*नशे में डूबता भारत....*
*आखिर कब तक नशे की आड़ में बेटियों को नोचा जाता रहेगा...*
छोटू यादव / हमारे भारत को महान देश के रूप में देखा जाता है!
इस महान देश में तरह -तरह के लोग रहते हैं ,कोई आशावादी कोई रूढ़िवादी पर आज 21वीं सदी का अंखड भारत जिस जगह पर खड़ा है, वह विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है, पर विश्व गुरु का दर्जा कैसे प्राप्त होगा?
क्या निर्भया जैसे कांड से बेंगलुरु जैसे कांड से या फिर हाथरस जैसे कांड से??
या फिर चरस, अफीम, गांजा, शराब ,जैसे अन्य नशो के गिरफ्त में आ चुके देश के तमाम गली- मोहल्लों से....
लेकिन आज देश में जिस तरह से अपराध का परचम लहरा रहा है,
वह अखंड भारत पर सवालिया निशान पैदा कर रहा है ...
नशो के सौदागरों ने हमें निर्भया जैसे कांड बेंगलुरु जैसे अपराध और हाथरस जैसी घिनौनी हरकतो से हमें झकझोर कर रख दिया है।
क्या आपको लगता नहीं इन सभी अपराधों का कारण केवल नशा है...
....क्योंकि देश में बिकने वाला ड्रग्स, चरस ,अफीम ,गांजा ,शराब, इत्यादि कहीं ना कहीं इन अपराधों को पनाह दे रहा है, और यह आने वाले समय में और भी घातक हो सकता है, क्योंकि नवयुवक इसके गिरफ्त में आ रहे हैं।
और हम नशे के खिलाफ आवाज उठाना छोड़, निर्भया , बेंगलुरु , हाथरस जैसी घटनाओं का इंतजार करते हैं।
और अपराध होने के बाद कैंडल मार्च निकालकर अपराधी को सजा दिलाने के लिए सड़कों पर निकल जाते हैं।
क्या हमे चरस ,गांजा ,अफीम, शराब, जैसे नशीले पदार्थों के खिलाफ एकजुट होकर आवाज नहीं उठानी चाहिए???
क्योंकि यही एक वो चीज है, जो आजकल के नवयुवक ज्यादा रुपए पैसों की लालच में इस तरीके का कारोबार कर देश के अन्य लोगों को नशेड़ी बना रहे हैं, जिनका सेवन कर नशे की लत में बलात्कार जैसी घिनौनी हरकत कर देश कि बहू बेटियों को नोच रहे हैं ।
इस महंगाई के दौर मे हर बहू- बेटियों को दो वक्त की रोटी कमाने के लिए अपने घरों से काम पर निकलना पड़ता है, पर उसे सड़कों पर गलियों पर नशेड़ीयों का जुल्म सहना पड़ता है, और आवाज उठाने पर उसका बलात्कार कर बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया जाता है...
क्या बहू बेटियों की यही आजादी है??
यही आजादी है तो हमेें नहीं चाहिए ऐसी आजादी
कैसे हम बेटी पढ़ाओ -बेटी बचाओ के इस मुहिम को आगे बढ़ाएंगे ,जहां बहू बेटियां सुरक्षित नहीं?
हम इस लोकतांत्रिक देश में रह कर अखंड भारत का सपना देख रहें हैं जिस लोकतांत्रिक देश का लोहा पूरे विश्व में माना जाता है।
इस आजाद भारत में हमें दो वक्त की रोटी से ज्यादा अब हमें अपने बहू बेटियों की चिंता सताने लगी है! आखिर कब तक हम यूं ही चुप बैठे रहेंगे इन नशो के सौदागर और बलात्कारियों को सबक सिखाने के लिए।
सरकार ने बलात्कारियों को सख्त से सख्त सजा देने के लिए कानून तो बना दिया,
पर नशे की आड़ में इन सारी घटनाओं को अंजाम देने वाले नशेड़ीओ को रोकने और चरस, गांजा ,अफीम ,शराब जैसे सौदागरों के लिए सख्त से सख्त कानून नहीं बना!
इन तमाम प्रकार के नशो के कारोबार करने वालों के खिलाफ 10 से 20 साल कि सजा का प्रावधान तो है, पर तब तक जब तक साबित ना हो...
नशा को खत्म करने का सरकार के पास कोई भी प्रावधान नहीं है, और हम
पीड़िता को सांत्वना देने और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए सड़क पर उतरते हैं, हमें इन तमाम प्रकार के नशो को खत्म करने के लिए सड़क पर उतरना चाहिए, क्योंकि नशा ही एक ऐसा जहर है, जो आज के दौर में नवयुवकों को खोखला कर उसे बलात्कारी, आतंकवादी ,नक्सलवादी ,बना रही है।
हम जब तक सभी नशीले पदार्थों के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे तब तक निर्भया ,बेंगलुरु , हाथरस जैसे कांड हमारे सामने होते रहेंगे ,और हम हाथ में हाथ धरकर सड़कों पर अपराधियों को सजा दिलाने के लिए नारे लगाते रहेंगे।
और नशो के सौदागर नशे की लत पर हमारे देश की बहू -बेटीओ को इसी तरीके से नोचते रहेंगे...........
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