रायपुर । पूरा विश्व कोरोना की महामारी से जूझ रहा है तब ऐसे संवेदनशील समय में शासन के स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी शासकीय, अर्ध शासकीय, निगम, मंडल, निजी क्षेत्र के कर्मचारी को सेवा से पृथक नहीं करना है तब ऐसी स्थिति में पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो केशरी लाल वर्मा ने विश्वविद्यालय अध्ययन शाला के समस्त अतिथि एवं संविदा शिक्षक जो विगत 5-6 वर्षों से निरंतर कार्यरत है उन्हें सेवा से निकाल दिया है। यह निश्चित ही हर्ष का विषय है की राज्य सरकार प्रदेश के 16,278 शिक्षाकर्मियों, जिन्होंने 02 वर्ष की सेवायें पूरी कर ली है उन्हें 01 नवंबर 2020, राज्योत्सव पर संविलियन करने का अभूतपूर्व निर्णय लेकर वर्षों से प्रताड़ित परिवारों को एक संजीवनी प्रदान की है परन्तु वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय अध्ययन शाला के अतिथि एवं संविदा शिक्षक अपने साथ हो रहे अन्याय एवं अमानवीयपूर्ण व्यवहार के विरुद्ध अपना संपूर्ण प्रयास करने के बाद भी सेवाएं बचाने में असमर्थ है।
ऐसे असंवेदनशील निर्णयों का सिलसला यही नहीं रुकताय शिक्षण सत्र के मध्य में लॉकडाउन की वजह से विश्वविद्यालय में संचालित कक्षाएं बंद हो जाने के कारण कुलपति प्रो वर्मा द्वारा ऑनलाइन माध्यम से कक्षाएं लेकर कोर्स पूर्ण कराने का निर्देश दिया गया तथा सभी शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन कक्षाएं ली गयी इसके पश्चात वेतन प्रस्तुत करने पर प्रथम चरण में तो कुलपति द्वारा ऑनलाइन कक्षाओं के लिए वेतन भुगतान न करने निराधार निर्णय लिया गया परन्तु सभी विभागाध्यक्षों के दखल के बाद कुलपति वेतन देने पर राजी हो गए परन्तु वेतन प्रदान करते समय, ऑनलाइन माध्यम से ली गयी कक्षाओं से सम्बंधित एक ही जानकारी अनेक बार मंगाई गयी इसके बावजूद सभी को मार्च माह का वेतन भुगतान 04 माह से अधिक विलम्ब के बाद 08 जुलाई को किया गया। प्रायः यह भी देखा गया है कि अतिथि एवं संविदा शिक्षकों का वेतन, औसतन 02 से 03 माह विलम्ब से भुगतान किये जाने का सिलसिला हमेशा से ही होता रहा है जिससे सभी शिक्षकों को परिवार चलाने के लिए नियमित परेशानियां का सामना करना पड़ता है एवं परिवार में असुरक्षा का माहौल बना रहता है।
अधिकतर शिक्षकों पर परिवार चलाने की संपूर्ण जिम्मेदारी है, कुछ अपने परिवार का एकमात्र सहारा है तो कुछ के छोटे छोटे बच्चे है कुछ के माता पिता वृद्ध है और उनकी बीमारी का इलाज भी चल रहा है। ऐसी परिस्थिति में कोरोना जैसी महामारी के अत्यंत संवेदनशील समय में इनकी नौकरी चली जाने से इनके परिवार का भरण पोषण पालन मुश्किल हो गया है। इन सभी शिक्षकों की आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर है। अतिथि शिक्षकों को आज के इस महंगाई के समय में 300 रु प्रति व्याख्यान के न्यूनतम मानदेय पर रख कर उनसे पूर्णकालिक कार्य लिया जाता है तथा माह के औसतन 10000 रु वेतन पर परिवार पालने की जिम्मेदारी होती है और अब वह भी छीन गया है। कोरोना महामारी के इस भयावह काल में कुलपति प्रो वर्मा के असंवेदनशील निर्णय से समस्त अतिथि एवं संविदा शिक्षकों की नौकरी पिछले 03 माह (मई, जून एवं जुलाई) से चली जाने के कारण समस्त शिक्षक भूखे मरने की स्थिति से गुजर रहे है।
आगामी समय में विश्वविद्यालय के निर्देशानुसार अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित की जायेगी जिसके लिए छात्रों का शिक्षण एवं प्रोजेक्ट कार्य हेतु मार्गदर्शन दिया जाना है तथा अध्ययनशालाओं में अकादमिक वर्ष 2020-21 में प्रवेश हेतु नए छात्रों के काउंसलिंग आदि का कार्य भी अतिथि एवं संविदा शिक्षण द्वारा किया जाता है।
राज्य के अन्य शासकीय विश्वविद्यालयों में इस विकट परिस्थिति में सद्भावनापूर्ण निर्णय लेकर सभी अतिथि एवं संविदा शिक्षकों की सेवायें अगले 01 साल के लिए बढ़ा दी गयी है। राज्य के तकनीकी विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई ने भी अपने अध्ययनशालाओं में कार्यरत अतिथि एवं संविदा शिक्षकों को अगले सत्र की सेवावृद्धि देने हेतु विज्ञापन जारी कर (संलग्नक -1), सेवावृद्धि एवं नियुक्ति दे दी है। राज्य के ही गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर, में भी अतिथि एवं संविदा शिक्षकों को अप्रैल माह से सेवावृद्धि दी गयी है परन्तु राज्य के सबसे वृहद् एवं प्राचीन विश्वविद्यालय पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में राज्य शासन के नीतियों के विरुद्ध कुलपति प्रो वर्मा ने अमानवीयपूर्ण एवं निरंकुश निर्णय लेते हुए सभी अतिथि एवं संविदा शिक्षकों की सेवाएं इस विकट स्थिति में समाप्त कर दी जिससे 100 से अधिक परिवार दाने दाने को मोहताज हो गए है।
इस दयनीय स्थिति में विश्वविद्यालय में समस्त अतिथि एवं संविदा शिक्षकों के साथ हो रहे अन्याय एवं अमानवीयपूर्ण व्यवहार को ध्यान में रख कर तथा राज्य सरकार के निर्देशों के अनुरूप कोरोना काल में इनके परिवार के भरण पोषण हेतु कर्मचारी हितों की रक्षा करते हुए निर्णय लेकर सेवा से मुक्त किये गए समस्त अतिथि एवं संविदा शिक्षकों को पिछले तीन माह का वेतन के साथ सेवावृद्धि प्रदान की जाए।
जयन्त गायधने के साथ हितेश मानिकपुरी रायपुर छत्तीसगढ़ की रिपोर्ट
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