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Thursday, February 4, 2021

पीएम मोदी ने की चौरी-चौरा शताब्दी समारोह की शुरुआत

 



अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट 


गोरखपुर - चौरी चौरा घटना के एक सौ साल होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये चौरी-चौरा शताब्दी समारोह  की शुरुआत की। उन्होंने इस मौके पर डाक टिकट भी जारी किया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चौरीचौरा शहीद स्थल पर मौजूद रहे जबकि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी बीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मौजूद रहीं।पीएम मोदी ने उद्घाटन कार्यक्रम के अवसर पर अपने भाषण की शुरुआत भोजपुरी में "प्रणाम करत बानी" कहकर की। उन्होंने आगे कहा कि चौरी चौरा में जो हुआ वो सिर्फ एक थाने में आग लगाने की घटना नहीं थी, इससे एक बड़ा संदेश अंग्रेजी हुकूमत को दिया गया। चौरी चौरा में जो हुआ उसका संदेश बहुत बड़ा और व्यापक था। पीएम मोदी ने आगे  कहा इससे पहले इस घटना को एक मामूली आगजनी के सन्दर्भ में देखा गया लेकिन आगजनी क्यों हुई ये भी महत्वपूर्ण है। आग थाने में नहीं लगी थी, जन जन के हृदय में लगी थी। ये दुर्भाग्य है कि चौरी चौरा की जितनी चर्चा होनी थी उतनी नही हो सकी। भले ही इन शहीदों को इतिहास के पन्नों पर जगह ना मिली हो लेकिन यहां के शहीदों का खून यहां की मिट्टी में जरूर मिला हुआ है। चौरी चौरा क्रांति से जुड़े लोग अलग-अलग गांवों व पृष्‍ठभूमि के थे, लेकिन मिलकर वे सभी मां भारती की संतान थे। स्‍वतंत्रता संग्राम में ऐसी कम ही घटनाएं हुई होंगी, जिसमें 19 स्‍वतंत्रता सेनानियों को एक साथ फांसी के फंदे पर लटका दिया गया हो। चौरी चौरा शताब्दी के इन कार्यक्रमों को लोकल कला , संस्कृति और आत्मनिर्भरता से जोड़ने का प्रयास किया गया है। ये प्रयास भी हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति हमारी श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने नये कृषि कानूनों के फायदे भी गिनाए। बोले किसानों की आय बढ़ेगी। पीएम ने आम बजट को ऐतिहासिक बताते हुये कहा कि कोरोना संकट के बीच देशवासियों पर कर का बोझ नहीं बढ़ाया गया। पहले बजट राजनीति केंद्र में होता था। अब ऐसा नहीं। जो बजट में होता है, वही धरातल पर दिखता है। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ की अगुवाई में चौरी चौरा शताब्‍दी वर्ष महोत्‍सव के शुभांरभ के मौके पर 50 हजार लोगों ने एक साथ वंदेमातरम् गाकर विश्‍व रिकार्ड बनाया। वहीं दूसरी ओर डेढ़ लाख से अधिक लोगों ने एक साथ वंदे मातरम् के पहले छंद के गायन के वीडियो अपलोड किये।


क्या है चौरी-चौरा कांड ? 


उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले के पास एक कस्बा है-चौरी चौरा। यहां सौ साल पहले (04 फरवरी 1922 को) भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की एक पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया था, जिससे वहां के 22 पुलिस कर्मियों की जान चली गई थी। भारत के स्वतत्रंता आंदोलन पर इसका बड़ा असर पड़ा था और तभी से इसे चौरी चौरा कांड के नाम से जाना जाता है , इसी घटना के बाद महात्मा गांधी ने अपने असहयोग आंदोलन को खत्म कर दिया था। 


उन्नीस लोगों मिली थी फांसी 


उस समय बाबा राघव दास की अपील पर मदन मोहन मालवीय ने कोर्ट में क्रांतिकारियों का पक्ष रखा और 114 लोगों में से 95 लोगों की मौत की सजा माफ करायी , लेकिन 19 क्रांतिकारियों की फांसी की सजा बरकरार रही. इसके बाद इन क्रांतिकारियों ने दया याचिका दायर की, लेकिन 01 जुलाई 1923 को उनकी याचिका अस्वीकार हो गई. इसके बाद 02 जुलाई 1923 को घटना के आरोप में देश की अलग-अलग जेलों में बंद चौरी-चौरा कांड में दोषी मानते हुये अब्दुल्ला, भगवान, विक्रम, दुदही, काली चरण, लाल मोहम्मद, लौटी, मादेव, मेघू अली, नजर अली, रघुवीर, रामलगन, रामरूप, रूदाली, सहदेव, संपत पुत्र मोहन, संपत, श्याम सुंदर और सीताराम इन 19 क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गयी थी।

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