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Saturday, October 4, 2025

शनि प्रदोष व्रत आज-शनिप्रदोष व्रत करने से शनिदेव की कृपा मिलती है।

 शनि प्रदोष व्रत आज-शनिप्रदोष व्रत करने से शनिदेव की कृपा मिलती है। 




सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी। 

अक्टूबर का महीना धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने जा रहा है। इस महीने में दो प्रदोष व्रत होंगे। पहला प्रदोष व्रत 4 अक्टूबर को है। और इस दिन शनिवार है। ऐसे में अक्टूबर का पहला प्रदोष व्रत 4 अक्टूबर को होगा। और सबसे बड़ी बात यह है कि यह प्रदोष व्रत शनिवार को होने से शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा। लेकिन इसके साथ ही साथ शनिदेव श्रद्धालुओं को साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए दूसरा मौका भी देंगे।


ज्योतिष पंंचांग के मुताबिक  इस दिन शाम 05 बजकर 08 मिनट पर त्रयोदशी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं 05 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 04 मिनट पर त्रयोदशी तिथि का समापन होगा। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसके लिए आश्विन माह का अंतिम प्रदोष व्रत 04 अक्टूबर को मनाया जाएगा।


प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त और योग


इस दिन पूजा का शुभ समय शाम 05 बजकर 29 मिनट से लेकर रात 07 बजकर 55 मिनट तक है। वहीं इस दिन  द्विपुष्कर योग बन रहा है। इस योग का संयोग सुबह 06 बजकर 13 मिनट से है। वहीं, सुबह 09 बजकर 09 मिनट पर द्विपुष्कर योग की समाप्ति होगी। इस योग में पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होता है।


शनि प्रदोष व्रत का महत्व-


शनि प्रदोष का व्रत करने से शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही शनि दोष से मुक्ति मिलती है। वहीं संतान सुख के लिए भी शनि प्रदोष व्रत करना बहुत लाभकारी माना जाता है। साथ ही शनि प्रदोष व्रत रखने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जिन लोगों की कुंडली में राहु-केतु और कालसर्प दोष है, तो इस दिन व्रत रखने से उनको दोष के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है। साथ ही सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। वहीं महादेव की कृपा से सुख- समृद्धि का वास बना रहता है।




शनि प्रदोष व्रत पर काले तिल के साथ ही सरसों के तेल का अगर जरूरतमंदों में दान करें तो इससे कई परेशानियों का अंत हो सकता है। शनिदेव क्रूर दृष्टि से राहत मिल सकती है। शनि दोष को दूर करने के लिए भी यह एक बहुत कारगर उपाय है। इस उपाय को करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।




शनि प्रदोष व्रत पर महादेव की पूजा अर्चना करें और शनि देव की भी आराधना करें। इस दिन अगर काले या नीले रंग के वस्त्र धारण करें तो इसके शुभ परिणाम जल्द दिखने लगेंगे। वहीं शनिदेव की पूजा में नीले रंग के फूल चढ़ाएं। इस छोटे से उपाय को करने से शनि देव अति प्रसन्न होंगे और जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी। वहीं महादेव की कृपा भी प्राप्त होगी।


शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि-


शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। यदि संभव हो तो काले रंग के वस्त्र धारण करने से बचें, क्योंकि यह शनिदेव का रंग माना जाता है और कुछ लोग इसे अशुभ मानते हैं।

पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद हाथ में जल, फूल और अक्षत (चावल) लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। संकल्प में अपनी मनोकामना का उल्लेख करें, जैसे कि संतान प्राप्ति, शनि दोष निवारण, या सुख-समृद्धि। पूजन के लिए आवश्यक सामग्री जैसे शिवलिंग (या शिव-पार्वती की प्रतिमा/तस्वीर), गंगाजल, कच्चा दूध, दही, शहद, घी, चंदन, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी के पत्ते, काले तिल, फूल, धूप, दीप, अगरबत्ती, फल, मिठाई, नैवेद्य और जल का कलश इकट्ठा कर लें।

एक चौकी पर साफ लाल या पीला वस्त्र बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें। शिवलिंग का कच्चे दूध, गंगाजल, दही, शहद, और घी (पंचामृत) से अभिषेक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, चंदन और अक्षत अर्पित करें। धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं। भगवान शिव को खीर या हलवा, फल और अन्य सात्विक चीजों का भोग लगाएं। शिव जी के मंत्रों का जाप करें, जैसे 'ॐ नमः शिवाय', 'महामृत्युंजय मंत्र' आदि। शनिदेव के मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं, जैसे 'ॐ शं शनैश्चराय नमः'।

शनि प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। अंत में भगवान शिव की आरती करें। पूजा समाप्त होने के बाद क्षमा-प्रार्थना करें। पीपल के वृक्ष के समीप सरसों के तेल का एक दीपक जलाना शुभ माना जाता है, क्योंकि पीपल में शनिदेव का वास माना जाता है।

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