अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर -- इस कविता की लेखिका कुमारी पूजा चतुर्वेदी डा० खूबचंद बघेल शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय भिलाई -3 की बी०ए० प्रथम वर्ष की छात्रा एवं राष्ट्रीय सेवा योजना बालिका इकाई की स्वयंसेविका हैं। तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी पूजा चतुर्वेदी का धार्मिक कार्य , अध्ययन , पीपल नीम तुलसी अभियान के तहत विकलांग पौधों का संरक्षण कर पौधारोपण एवं लेखन क्षेत्र में भी काफी रुचि है। समय समय पर इनके द्वारा कहानी , कविता , गजल लिखा जाता है। आईये पढ़ते हैं उनकी लिखी कविता ---
रूठो बेशक अपनो से ,
लेकिन मनाने पर मान जाओ ।
अपने तो आखिर अपने हैं ,,
ये बात तुम जान जाओ---
अब तो तुम मान भी जाओ ।।
हो जाती है कभी गलती से भी गलती
ना की हो जिसने कभी गलती
सामने ऐसा वो इंसान लाओ ,,
अब तो तुम मान जाओ।।
अक्सर टूटने पर पता चलती है अहमियत
अनमोल दिल के रिश्ते हैं , तो पहचान जाओ --
अब तो तुम मान भी जाओ।।
बजती है ताली दोनों हाथो से ,
वसूल है इस दुनियाँ की
कि सम्मान दो और सम्मान पाओ ।
अब तो तुम मान भी जाओ।।


















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