गुण्डरदेही मे हुआ चंदैनी गोंदा पर विचार गोष्ठी , कई नामी साहित्यकार कवि व कलाकार रहे मौजुद
गुण्डरदेही । लोक कला संस्कृति समिति चिन्हारी के संचालक देवेंद्र कुमार देशमुख द्वारा गुण्डरदेही में छत्तीसगढ़ की संस्कृति की यात्रा चंदैनी गोंदा स्व दाऊ रामचंद्र देशमुख के उपर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया मुख्य अतिथि चंदैनी गोंदा के प्रथम उद्घोषक डॉ सुरेश देशमुख सेवानिवृत्त प्रोफेसर धमतरी थे। प्रमुख वक्ता छंद के छ के प्रवर्तक एवं टिकरी निवासी जनकवि स्वर्गीय कोदूराम दलित के सुपुत्र अरुण निगम रहे।
विशेष अतिथि डोमन लाल ध्रुव प्रचार प्रसार अधिकारी लोक संस्कृति के अध्येता डॉ एसएस धुर्वे प्राचार्य व लेखक केंद्रीय विद्यालय धमतरी तथा समीक्षक डॉ संतराम देशमुख विमल बाल साहित्यकार बलदाऊ राम साहू दुर्ग मानस मंजूषा तुलसी प्रतिष्ठान छत्तीसगढ़ के संपादक जगदीश देशमुख एवं वरिष्ठ लोक साहित्यकार सीताराम साहू श्याम रहे। अतिथियों ने सर्वप्रथम मां शारदा की पूजा अर्चना कर दाऊ रामचंद्र देशमुख की तस्वीर पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम शुभारंभ किया तत्पश्चात अतिथियो का काव्या अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मान किया गया वक्ता के रूप में अपनी बात रखते हुए सीताराम साहू श्याम ने चंदैनी गोंदा की 1971 से 1982 तक देखी हुई प्रस्तुति की महत्ता का वर्णन किया व उनके प्रति सकारात्मकता पर चर्चा की जगदीश देशमुख ने सांस्कृतिक शंखनाद चंदैनी गोंदा के विभिन्न पहलुओं का जिक्र किया बलदाऊ राम साहू ने चंदैनी गोंदा के सामाजिक सरोकार पर प्रकाश डाला डॉ एसए ध्रुवे व दुमन धमतरी ने उसके गीत संगीत की महत्ता और भव्यता पर प्रकाश डाला मुख्य वक्ता अरुण निगम दुर्ग ने चंदैनी गोंदा से जुड़े उस समय की अनेक बातों को संस्मरण आत्मिक अंदाज में सुनाते हुए लक्ष्मण मस्तुरिया के गीतों की शिष्टता पर प्रकाश डाला मुख्य अतिथि चंदैनी गोंदा के प्रथम उद्घोषक ने अपनी आवाज और मनमोहक शैली में चंदैनी गोंदा की 99 प्रस्तुतियों एवं उसकी सृजन यात्रा के अनेक रोचक बातों का जिक्र किया दाऊजी के चिंतन और जीवन दर्शन को रेखांकित किया उन्होंने कहा कि नाचा में दर्शकों को परोसी जाने वाले विकृतियों को महसूस कर गीतों में मौलिकता को स्थान दिया व फिल्मी प्रभाव को दूर किया अपनी संस्कृति को निहारती शोषण और उत्पीड़न के बीच आशा और विश्वास जगाना चंदैनी गोंदा की प्रकृति रही चंदैनी गोदा को देखने श्रोताओं की 50 हजार से ज्यादा की भीड़ रहती थी अनुशासन और समय की पाबंदी उसकी सफलता का मूलमंत्र रहा चंदैनी गोंदा के बाद अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं कला मंडलियों की स्थापना हुई उस समय के दिग्गज कलाकार खुमान लाल साव लक्ष्मण मस्तूरिया रविशंकर शुक्ला केदार यादव किस्मत बाई बेजोड़ थे उसका विकल्प मुश्किल है उन्हें पुण्य स्मरण किया गया महादेव हिरवानी गोविंद साहू उग्रसेन देवदास राकेश साहू ने दीया के बाती ह कहिथे , मोर संग चलो रे, मैं छत्तीसगढ़िया हूं और तोर धरती तोर माटी तथा पूजा देशमुख एवं साथियों ने परव तोर पैया गीत गाकर आयोजन में चार चांद लगा दिया काव्या अभिनंदन पत्र केशव राम साहू रमेश यादव ने भेंट किया चंदैनी गोंदा छत्तीसगढ़ की संस्कृति की यात्रा दाऊ रामचंद्र देशमुख व्यक्तित्व एवं कृतित्व जो कि लगभग 500 पृष्ठों के ग्रंथ किताब को सरोज मुखी के लेखक संचालक कृष्ण कुमार साहू एवं आयोजक तथा लोक संस्कृतिक समिति चिन्हारी सुरेगांव के संचालक देवेंद्र कुमार देशमुख को भेंट किया इस आयोजन में सरस साहित्य समिति गुण्डरदेही के कवि गण शिवकुमार अंगारे गजपति राम साहू द्रोण कुमार सार्वा माखन साहू रमेश यादव केशव राम साहू कृष्ण कुमार साहू भूषण कुमार साहू लिलार सिन्हा पुरन महादेवा चिंताराम साहू जवारा के संचालक धन्नालाल शारदा देशमुख महेश सुरेश लोकेश्वर पटेल मनोज ठाकुर पूनम देशमुख निकिता मोनिका प्रिया निषाद डिलीवरी हेमलता पटेल की भागीदारी रही लोक असर के संपादक दरवेश आनंद संपूर्ण कार्यक्रम में उपस्थित रहे उक्त कार्यक्रम का संचालन युवा साहित्यकार जयकांत पटेल ने किया चंदैनी गोंदा पर केंद्रित किताब का अध्ययन कर पटेल ने अनेक प्रसंगों का समय अनुकूल जिक्र कर उसकी प्रसंग को बताकर जिज्ञासा बढ़ाते रहें वही प्रोफेसर डॉ सुरेश देशमुख ने भी इस तरह के आयोजन कि प्रशंसा की दीपक चंद्राकर लोकरंग अर्जुन्दा सोना बादर संचालक जितेंद्र साहू साहू संचालक कारी बदरिया मोखा संचालक धरोहर संचालक महादेव हिरवानी जैसे कलाकार व साहित्यकार मौजूद थे
सी एन आई न्यूज के लिए गुण्डरदेही से भानु साहू की रिपोर्ट
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