सी एन आई न्यूज़ रिपोर्टर रमेश श्रीवास्तव पिथौरा 9977708864
छठी मैया का महापर्व पिथौरा में मनाया गया बहुत धूमधाम से। यह पर्व सूर्य उपासना का महापर्व है
यह पर्व, सूर्योपासना का महापर्व कहलाता है, जो प्रति वर्ष दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी शाम से सप्तमी प्रातः काल तक कुल 04 दिन का रहता है, इसमें ब्रत करने वाले पुरुष या महिलाएं पूरे 36 घंटे बिना अन्न ग्रहण किए उपवास करती हैं।
लोक आस्था का यह महापर्व पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में बड़े धूमधाम से मनाया जाता था, परंतु , कमोवेश अब पूरे देश_विदेश मे भी यह पर्व मनाया जाने लगा है। कहीं_कहीं यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है परंतु दीपावली के बाद वाली छठ पूजा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
इस व्रत को पारिवारिक सुख और समृद्धि के लिए किया जाता है. यह त्योहार चार दिन तक मनाया जाता है. इस दौरान महिलाएं नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं. कहीं _कहीं पुरुष भी इस उपवास को करते हैं।
छठ की शुरुआत__
ऐसी मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सर्वस्व हार गए, तब द्रौपदी बहुत दुःखी थीं, उस समय श्रीकृष्ण भगवान ने उन्हें सूर्य भगवान की पूजा करने के साथ ही साथ छठ मैया का उपवास करने की सलाह दी थी। इसी उपवास के फलस्वरूप द्रोपदी को अक्षय भोजन पात्र मिला जिसमे भोजन कभी कम नहीं पड़ता था। सूर्य की सविता शक्ति गायत्री को ही छठी मईया भी कहा जाता है। गायत्री कल्पवृक्ष है, इससे असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाते है। तभी से ऐसी मान्यता है कि, छठ मैया का उपवास करने और,सूर्योपासना करने से दौपद्री की तरह सभी ब्रतियों की मनोकामनाएं पूरी होती है ,और तभी से इस व्रत को करने प्रथा चली आ रही है।
छठ पूजा विधि__
छठ पूजा 4 दिनों तक की जाती है, इस व्रत की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को और समापन कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होता है। इस दौरान व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं, इस दौरान वे अन्न नहीं ग्रहण करते है । कुछ लोग उपवास के दौरान पूरे 36 घंटे तक जल भी ग्रहण नहीं करते हैं, परंतु यह उचित नहीं है,जल अथवा फलों का जूस एक एक घण्टे में पीते रहना चाहिए जिससे पेट की सफ़ाई होती रहे और शरीर में नमी की कमी न होने पाए।
अनुष्ठान मन्त्र एवं विधि __
व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य के पालन के साथ ही साथ भूमि पर शयन करना चाहिए, कम से कम सोयें और उगते हुए सूर्य का ध्यान करें।
प्रति दिन सुबह, दोपहर, शाम 03 बार पूजन करें, प्रति दिन गायत्री महामंत्र, महा मृत्युंजय मंत्र, भगवान चित्रगुप्त मंत्र एवम सूर्य गायत्री मंत्र का 108 बार जप करें। भगवान सूर्य को सुबह, शाम अर्घ्य दें।
गायत्री महामंत्र _ _
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्
महामृत्युंजय मन्त्र__
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
सूर्य गायत्री मन्त्र __
ॐ भाष्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि, तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्*
भगवान चित्रगुप्त मंत्र _
ॐ तत्पुरुषाय विद्यमहे चित्रगुप्ताय धीमहि तन्नो लेखा प्रचोदयात,
सूर्य अर्घ्य देने की विधि __
यदि घर के आसपास नदी
तालाब या कोई जलाशय हो तो कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य दें, यदि नहीं है तो घर की छत पर या ऐसी जगह अर्घ्य दें जहाँ से सूर्य दिखें। सूर्योदय के प्रथम किरण में अर्घ्य देना सबसे उत्तम माना गया है। पूर्व की तरफ मुख करके इस प्रकार जल अर्पण करें कि,सूर्य तथा सूर्य की किरणें जल की धार से दिखाई दें।ध्यान रखें जल अर्पण करते समय जो जल सूर्यदेव को अर्पण कर रहें है वह जल पैरों को स्पर्श न करे,सम्भव हो तो आप एक पात्र रख लीजिये ताकि जो जल आप अर्पण कर रहे है उसका स्पर्श आपके पैर से न हो पात्र में जमा जल को पुनः किसी पौधे में डाल दें।
सूर्य अर्घ्य मन्त्र __-
‘ॐ सूर्य देव सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।
ॐ घृणि सूर्याय नमः।
ऊँ सूर्याय नमः।
ॐ भास्कराय नमः।
ॐ आदित्याय नमः।
छठ पूजा का प्रसाद
छठ पूजा में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. इस दौरान छठी मैया को लड्डू, खीर, ठेकुआ, फल और कष्ठा जैसे व्यंजन के भोग लगाए जाते हैं. छठ मे कई प्रकार की पारंपरिक मिठाईयां भी बनाई जाती हैं , प्रसाद में लहसुन और प्याज का उपयोग नहीं किया जाता है, तथा साफ _सफाई का विशेष ध्यान रखना होता है।
भगवान सूर्य और छठ मैया आपकी मनोकामना पूर्ण करें।
डा शिव शरण श्रीवास्तव "अमल "(कवि, लेखक, वक्ता, मोटीवेटर, ज्योतिषी एवं समाजसेवी _पूर्व बैंक प्रबंधक, राष्ट्रीय अध्यक्ष _लोक संचेतना फाऊंडेशन ट्रस्ट भारत)



















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