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Saturday, July 19, 2025

छत्तीसगढ़ में जनविश्वास विधेयक पारित: अब आपराधिक मुकदमा नहीं ,लगेगा जुर्माना ।विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम: मुख्यमंत्री ।

 छत्तीसगढ़ में जनविश्वास विधेयक पारित: अब आपराधिक मुकदमा नहीं ,लगेगा जुर्माना ।विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम: मुख्यमंत्री ।    




         सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी। रायपुर-छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज जनविश्वास विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ। यह विधेयक राज्य में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इस ऐतिहासिक विधेयक का उद्देश्य अंग्रेजों के समय से चले आ रहे कई ऐसे कानूनों को संशोधित करना है, जो नागरिकों और कारोबारियों द्वारा की गई छोटी-मोटी त्रुटियों को भी आपराधिक कृत्य की श्रेणी मेें शामिल थे।


मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस विधेयक को विकसित भारत-विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लाए गए भारतीय न्याय संहिता की तर्ज पर, छत्तीसगढ़ अब मध्य प्रदेश के बाद दूसरा राज्य बन गया है, जिसने जनविश्वास विधेयक पारित किया है। इस विधेयक का उद्देश्य राज्य में रोजगार व्यवसाय को आसान बनाने के साथ-साथ गैर अपराधिक श्रेणी के मामलों में व्यापारियों एवं आम नागरिकों न्यायालयीन मुकदमे से संरक्षित करना और एक सुगम व्यावसायिक एवं जिम्मेदारी पूर्ण वातावरण तैयार करना है। यह विधेयक दंड देने के बजाय व्यवसाय को दिशा देने और ऐसी नीति बनाने में सहायक है, जो व्यावहारिक और संवेदनशील हों।


इस विधेयक का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह आम नागरिकों और कारोबारियों द्वारा किए गए छोटे-मोटे तकनीकी उल्लंघनों को आपराधिक श्रेणी से हटाकर जुर्माने (शास्ति) के दायरे में लाता है। इससे अनावश्यक मुकदमेबाजी और अदालतों पर बोझ कम होगा, साथ ही नागरिकों को छोटी गलतियों के लिए आपराधिक मामलों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस विधेयक में छत्तीसगढ़ राज्य के नगरीय प्रशासन विभाग, नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम, और छत्तीसगढ़ सहकारिता सोसायटी अधिनियम से संबंधित 8 अधिनियमों के 163 प्रावधानों में बदलाव किया गया है ।विधेयक का लक्ष्य उद्यमियों को नियामकीय सूचनाओं से संबंधित देरि कै लिए अपराधीक मुकदमे कै डर से  मुक्ति दिलाना है ।विधेयक में छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम 1915 के प्रावधान में भी संशोधन किया गया है ।           नगरीय प्रशासन विभाग के अधिनियम के तहत मकान मालिक द्वारा किराया वृद्धि  कि सूचना नहीं दिये जाने के मामले में आपराधिक मामला दर्ज किए जाने के प्रावधान को संशोधित कर अब अधिकतम १००० रुपये की  शास्ति का प्रावधान किया गया है। इसी तरह किसी सोसायटी द्वारा वार्षिक प्रतिवेदन दाखिल करने के मामले में विलंब कि स्थिति में आपराधिक कार्यवाही कै प्रावधान को संशोधित कर नाममात्र कै आर्थिक दंड में बदल दिया गया है। महिला समूहों के मामलों में इसे और भी न्यूनतम  रखा गया है।

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