खनन माफियाओं का साम्राज्य! बारा में धरती का सीना चीर रहे सिलिका सैंड के सौदागर
सूत्रों का खुलासा—पांच सौ मजदूर, लगभग डेढ़ सौ ठेकेदार, दिन-रात चलता है अवैध खनन का कारोबार, अधिकारी मौन
प्रयागराज। यमुनानगर तहसील के बारा क्षेत्र के चंदनवा, अमहा, कंचनपुर और बरदहिया पहाड़ों में हो रहे पत्थर, गिट्टी और सिलिका सैंड का अवैध खनन का आतंक फैल चुका है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दिन में खुलेआम जेसीबी मशीनों से पहाड़ों कि सीना चीर कर उखाड़ रही हैं और दिन-रात में सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉली पत्थर, गिट्टी, और सिलका सैंट रेत भरकर निकल जाते हैं। प्रशासनिक रिकॉर्ड में सब ‘साफ’ दिखाया जाता है जबकि जमीन पर हकीकत कुछ और है। गांवों के रास्ते ओर मेन रोड तबाह, खेत गड्ढों में तब्दील और तालाब-नाले खत्म हो चुके हैं। ग्रामीणों के मुताबिक यह सब बिना प्रशासनिक या राजनीतिक संरक्षण के संभव नहीं। स्थानीय सूत्रों का दावा है कि शिकायतों के बावजूद अधिकारी केवल औपचारिक जांच कर फोटो खिंचवाकर चले जाते हैं और अगले ही दिन वही मशीनें फिर से चालू हो जाती हैं। सूत्रों के हवाले से प्राप्त वीडियो फुटेज में पहाड़ों पर बड़े पैमाने पर खनन, ब्लास्टिंग और भारी मशीनरी दिखाई दे रही है। सूत्रों के अनुसार, इस अवैध काम में लगभग पांच सौ मजदूर और सौ से अधिक ठेकेदार शामिल हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि जब भी छापा मारा जाता है तो पहले सूचना लीक हो जाती है, जिसके बाद छोटे-मोटे लोगों को पकड़कर खानापूर्ति कर दी जाती है, जबकि असली मास्टरमाइंड बच निकलते हैं। पर्यावरण सूत्रों के अनुसार, इस अवैध खनन से क्षेत्र का भूगर्भीय संतुलन बिगड़ रहा है। नदियों का जलस्तर तेजी से गिर रहा है, भूमिगत पानी खत्म हो रहा है और उपजाऊ भूमि बंजर में बदल रही है। किसानों का कहना है कि उनकी फसलें सूख रही हैं लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, खनन निरीक्षक-स्तर पर भी लापरवाही बनी हुई है। निरीक्षण की कार्रवाई केवल दिखावे के लिए की जाती है, जिससे बड़े रसूखदार ठेकेदारों पर कोई असर नहीं पड़ता। ग्रामीणों का कहना है कि यह खेल वर्षों से चल रहा है और इसकी जड़ें प्रशासनिक तंत्र तक फैली हैं। स्थानीय सूत्रों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिलाधिकारी प्रयागराज से मांग की है कि इस पूरे खनन नेटवर्क की CBI या SIT जांच कराई जाए ताकि इसमें शामिल बड़े चेहरों का पर्दाफाश हो सके। साथ ही, ग्रामीणों ने खेत-तालाबों के पुनर्निर्माण और प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की भी मांग की है। अब जनता का सवाल सीधा है — “क्या बारा की धरती ऐसे ही माफियाओं की जेब में समाती रहेगी?” सूत्रों के मुताबिक अगर शासन ने जल्द सख्त कार्रवाई नहीं की तो आने वाले वर्षों में यह पूरा इलाका सूखा, बंजर और बेजान हो जाएगा। यह रिपोर्ट पूरी तरह सूत्रों से मिली जानकारी पर आधारित है; किसी भी व्यक्ति या संस्था पर दोष सिद्ध करने का अधिकार केवल सत्यापन और आधिकारिक जांच के बाद ही संभव है।
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