के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग
भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी और 1 जुलाई को साल में दो बार मूल्य सूचकांक को आधार मानकर कर्मचारियों और पेंशनरों को महंगाई के मार से राहत देने डीए - डीआर के आदेश जारी किया जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य में इसका लाभ सिर्फ अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों और बिजली विभाग में ही कर्मचारियों और पेंशनरों को समय पर दिया जाता है, मानो बाजार की महंगाई से केवल आईएएस अधिकारी यानि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों और राज्य सेवा के बिजली कर्मचारी व पेंशनर के परिवार पर असर पड़ता है। इसलिए केंद्र सरकार द्वारा साल दो बार घोषित किया जाने वाला महंगाई भत्ता और महंगाई राहत के आदेश यथावत उन्हीं पर लागू किया जाता है बाकी अन्य शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों को अघोषित तौर पर अपात्र मान लिए गए हैं और सन् 2017 से डीए - डीआर के एरियर राशि लगातार हजम कर रहे हैं। अखिल भारतीय सेवा और बिजली विभाग को भी राज्य के खजाने से ही भुगतान होता है, फिर ये दोहरा व्यवहार क्यो किया जा रहा है यह समझ से परे है। भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने डीए डीआर के मामले में दोहरी नीति को बंद करने की मांग की है।
भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश द्वारा मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 के कारण पेंशनरों को दोनों राज्य के बीच आर्थिक भुगतान में 74:26 अनुपात के बंटवारे से करोड़ों की नुकसान की बात को वित्त विभाग के अधिकारियों ने 2025 में स्वीकार किया है और अब इस घाटा की पूर्ति हेतु मध्यप्रदेश सरकार से पत्राचार कर रहे हैं। कई वर्षों से हो रहे इस करोड़ों रुपए के हानि को नजरअंदाज करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की है।
इस बात पर भी आश्चर्य जताया है कि विधानसभा में महंगाई भत्ता के लिए बजट में प्रावधान किया जाता है, तो विधान सभा से पारित बजट में वित्त विभाग द्वारा कटौती करने का अधिकार कैसे हो सकता है।
एरियर कटौती शुरुवात में कर्मचारी संगठनों द्वारा जमकर विरोध नहीं किया जाना और उल्टे सरकार का अभिनंदन किया जाना और आज भी उसी तरह की परम्परा कायम रखने के वजह से ब्यूरोक्रेट की सलाह पर निर्णय लेनेवाली सरकार निश्चिन्त मनमानी कर रही है और आज तो ब्यूरोक्रेट आयातित व्यक्ति का वित्त मंत्री होना सरकार के लिए वरदान और हमारे लिए अभिशाप बन गया है। राज्य शासन के कर्मचारियों और पेंशनरों के साथ वित्त विभाग द्वारा जान बूझ कर मंहगाई भत्ते और मंहगाई राहत की एरियर राशि को कई वर्षों से हड़पने का खेल किया जा रहा है
वित्त निर्देश 32/2018 दिनांक 29 मई 2019 के आदेश में जूलाई 2017 से अप्रैल 2018 तक बकाया 10 माह के एरियर राशि पर बाद में पृथक से निर्णय लेने का उल्लेख किया गया है उस पर आज तक निर्णय नहीं हुआ। इसी तरह वित्त निर्देश 03/2019 दिनांक 08 मार्च 2029 में मंहगाई भत्ते के दो किस्त एक साथ स्वीकृत कर 01.01.2018 से 2% एवं 01.07.18 से 2% देने का आदेश जारी किया गया। इनका नगद भुगतान मार्च 2019 के वेतन अप्रेल 2019 से देय वेतन के साथ किया गया परंतु 01.01.2018 से 28.02.2019 तक 14 माह एवं 01.07.2018 से 28.02.2019 तक 08 माह कुल 22 माह के बकाया एरियर पर पृथक से निर्णय लेने का उल्लेख किया गया है उस पर भी आज तक कार्यवाही नहीं की गई है और एरियर की राशि सरकारी खजाने में जमा पड़ी है। उसके बाद जारी होने वाले अन्य सभी डीए डीआर के आदेश में बकाया एरियर राशि के बारे में बाद में निर्णय लेने के उल्लेख ही बंद कर दिया गया है ताकि कोई पूछताछ ही न किया जा सके। हद तो यह है कि इस तरह के आदेश करने में खुद नुकसान उठा रहे मंत्रालय के अधिकारी कर्मचारी स्वयं शामिल हैं।
