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Wednesday, November 15, 2023

जाने भाई दूज मनाने के पीछे की मान्यता, क्या है इसकी कहानी

 लोकेशन/सिमगा

रिपोर्टर/ओंकार प्रसाद साहू


जाने भाई दूज मनाने के पीछे की मान्यता, क्या है इसकी कहानी



तिल्दा नेवरा : आज भाई दूज का पवित्र त्यौहार है। जिसे पुरे भारत के लोग मना रहे हैं। यह भाई दूज का त्यौहार छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध पारंपरिक मातर पर्व पर ही कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया तिथि 14 नवंबर 2023 को दोपहर 02:36 बजे से शुरू हो रही है और इसका समापन 15 नवंबर 2023 को दोपहर 01:47 बजे होगा. उदया तिथि के हिसाब से भाई-बहन का त्‍योहार भाई-दूज 15 नवंबर बुधवार को मनाया जाएगा. भाई दूज पर वैसे तो राहुकाल को छोड़कर बहनें कभी भी भाई को तिलक कर सकती हैं. लेकिन अगर अतिशुभ समय की बात करें तो ये सुबह 06:44 से 09:24 बजे तक है. इस दिन राहुकाल दोपहर 12:03 से 01:24 बजे तक रहेगा। 


ज्ञात हो कि इस भाईदूज का त्यौहार के बारे में ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो भाई-बहन के इस पर्व की शुरुआत यमुना जी ने की थी. यमराज और यमुना दोनों ही सूर्यदेव की संतानें हैं. यमराज अपनी बहन यमुना को बहुत प्‍यार करते थे. एक बार उन्‍हें अपनी बहन की काफी याद आ रही थी. उसे देखे हुए अरसा बीत गया था. तब वो अचानक बहन यमुना के घर पहुंच गए. भाई को देखकर यमुना अति प्रसन्न हुईं. उन्होंने भाई के स्वागत के लिए ढेरों पकवान बनाए. जब वो जाने वाले थे, तो यमुना ने उनके मस्तक पर तिलक किया और मिष्ठान खिलाया और नारियल भेंट स्‍वरूप दिया. इसके बाद यमराज ने अपनी बहन से कहा कि वो उनसे उपहार स्वरूप एक वरदान मांग लें अयसा कहाँ । 


वही तब यमुना जी ने कहा कि भइया मेरे पास सब कुछ है, बस आपसे विनती है कि आप हर साल इस दिन कम से कम एक बार मेरे घर जरूर आएं. यमराज ने तथास्‍तु बोल दिया. साथ ही कहा कि आज के दिन मैं ही नहीं, बल्कि जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उससे माथे पर तिलक करवाएगा, उस भाई को यमराज लंबी उम्र का आशीष देंगे। उसके जीवन की हर बला दूर हो जाएगी अयसा मान्यता हेगी। 


तिलक के समय इन नियमों का करें पालन



बता दें कि भाई दूज के दिन की शुरुआत यमराज और यमुना जी ने की थी, इसलिए भाई और बहन दोनों को ही तिलक करने से पहले यमराजऔर यमुना जी की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद भाई का तिलक करना चाहिए.  पूजा के दौरान बहन को भाई की सभी मुसीबतें दूर करने और उसे लंबी आयु प्रदान करने की प्रार्थना करनी चाहिए। 


बात यह भी कहां गया है कि जब भी तिलक करें तो ध्‍यान रखें कि तिलक कराते हुए भाई का मुंह उत्तर या उत्तर-पश्चिम में से किसी एक दिशा में होना चाहिए और बहन का मुंह उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में होना चाहिए। 


जब इस पर्व पर भाई को तिलक करने से पहले तक बहन को व्रत रखना चाहिए. आपकी निष्‍ठा, प्रेम और समर्पण से भगवान भी प्रसन्‍न होते हैं और आपके व भाई के बीच का रिश्‍ता अच्‍छा बना रहता है. बहन को तिलक करने के बाद ही अपना व्रत खोलना चाहिए। 


वही तबही तिलक करने के बाद भाई को मिष्ठान जरूर खिलाएं. बहन को भाई को अपने हाथों से मिष्ठान खिलाना चाहिए. ऐसा करना शुभ माना जाता है. साथ ही हर भाई अपनी बहन को आज के दिन सामर्थ्‍य के अनुसार कुछ न कुछ उपहार जरूर दें। 


मान्य यह भी है कि भाई दूज के दिन भाई और बहन, दोनों को किसी तरह का विवाद नहीं करना चाहिए और न ही एक दूसरे को अपशब्द कहने चाहिए. अगर आपके और बहन के बीच किसी तरह का झगड़ा है, तो आज के दिन उसे सुलझाकर मनमुटाव दूर कर लें। 


गौरतलब हो कि भाई दूज के दिन भाई अपनी बहन के घर जाता है. इस दिन बहन को भाई का पूरे मन से सत्‍कार करना चाहिए. उसे भोजन आदि खिलाना चाहिए. अगर भाई किसी कारण घर न आ सके तो भाई के घर तिलक की सामग्री और सूखे नारियल को भिजवा दें। 


वही माना गया है कि भाई जो भी उपहार दे, बहन को उसे प्रेमपूर्वक स्वीकार करना चाहिए. भाई के उपहार का निरादर न करें. भाई को भी पूरे मन से बहन को गिफ्ट देना चाहिए। 



इस दिन ध्यान दिया जाना चाहिए कि तिलक के दौरान भाई या बहन, किसी को भी काले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए. शास्त्रों में शुभ कार्यों के दौरान काले वस्त्र पहनने की मनाही है। 


क्‍यों बहनें भाई को देती हैं नारियल



ज्ञात हो कि भाई दूज के दिन तिलक करने के बाद बहनें भाई को नारियल का गोला उपहार में देती हैं. माना जाता है कि जब यमराज पहली बार यमुना के घर इस दिन पहुंचे थे, तो बहन यमुना ने उनका खूब सत्‍कार किया था और चलते समय नारियल का गोला भेंट किया था. तभी से भाई दूज के दिन नारियल भेंट करने की प्रथा शुरू हो गई।

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