अवैध सागौन की कटाई जारी वनपरिक्षेञ उकवा की लापरवाही या लाचारी
बालाघाट।वनविभाग द्वारा हजारों लाखों खर्च कर पर्यावरण दिवस और सुरक्षा सप्ताह,वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह और न जाने क्या क्या वनों व वन्यजीवों को बचाने के लिए प्रयास किया जाता है लेकिन सारे प्रयासों को कुछ लापरवाह किस्म के अधिकारी कर्मचारी विफल करने में लगे रहते हैं जो वनविभाग के लिए शर्म की बात होती है।आखिर क्या वजह है जो अवैध सागौन कटाई,अवैध रेत उत्खनन या अवैध अतिक्रमण को रोकने में विभाग नाकाम रहता है?आज यही लापरवाही उकवा वनपरिक्षेञ में देखी जा रही है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार इन दिनों उकवा वनपरिक्षेञ व नगरपालिका के क्षेत्र में जमकर अवैध सागौन की कटाई की जा रही है जिसको वनविभाग यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लेता है कि यह हमारे क्षेत्र में नही आता है।इसका मतलब साफ है कि वनविभाग के आंखों के सामने अवैध सागौन की कटाई हो रही है लेकिन विभाग नजरअंदाज कर रहा है जो अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही को उजागर करने के लिए काफी है।ऐसे में पर्यावरण दिवस और वन्यजीव संरक्षण दिवस मनाकर जनता के बीच क्या संदेश देने की कोशिश कर रहा है विभाग?
*विवादों में रहने वाले रेंजर मदनकर भी है इसके जिम्मेदार*
उकवा वनपरिक्षेञ के वर्तमान प्रभारी परसराम मदनकर है जो हमेशा विवादों में बने रहते हैं।सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार अपनी चाटूकारिता प्रवृत्ति के चलते रेंजर मदनकर विगत पांच सालों से बालाघाट जिले के लगभग सभी वनपरिक्षेत्र में कार्य कर चुके हैं और हर वनपरिक्षेञ में कुछ न कुछ नया कारनामा कर सुर्खियां बटोर कर ही जाते हैं।बिरसा,बैहर और लामता के बाद उकवा में अपने कार्यप्रणाली के चलते सुर्खियों में है।सबसे ज्यादा रेंजर मदनकर अपने गलत कारनामो से बिरसा वनपरिक्षेञ में सुर्खियां बटोर चुके हैं।जिसका खामियाजा आज भी बिरसा वनपरिक्षेञ भुगत रहा है।ग्राम बोरी का 200 एकड़ में अवैध अतिक्रमण हो या अवैध सागौन की तस्करी करते पकड़ी गई चार पहिया वाहन को स्वयं इस्तेमाल करते हुए दुर्घटना होना,जैसे अनगिनत सुर्खियां बटोर चुके है रेंजर मदनकर।अब शायद इनके कारनामो की वजह से उकवा वनपरिक्षेञ भी अछूता नहीं है जिसके कारण ही अवैध सागौन कटाई,अवैध रेत का उत्खनन तेजी से हो रहा है और साहब ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि यह मेरे क्षेत्र में नही है।ऐसे लापरवाह, चाटूकारिता वाले रेंजर को जिला से बाहर करने की सख्त जरूरत है।जिसकी मांग क्षेत्र की जनता के साथ साथ इनसे त्रस्त कर्मचारी भी कर रहे हैं।अब देखना यह है कि विभाग इनके ऊपर क्या कार्यवाही करता है।
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