मृत्यु के भय से मुक्त करती है भागवत कथा-- आचार्य संजय शर्मा
चरौदा मे कलश यात्रा के साथ शुरू हुई भागवत कथा
तिल्दा नेवरा - - समीपस्थ ग्राम चरौदा 31 जनवरी से8 फरवरी तक वर्मा परिवार द्वारा श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया गया. जिसमें कथा वाचक आचार्य संजय शर्मा जी, निनवा वाले श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराएंगे. कथा के प्रथम दिन शुक्रवार को भव्य कलश यात्रा निकाली गयी. तत्पश्चात आचार्य शर्मा जी ने भागवत कथा की महिमा और गोकर्ण महात्म्य से भागवत कथा श्री गणेश किए. उन्होंने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से मानव मन में परमात्मा के प्रति प्रेम और भक्ति का उदय होने के साथ आचरण शुद्ध होता है।उन्होंने आचारवान पुरुषों वेद: सूक्ति का विवेचन करते हुए कहा कि आचरणवान पुरुष चलता-फिरता वेद रूप होता है और भगवान की कथा मनुष्य को यह स्वरूप प्रदान करने में पूर्ण समर्थ है। श्री सच्चिदानंद का शाब्दिक विग्रह करते हुए कथा व्यास ने कहा कि भगवान सर्वकालिक, चैतन्य और ज्ञान वान हैं। संसार के सभी सुख अस्थायी और क्षणभंगुर हैं किंतु ईश्वर के सानिध्य से प्राप्त होने वाला सुख शाश्वत होता है। श्रीमद् भागवत कथा अंधकार से प्रकाश अर्थात अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाती है. भगवान की कथा और सत्संग की शक्ति से मनुष्य का स्वभाव समाज में प्रशंसनीय हो जाता है। भागवत कथा मे भक्ति, ज्ञान और वैराग्य तीनों का समावेश होता है. उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा मानव को मृत्यु के भय से मुक्त कर देती है. जीव ईश्वर का स्वरूप होते हुए भी ईश्वर को पहचानने का प्रयत्न नहीं करता है। इसी कारण उसे आंनद की प्राप्ति नहीं होती है।भागवत ज्ञान, वैराग्य को जागृत करने की कथा है। ज्ञान और वैराग्य मनुष्य के अंदर हैं, पर वह सोए हुए हैं। भागवत के अलावा अन्य कोई ग्रंथ नहीं जो मनुष्य मात्र को सात दिन में मुक्ति का मार्ग दिखा दे। श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है।. उन्होंने कहा कि कथा को सुनने के साथ साथ अपने जीवन मे उतारना भी आवश्यक होता है.. भागवत कथा से जीव को धर्म, अर्थ, काम और मरणोपरांत मोक्ष गति प्राप्त होती है. इस कथा से मनुष्य, भूत, प्रेत, किट पतंग, सभी जीव का उद्धार हो जाता है. उन्होंने बताया कि धुंधुकारी जैसा महापापी जो कि मरने के बाद प्रेत योनि को प्राप्त हुआ, भागवत कथा श्रवण मात्र से प्रेत योनि से उनकी मुक्ति हुई और सीधे भवसागर पार उतर गया. आचार्य शर्मा जी ने कहा कि
भगवान के चरणों में जितना समय बीत जाए उतना अच्छा है। संसार में एक-एक पल बहुत कीमती है। जो बीत गया उसे जाने दें। इसलिए जीवन को व्यर्थ में बर्बाद नहीं करना चाहिए। भगवान द्वारा प्रदान किए गए जीवन को भगवान के साथ और भगवान के सत्संग में ही व्यतीत करना चाहिए।
इस संसार में जो भगवान का भजन न कर सके वह सबसे बड़ा भाग्यहीन है। भगवान इस धरती पर बार-बार इसलिए आते हैं ताकि हम कलयुग में उनकी कथाओं का आनंद ले सकें और कथाओं के माध्यम से अपना चित्त शुद्ध कर सकें। कोई भी अच्छी बात कहे चाहे वह छोटा हो या बड़ा हो तो उसकी बात मानना चाहिए| वक्त और वक्ता में से वक्ता से सुधर जाओगे तो कभी बुरा वक्त नहीं आएगा| मन को गुरु बनाया तो मन की सुनोगे और मनमानी करोगे इसलिए मन मुखी नहीं हमेशा गुरुमुखी बनो| वह तुम्हें हमेशा सही रास्ता दिखाएगा. तिल्दा नेवरा से अजय नेताम की रिपोर्ट
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