अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
बिलासपुर - अपने एक रूपये मुहीम से गरीब बच्चों के स्कूल की फीस जमा करने वाली समाज सेविका सीमा वर्मा इन दिनों कोरोना संकटकाल में वर्चुअल रूप से भी लोगों को कोरोना संक्रमण से निपटने के लिये लगातार जागरूक कर रही हैं। आज उन्होंने लोगों में जागरूकता फैलाते हुये कहा कोरोना महामारी से जंग जितना है तो आप सकारात्मक बनें। इतिहास इस बात कि गवाह रही है कि हारा वहीं है जो विकट परिस्थितियों में घबरा गया , जिसे नकारात्मकता ने घेर लिया। उन्होंने इस वैश्विक महामारी के विकट परिस्थितियों में धैर्य से काम लेकर अपना और अपनों का मनोबल बनाये रखने की बात कही। सुश्री वर्मा ने आगे कहा कि मनोबल बनाये रखने से जल्द ही यह बुरा दौर समाप्त हो जायेगा और आप फिर से अपनी समान्य जिंदगी जी सकेंगे। उन्होंने लोगों को सलाह देते कहा कि सकारात्मक रहने के लिये आप अपने मनपसंद किताबे पढ़ें , अपने हुनर जैसे डांस , गाना , पेंटिंग , इनडोर गेम आदि को निखारें। उन्होंने बताया कि यह लॉकडॉउन अपने परिवार के साथ आपकी क्वालिटी टाइम बिताने के लिये हैं , इस समय का सही उपयोग करें। लाकडाउन के दौरान आप अपने परिवार वालों से मोटिवेशनल बातें करें , योग करें , देशी घरेलू नुस्खों जैसे काढ़ा , भाप लेना ,गरम पानी , गरम भोजन ,विटामिन सी आदि का सेवन करें। इस समय आप बिल्कुल भी नहीं घबरायें , सब जल्द ही समान्य होगा। बेवजह घर से बाहर ना निकलें , आवश्यक हो तो मास्क पहन कर ही बाहर जायें। बाहर से जब आप वापस लौटें तो साबुन से हाथ पैर धोयें , इस तरह आप इन छोटी और महत्वपूर्ण उपायों को करके अपनी और अपनों को कोरोनावायरस से बचा सकते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुये कहा कि नकारात्मक विचारो के साथ नकारात्मक खबरों से भी दूर रहें , ऐसा करने से यकीन मानिये हम जरूर कोरोना से जंग जीतेंगे। मुझे उम्मीद है हम सब इस लाकडाउन के समय में घर पर सुरक्षित रते हुये सकारात्मक सोच के साथ अपनी और अपनों का खयाल रखेंगे।
अपने एक रूपये मुहिम के बारे में चर्चा करते हुये सीमा वर्मा ने अरविन्द तिवारी को बताया कि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना से उन्हें एक रूपये मुहिम की प्रेरणा मिली। पांच सालों में एक रूपये अभियान से पैसा जोड़कर सीमा वर्मा ने अभी तक 34 गरीब विद्यार्थियों का साल भर का पढ़ाई शुल्क अदा किये हैं। वे पचास से ज्यादा बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के साथ साथ लगभग 13000 बच्चों को किताबें , स्टेशनरी बांट चुकी हैं। इसके अलावा वे बच्चों की प्रतिभा निखारने के लिये विभिन्न प्रतियोगिता और खेल कार्यक्रम आयोजित कराती हैं , गुड टच - बैड टच , पाक्सो एक्ट , मौलिक अधिकार ,बाल विवाह , राइट टू एजुकेशन , बाल मजदूरी की जानकारी देकर बालिकाओं को जागरूक करती हैं और बच्चों में समानता की भावना बनाये रखने के लिये एक साथ भोजन परंपरा दायित्व का भी निर्वहन करती हैं।इनका मुख्य उद्देश्य समाज को जागरूक करना है , उनका कहना है कि जागरूकता से ही अपराध में कमी आयेगी। सीमा लोगो से अपील करती है दिया तले अंधेरा ना बनें बल्कि जहां है वहीं पर रहते हुये लोगो की मदद करें। आप सिर्फ पैसों से ही नहीं बल्कि अपने अनुभव साझा कर के , लोगो को सही रास्ता बताकर भी उनकी मदद कर सकते हैं। मदद छोटी सी हो या बड़ी सही समय पर सही व्यक्ति की होनी चाहिये। सीमा के इस नि:स्वार्थ सेवा भाव से लोग लगातार जुड़ते जा रहे हैं और युवा इनसे प्रेरित होकर अपने आसपास जरूरत मंद लोगो कि मदद भी कर रहे हैं। एक युवा चाहे तो समाज को सही दिशा दे सकता है इस बात को सीमा ने सही कर दिखाया है। सीमा के इस नेक उद्देश्य को लोगो ने काफी सराहा है लोग इनसे प्रेरित हो कर लोगो की मदद भी करने लगे है। बिलासपुर के तत्कालीनं पुलिस अधीक्षक मयंक श्रीवास्तव ने जहां 06 बच्चों को गोद लिया था वहीं बिलासपुर रेंज के आईजी रतनलाल डांगी ने भी सीमा को आर्थिक सहायता दी। इनके इस नेक कार्य को राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली और अब तक इन्हें क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर के दो दर्जन से ज्यादा पुरस्कार मिलें हैं। सीमा की खास बात यह है कि इनका कोई एनजीओ नहीं है यह कार्य सिर्फ समाज को एक सकारात्मक संदेश देने के लिये कर रही हैं।


















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