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Monday, October 19, 2020

आज चंद्रघंटा पूजा विशेष -- अरविन्द तिवारी की कलम से



 रायपुर — दैत्यों के संहार एवं धर्म की रक्षा और संसार से अंधकार मिटाने के लिये माँ दुर्गा अपनी तीसरी शक्ति चंद्रघंटा के रूप में प्रकट हुई। दुर्गा मांँ की तीसरी शक्ति का नाम ही चंद्रघंटा है। आज नवरात्रि के तीसरे दिन इसी देवी की पूजा आराधना की जाती है। इसका शस्त्र कमल है और सवारी सिंह है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है इसका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिये कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है। इस देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र होने के कारण इसे चंद्रघंटा कहा गया है । इनका शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल है इनके दसों हाथों में खड्ग , बाण आदि विभिन्न प्रकार के शस्त्र सुशोभित रहते हैं। इनका यह स्वरूप परम शक्तिदायी और तेजपूर्ण है। तीसरे दिन देवी की उपासना आराधना भयमुक्ति और साहस की ओर ले जाता है। मांँ तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती है और ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिये उद्यत रहने की होती है। मन कर्म और वचन के साथ समर्पणता से विधि विधान के अनुसार परिशुद्ध पवित्र होकर चंद्रघंटा देवी की उपासना आराधना करने से मनुष्य सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद का अधिकारी बन सकता है। इनकी कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधायें विनष्ट हो जाती हैं।इनकी आराधना फलदायी है। इनके उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनके घंटे की ध्वनि अपने भक्तों को प्रेतबाधा से रक्षा करती है।इनका ध्यान करते ही शरणागत की रक्षा के लिये इस घंटे की ध्वनि निनादित ह़ उठती है। इनकी आराधना से संसार में यश , कीर्ति एवं सम्मान प्राप्त होता है। इनको लाल रंग का फूल और लाल सेव चढ़ायें।


चंद्रघंटा देवी के मंत्र -- 


देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि ।

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

-- प्रचण्ड भुजदण्डों वाले दैत्यों का घमंड चूर करने वाली देवि तुम्हारी जय हो! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो, अर्थात् माँ दुर्गा के तृतीय रूप चंद्रघण्टा को बारंबार प्रणाम है।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थात् हे माँ! सर्वत्र विराजमान और चंद्रघंटा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।

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