आपातकालीन 108 में ड्यूटी कर रहें कर्मचारी को ड्यूटी से वंचित किया जा रहा हैं,रोजगार वापस दिलाया जाए के संबंध में राकेश्वर चतुर्वेदी ने मरवाही अनुविभागीय अधिकारी के माध्यम से सीएम भूपेश बघेल को लिखा पत्र...
—जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही से सूरज यादव कि खास
CNI NEWS जीपीएम/राकेश्वर चतुर्वेदी निवासी परासी मरवाही आपातकालीन डायल 108 में पायलट हैं,और विगत 2वर्षो से इस सेवा से जुड़े हुए और लोगो को अपनी सेवाएं दे रहा हूं।वैश्विक महामारी कोरोना काल में मैंने अपनी जान की परवाह न करते हुए पूरे समर्पण और इमानदारी से लोगों को अपनी सेवाएं दिया। परंतु पिछले 1 महीने से मुझे हमारे प्रबंधन के द्वारा घर में बैठा दिया गया है, बिना कारण बिना पूर्व सूचना के ड्यूटी के लिए संस्था से जिला प्रबंधक से बार-बार निवेदन करने के उपरांत ड्यूटी के लिए मुझे गोल गोल घुमाया जा रहा है,मैं बहुत ही गरीब परिवार से आता हूं और इस कार्य के भरोसे ही अपने परिवार और बुजुर्ग माता-पिता का देखभाल करता हूं परंतु पिछले 1 महीने से मुझे कार्य ना मिलने,वा प्रबंधन द्वारा मुझे ड्यूटी हेतु आज देंगे कल देंगे करके घुमाए जाने पर मानसिक रूप से टूट चुका हूं।थक हार कर मैंने न्याय के लिए अपनी रोजी रोटी के लिए जिला कलेक्टर के पास अपनी गुहार लगाई है।
इससे ज्यादा आश्चर्यजनक,निंदनीय और भला क्या हो सकता है इस प्रकार की बातों का सामने आना अपने आप में एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है सिस्टम पर प्रबंधन पर और जिम्मेदार लोगों के कार्यशैली पर। एक व्यक्ति जो पिछले 2 सालों से पूर्णत इमानदारी से समर्पण की भावना के साथ सरकार के साथ सिस्टम के साथ कदम से कदम मिलाकर काम किया हो, कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में और उसके तीनों लहरों में अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने परिवार की परवाह न करते हुए फ्रंटलाइन कोरोना वारियर वन कर जिन्होंने सैकड़ों हजारों लोगों की जान बचाई हों उनके साथ इस प्रकार का बर्ताव किस प्रकार की मानसिकता का परिचायक है।एक आपातकालीन कर्मचारी जो विगत 2 सालों से रात दिन पूरी तन्मयता के साथ सिस्टम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कदम से कदम मिलाकर काम कर रहा हो, और जरूरतमंद बीमारों को मरीजों को अपनी सेवाएं दे रहा हो उसको विगत महीने भर से बिना कारण बिना किसी लिखित सूचना या बिना पूर्व सूचना के नौकरी से बैठाया जाना और जिम्मेदारों से प्रबंधन से जिला प्रबंधक से कारण पूछे जाने पर, ड्यूटी के लिए निवेदन किए जाने पर आज करेंगे कल करेंगे इससे बात करके करेंगे उससे बात करके करेंगे। कह कर महीने भर से उक्त व्यक्ति को गोल-गोल घुमाना उसको मानसिक रूप से क्या प्रताड़ित किया जाना जैसा नहीं है,पूरी कार्यवाही को गौर से देखें और उस पर विचार करने पर सिर्फ और सिर्फ एक ही बात सामने निकलकर आती है,कि यह जो कार्रवाई है पूर्ण रूप से बदले की भावना से प्रेरित जान पड़ती है।
अब सवाल यह उठता है कि ऐसे विषयों पर ऐसे मामलों पर न्याय देगा कौन न्याय करेगा कौन या यूं ही एक असहाय व्यक्ति एक असहाय कर्मचारी प्रताड़ित होता रहेगा,दर-दर की ठोकरें खाता रहेगा,मरता रहेगा आखिर जिम्मेदार कौन और क्या उन जिम्मेदारों पर कड़ी कार्यवाही होंगी जो ऐसी बातों के सामने आने या होने के जिम्मेदार है।
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