पंढरीनाथ मंदिर में परंपरागत होली जनकवि बाबू रेवाराम द्वारा लिखित गुटका भजन आयोजन
रतनपुर से ताहिर अली की रिपोर्ट
रतनपुर...ऐतिहासिक नगरी रतनपुर में होली की अपनी एक अलग पंपरा रही है प्राचीन काल से ही यहा के प्रसिद्ध मंदिरों में होली बैठक का आयोजन होते रहा है इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए और नगर के प्रसिद्ध पंढरीनाथ मंदिर में परंपरागत होली बैठक का आयोजन किया गया जहां पर जनकवि बाबू रेवाराम द्वारा लिखित गुटका भजन के माध्यम से होली गीतों का परंपरागत ढंग से गायन करते हुए होली उत्सव उल्लासपूर्ण वातावरण में मनाया गया।ज्ञात हो कि नगर के हृदय स्थल में स्थित श्री विट्ठल नाथ मंदिर में नगर के सांस्कृतिक परंपराओं को जीवंत रखते हुए प्रत्येक उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है इसी कड़ी में होली उत्सव का आयोजन किया गया।नगर के बुजुर्गों द्वारा आयोजित इस आयोजन का उद्देश्य अपनी पुरानी विरासत को संभालते हुए नवयुवकों को इस आयोजन से जोड़कर ऐतिहासिक परंपरा को ऊनको सौपना है। मंदिर के व्यवस्थापक एवं पुजारी पंडित आनंद नगरकर ने बताया कि होली मनाने की अपनी प्राचीन परंपरा रही है जिसे होली बैठक के रूप में हम सभी जानते हैं इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हमने यह आयोजन किया था कि युवा पीढ़ी भी अपनी पुरानी विरासत को समझ सके आज के इस आयोजन में बड़े बुजुर्गों के अलावा बड़ी संख्या में युवा वर्ग का भी शामिल होना इस बात का संकेत है कि युवा अब हमारी विरासत को संभालने के लिए सजग होते जा रहे हैं।होली बैठक की शुरुआत सर्वप्रथम भगवान पांडुरंग एवं माता रुकमणी को अबीर गुलाल अर्पित करते हुए परंपरागत शक्कर का माला जिसे हरवा कहते हैं उसे पहनाया गया जिसके बाद फाग उत्सव का शुभारंभ बाबू रेवाराम के भजनों के माध्यम से किया गया। होली बैठक के अंत ठंडाई प्रसाद का वितरण सभी को किया गया इस आयोजन को सफल बनाने में नगर के सभी वर्गों का विशेष योगदान रहा
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