इस उपेक्षा पूर्ण रवैये पर अपना रोष प्रकट करते हुए भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भूपेन्द्र कुमार वर्मा दुर्ग, महिला प्रकोष्ठ प्रमुख द्रौपदी यादव पत्थलगांव जशपुर, राष्ट्रीय मंत्री रामनारायण ताटी जगदलपुर, पूरन सिंह पटेल रायपुर तथा छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव, कार्यकारी प्रांताध्यक्ष जे पी मिश्रा,महामंत्री अनिल गोल्हानी, प्रदेश संगठन मंत्री टी पी सिंह, कोषाध्यक्ष बी एस दसमेर, संभागीय अध्यक्ष प्रवीण कुमार त्रिवेदी रायपुर, राजेश कश्यप बिलासपुर, गुरुचरण सिंह अंबिकापुर, आर एन ताटी जगदलपुर, बी के वर्मा दुर्ग, केंद्रीय सेवानिवृत अधिकारी कर्मचारी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सुरेश मिश्रा रायपुर,सेवानिवृत दैनिक वेतन भोगी कार्यभारित प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक अनिल पाठक रायपुर तथा प्रदेश के विभिन्न जिले के अध्यक्ष खोड़स राम कश्यप बलौदाबाजार, आर जी बोहरे रायपुर, आई सी श्रीवास्तव राजनांदगांव, राकेश जैन बिलासपुर, परमेश्वर स्वर्णकार जांजगीर चांपा, रमेश नंदे जशपुर, अभय शंकर गौराहा रायगढ़, देवनारायण साहू सारंगढ़, एम एल यादव कोरबा,ओ पी भट्ट कांकेर, आर डी झाड़ी बीजापुर, एस के देहारी नारायणपुर, एस के धातोड़े कोंडागांव, पी एन उड़कुड़े दंतेवाड़ा, एस के कनौजिया सुकमा, प्रेमचंद गुप्ता वैकुंठपुर, माणिक चंद्र अंबिकापुर, महावीर राम, बलरामपुर, संतोष ठाकुर सूरजपुर, आर ए शर्मा गौरेला पेंड्रा मरवाही, सतीश उपाध्याय मनेंद्रगढ़, हरि प्रसाद मिश्रा सक्ती, भैया लाल परिहार मुंगेली, यवन कुमार डिंडोरे बेमेतरा, रिखीराम साहू महासमुंद , लखन लाल साहू गरियाबंद, रामेंद्र तिवारी मोहला मानपुर अम्बागढ़ चौकी,प्रकाश गुप्ता कबीरधाम, देवदत्त दुबे खैरागढ़ छुईखदान गंडई आदि ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मोदी की गारंटी को पूरा कर केंद्र के समान 2% महंगाई राहत एरियर सहित जनवरी 25 से राज्य के पेंशनरों और परिवार पेंशनरों के लिए स्वीकृत कर इस प्रकार कुल 55% डीआर के एरियर सहित भुगतान करने हेतु तुरन्त आदेश जारी करने की मांग की है।मांग
धारा 49 के कारण छत्तीसगढ़ सरकार को करोड़ों की कई वर्षों से हो रही आर्थिक हानि के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग
भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी और 1 जुलाई को साल में दो बार मूल्य सूचकांक को आधार मानकर कर्मचारियों और पेंशनरों को महंगाई के मार से राहत देने डीए - डीआर के आदेश जारी किया जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य में इसका लाभ सिर्फ अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों और बिजली विभाग में ही कर्मचारियों और पेंशनरों को समय पर दिया जाता है, मानो बाजार की महंगाई से केवल आईएएस अधिकारी यानि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों और राज्य सेवा के बिजली कर्मचारी व पेंशनर के परिवार पर असर पड़ता है। इसलिए केंद्र सरकार द्वारा साल दो बार घोषित किया जाने वाला महंगाई भत्ता और महंगाई राहत के आदेश यथावत उन्हीं पर लागू किया जाता है बाकी अन्य शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों को अघोषित तौर पर अपात्र मान लिए गए हैं और सन् 2017 से डीए - डीआर के एरियर राशि लगातार हजम कर रहे हैं। अखिल भारतीय सेवा और बिजली विभाग को भी राज्य के खजाने से ही भुगतान होता है, फिर ये दोहरा व्यवहार क्यो किया जा रहा है यह समझ से परे है। भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने डीए डीआर के मामले में दोहरी नीति को बंद करने की मांग की है।
भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश द्वारा मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 के कारण पेंशनरों को दोनों राज्य के बीच आर्थिक भुगतान में 74:26 अनुपात के बंटवारे से करोड़ों की नुकसान की बात को वित्त विभाग के अधिकारियों ने 2025 में स्वीकार किया है और अब इस घाटा की पूर्ति हेतु मध्यप्रदेश सरकार से पत्राचार कर रहे हैं। कई वर्षों से हो रहे इस करोड़ों रुपए के हानि को नजरअंदाज करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की है।
