हमारी अमूल्य धरोहर है पंडवानी - सीएम साय
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
दुर्ग - पंडवानी एक ऐसी विधा है , जिसके माध्यम से छत्तीसगढ़ को पूरी दुनियाँ में पहचान मिली है। हमारे पंडवानी कलाकारों ने न्यूयॉर्क , पेरिस और लंदन तक महाभारत की कथाओं पर आधारित प्रस्तुतियों से लोगों को मंत्रमुग्ध किया है। उन्होंने अपनी कला के माध्यम से ना केवल छत्तीसगढ़ की परंपरा को जीवित रखा है , बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा को वैश्विक मंचों तक पहुँचाया है। पंडवानी आज हमारी लोक चेतना , नारी सशक्तिकरण और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन चुकी है।
उक्त बातें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस के अवसर पर दुर्ग जिले के ग्राम मेड़ेसरा में आयोजित पंडवानी महासम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुये कही। उन्होंने कहा कि आज मुझे पंडवानी के पुरोधा स्वर्गीय झाड़ूराम देवांगन , लक्ष्मी बंजारे की स्मृति भी हो रही है। जब वे हाथ में तंबूरा लेकर प्रस्तुति देते थे, तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते थे। पंडवानी गायन में महिला कलाकारों की विशेष सफलता उल्लेखनीय रही है। यह छत्तीसगढ़ का सौभाग्य है कि हमारी धरती पर तीजन बाई जैसी विभूति हुईं जिन्हें पद्मश्री , पद्मभूषण और पद्मविभूषण तीनों सम्मान प्राप्त हुये हैं। जब वे तंबूरा लेकर आलाप भरती हैं , तो ऐसा लगता है मानो आकाश के देवी - देवता भी उन्हें सुन रहे हों। सीएम साय ने कहा कि मैंने अनेक अवसरों पर तीजन बाई की पंडवानी सुनी है। श्याम बेनेगल की भारत एक खोज में उनका पंडवानी गायन दृश्य मन को आनंद और उत्सुकता से भर देता है। पद्मश्री डॉ. उषा बारले हमारे बीच उपस्थित हैं , जिन्होंने अपने अद्भुत पंडवानी गायन से सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंडवानी हमारी अमूल्य धरोहर है , आज इस महासम्मेलन के आयोजन के माध्यम से आप सभी ने इस धरोहर को सहेजने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का अत्यंत सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने बचपन में रामलीला मंडलियों के माध्यम से रामायण की कथायें और पंडवानी के माध्यम से महाभारत की कथायें सुनीं। पीढ़ी दर पीढ़ी इन लोककलाकारों ने रामायण और महाभारत जैसी महान कथाओं को जन-जन तक पहुँचाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंडवानी गायन इस मायने में भी अद्वितीय है कि इसमें स्त्री-पुरुष का कोई भेद नहीं है। तीजन बाई और डॉ. उषा बारले जैसी कलाकारों ने अपनी प्रतिभा से यह साबित किया है कि यह विधा महिलाओं के कौशल और संवेदनशीलता की प्रतीक है। पंडवानी गायन के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सामाजिक तासीर भी झलकती है – यहां मातृशक्ति की भागीदारी कला के क्षेत्र में भी अग्रणी है और उन्हें सदैव प्रोत्साहित किया जाता है। सीएम साय ने कहा कि सरगुजा से लेकर बस्तर तक हर क्षेत्र की अपनी विशिष्ट संस्कृति है। हमारी सरकार छत्तीसगढ़ी लोककला और संस्कृति को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। कलाकारों की पेंशन राशि में वृद्धि की गई है और अवसरों की संख्या भी बढ़ाई गई है। चित्रोत्पला फिल्म सिटी की स्थापना का निर्णय लेकर हमने छत्तीसगढ़ी सिनेमा को सशक्त बनाने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री साय ने नागरिक कल्याण महाविद्यालय नंदिनी में स्नातकोत्तर कक्षायें प्रारंभ करने , अछोटी में बीएड महाविद्यालय खोलने , मेड़ेसरा को आदर्श ग्राम बनाने , समुदायिक भवन हेतु बीस लाख रुपये और क्षेत्र के सभी पंचायतों में सीसी रोड निर्माण की घोषणा की।कार्यक्रम की संयोजक पद्मश्री डॉ. उषा बारले ने स्वागत उद्बोधन में अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस और पंडवानी महासम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुये मुख्य अतिथि सीएम साय सहित सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति विभाग रायपुर के सौजन्य से आयोजित इस कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री अरुण साव , अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं अहिवारा विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा , छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर , साजा विधायक ईश्वर साहू , संभाग आयुक्त एस.एन. राठौर , आईजी आर.जी. गर्ग , कलेक्टर अभिजीत सिंह , एसएसपी विजय अग्रवाल सहित अन्य अधिकारीगण , पंडवानी के लोक कलाकार तथा बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।


















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