इस बात पर भी आश्चर्य जताया है कि विधानसभा में महंगाई भत्ता के लिए बजट में प्रावधान किया जाता है, तो विधान सभा से पारित बजट में वित्त विभाग द्वारा कटौती करने का अधिकार कैसे हो सकता है।
एरियर कटौती शुरुवात में कर्मचारी संगठनों द्वारा जमकर विरोध नहीं किया जाना और उल्टे सरकार का अभिनंदन किया जाना और आज भी उसी तरह की परम्परा कायम रखने के वजह से ब्यूरोक्रेट की सलाह पर निर्णय लेनेवाली सरकार निश्चिन्त मनमानी कर रही है और आज तो ब्यूरोक्रेट आयातित व्यक्ति का वित्त मंत्री होना सरकार के लिए वरदान और हमारे लिए अभिशाप बन गया है। राज्य शासन के कर्मचारियों और पेंशनरों के साथ वित्त विभाग द्वारा जान बूझ कर मंहगाई भत्ते और मंहगाई राहत की एरियर राशि को कई वर्षों से हड़पने का खेल किया जा रहा है। वित्त निर्देश 32/2018 दिनांक 29 मई 2019 के आदेश में जूलाई 2017 से अप्रैल 2018 तक बकाया 10 माह के एरियर राशि पर बाद में पृथक से निर्णय लेने का उल्लेख किया गया है उस पर आज तक निर्णय नहीं हुआ। इसी तरह वित्त निर्देश 03/2019 दिनांक 08 मार्च 2029 में मंहगाई भत्ते के दो किस्त एक साथ स्वीकृत कर 01.01.2018 से 2% एवं 01.07.18 से 2% देने का आदेश जारी किया गया। इनका नगद भुगतान मार्च 2019 के वेतन अप्रेल 2019 से देय वेतन के साथ किया गया परंतु 01.01.2018 से 28.02.2019 तक 14 माह एवं 01.07.2018 से 28.02.2019 तक 08 माह कुल 22 माह के बकाया एरियर पर पृथक से निर्णय लेने का उल्लेख किया गया है उस पर भी आज तक कार्यवाही नहीं की गई है और एरियर की राशि सरकारी खजाने में जमा पड़ी है। उसके बाद जारी होने वाले अन्य सभी डीए डीआर के आदेश में बकाया एरियर राशि के बारे में बाद में निर्णय लेने के उल्लेख ही बंद कर दिया गया है ताकि कोई पूछताछ ही न किया जा सके। हद तो यह है कि इस तरह के आदेश करने में खुद नुकसान उठा रहे मंत्रालय के अधिकारी कर्मचारी स्वयं शामिल हैं।
इस उपेक्षा पूर्ण रवैये पर अपना रोष प्रकट करते हुए भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भूपेन्द्र कुमार वर्मा दुर्ग, महिला प्रकोष्ठ प्रमुख द्रौपदी यादव पत्थलगांव जशपुर, राष्ट्रीय मंत्री रामनारायण ताटी जगदलपुर, पूरन सिंह पटेल रायपुर तथा छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव, कार्यकारी प्रांताध्यक्ष जे पी मिश्रा,महामंत्री अनिल गोल्हानी, प्रदेश संगठन मंत्री टी पी सिंह, कोषाध्यक्ष बी एस दसमेर, संभागीय अध्यक्ष प्रवीण कुमार त्रिवेदी रायपुर, राजेश कश्यप बिलासपुर, गुरुचरण सिंह अंबिकापुर, आर एन ताटी जगदलपुर, बी के वर्मा दुर्ग, केंद्रीय सेवानिवृत अधिकारी कर्मचारी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सुरेश मिश्रा रायपुर,सेवानिवृत दैनिक वेतन भोगी कार्यभारित प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक अनिल पाठक रायपुर तथा प्रदेश के विभिन्न जिले के अध्यक्ष खोड़स राम कश्यप बलौदाबाजार, आर जी बोहरे रायपुर, आई सी श्रीवास्तव राजनांदगांव, राकेश जैन बिलासपुर, परमेश्वर स्वर्णकार जांजगीर चांपा, रमेश नंदे जशपुर, अभय शंकर गौराहा रायगढ़, देवनारायण साहू सारंगढ़, एम एल यादव कोरबा,ओ पी भट्ट कांकेर, आर डी झाड़ी बीजापुर, एस के देहारी नारायणपुर, एस के धातोड़े कोंडागांव, पी एन उड़कुड़े दंतेवाड़ा, एस के कनौजिया सुकमा, प्रेमचंद गुप्ता वैकुंठपुर, माणिक चंद्र अंबिकापुर, महावीर राम, बलरामपुर, संतोष ठाकुर सूरजपुर, आर ए शर्मा गौरेला पेंड्रा मरवाही, सतीश उपाध्याय मनेंद्रगढ़, हरि प्रसाद मिश्रा सक्ती, भैया लाल परिहार मुंगेली, यवन कुमार डिंडोरे बेमेतरा, रिखीराम साहू महासमुंद , लखन लाल साहू गरियाबंद, रामेंद्र तिवारी मोहला मानपुर अम्बागढ़ चौकी,प्रकाश गुप्ता कबीरधाम, देवदत्त दुबे खैरागढ़ छुईखदान गंडई आदि ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मोदी की गारंटी को पूरा कर केंद्र के समान 2% महंगाई राहत एरियर सहित जनवरी 25 से राज्य के पेंशनरों और परिवार पेंशनरों के लिए स्वीकृत कर इस प्रकार कुल 55% डीआर के एरियर सहित भुगतान करने हेतु तुरन्त आदेश जारी करने की मांग की है।
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