Breaking

अपनी भाषा चुने

POPUP ADD

सी एन आई न्यूज़

सी एन आई न्यूज़ रिपोर्टर/ जिला ब्यूरो/ संवाददाता नियुक्ति कर रहा है - छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेशओडिशा, झारखण्ड, बिहार, महाराष्ट्राबंगाल, पंजाब, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटका, हिमाचल प्रदेश, वेस्ट बंगाल, एन सी आर दिल्ली, कोलकत्ता, राजस्थान, केरला, तमिलनाडु - इन राज्यों में - क्या आप सी एन आई न्यूज़ के साथ जुड़के कार्य करना चाहते होसी एन आई न्यूज़ (सेंट्रल न्यूज़ इंडिया) से जुड़ने के लिए हमसे संपर्क करे : हितेश मानिकपुरी - मो. नं. : 9516754504 ◘ मोहम्मद अज़हर हनफ़ी - मो. नं. : 7869203309 ◘ सोना दीवान - मो. नं. : 9827138395 ◘ आशुतोष विश्वकर्मा - मो. नं. : 8839215630 ◘ सोना दीवान - मो. नं. : 9827138395 ◘ शिकायत के लिए क्लिक करें - Click here ◘ फेसबुक  : cninews ◘ रजिस्ट्रेशन नं. : • Reg. No.: EN-ANMA/CG391732EC • Reg. No.: CG14D0018162 

Tuesday, March 23, 2021

आधा एकड़ जमीन में किशोर ने लगाई गेंहू के छत्तीस किस्म



नवागढ़

आधुनिक कृषि तकनीक, रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग होने के चलते  परंपरागत जैविक खेती लुप्त प्राय सी हो गई है। इसका परिणाम यह हुआ कि प्रकृति प्रदत्त अनाज की अनेकों देसी किस्में आंखों से ओझल हो चुकी हैं। इन परिस्थितियों में एक कृषक ऐसे भी हैं जिन्होंने देसी अनाज की किस्मों को बचाने और उन्हें संरक्षित करने के लिए नवागढ़ के युवा किसान किशोर राजपूत काम कर रहा है। किशोर राजपूत के पास धान सहित देसी अनाजों की 300 किस्मों का दुर्लभ और बेश कीमती संग्रह है।कृषक किशोर राजपूत में परंपरागत खेती को बढ़ावा देने तथा देसी अनाजों को बचाने व संरक्षित करने का जुनून है। उनका कहना है कि अगर किसान को आगे बढ़ना है और अपने परिवार का स्वास्थ्य बेहतर रखना है तो देसी अनाजों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना होगा। देसी बीज में लागत कम होने के साथ ही हर प्रकार के मौसम को सहन करने की क्षमता होती है, इसलिए किसान ज्यादा से ज्यादा देसी बीज बचायें। इससे पर्यावरण के साथ-साथ मिट्टी भी सुरक्षित रहेगी।मौजूदा समय रबी सीजन की फसलों विशेषकर गेहूं की कटाई और गहाई का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है।कोरोना संकट के बावजूद किसान ऐन - केन प्रकारेण खेत से फसल अपने घर तक ले जाने के लिए पूरे जतन से जुटा हुआ है। ऐसे समय जैविक खेती को बढ़ावा देने वाले कृषक किशोर राजपूत द्वारा उगाई गई देसी गेहूं की कुछ दुर्लभ किस्मों के बारे में आप भी आइये जानते हैं---


(1) *नीलांबर गेंहू*


यह गेंहू की बेहद दुर्लभ देसी किस्मों में से एक यह नीलांबर किस्म का गेंहू है। नीलाम्बर इसलिये क्यों कि आकाश की तरह इसके दाने का रंग भी नीला है। किशोर राजपूत बताते हैं कि इस वर्ष हमारे पास इसके मात्र 10 पौधे ही उगाये गये थे, अस्तु अधिक अध्ययन तो नहीं हो सका है पर दाना मोटा, कम लम्बा और नीले रंग का होता है। लेकिन पकने पर बाल सफेद हो जाती है जिसमें 6 पंक्ति में बिरल दाने लगते हैं। इसमे 4 पंक्ति में बड़े दाने व दो में छोटे आकर के दाने। इसकी बाल के एक कतार में 9- 10 दाने होते हैं और पौधा लगभग 3 फीट ऊंचा होता है। बौनी किस्म होने के कारण निश्चय ही यह अधिक पानी लेता हैं ।


(2) *गेहूं की खैरा किस्म*


   खैरा किस्म की बाल का रंग हल्का ललामी लिए हुए पर दाना सर्बदी चमकदार है। यह परम्परागत किस्म का गेँहू 4 फीट ऊंचा और बाल 6 की कतार में विभक्त होती है। जिसमें 4 पंक्ति के दाने बड़े एवं 2 पंक्ति के छोटे आकार के होते हैं। बाल में दानों की कतार 9-10 दानों की बिरल होती है। इसके दाने का रंग भले ही मटमैला हो पर खाने में स्वादिष्ट होता है,ईसकी रोटी और दलिया दोनों खाई जा सकती है। यह वर्षा आधारित खेती वाला पौधा है और बड़ा तना होता है।  इसलिए कुछ पानी अपने लम्बे तने में संचित कर लेता है एक दो बार पानी मिल जाय तो ठीक किन्तु न मिले तब भी जितना पकेगा ठोस एवं चिलकदार होता है।


*(3) सबसे लम्बे दाने वाला गेंहू*



यह गेहू की ही एक किस्म है जिसके बाल  के दानों के आवरण से ही पता चल जाता है कि इसका दाना कितना लम्बा होगा ? सम्भवतः दुनिया के इस सबसे लम्बे दाने वाले  गेहूं के बिकसित होने का इतिहास भी अदभुत है। इस गेहूं का पौधा 3 फीट ऊंचा और मोटा व दाना अन्य गेहुओ से लगभग दो गुना लम्बा होता है। अभी इसके स्वाद के बारे में अध्ययन तो नही हुआ पर दाने का रंग चमकीला सर्बदी है। फसल अन्य गेहुओ से 7- 8 दिन लेट आती है। इसका आज 500 ग्राम बीज उपलब्ध है।बाल में दाने की पंक्ति 6 एवं हर पंक्ति में दाने की संख्या 8- 9 होती है।


*(4) गेंहू जिसकी बाल सफ़ेद लेकिन दाना काला*


हमारे तमाम गेहुंओ की किस्मो में एक गेंहू यह भी है,जिसका पौधा हरा पकने पर बाल सफेद किन्तु उसे  मीजने पर जो दाने निकलते हैं उनका रंग काला होता है। इसे हमने एक छोटे से भ-ूखण्ड में 1 कतारों में बोया था। पता नहीं इसे किस बैज्ञानिक ने अनुसन्धान कर बिकसित किया किन्तु यह बौनी किस्म का गेहूं है, जिसके तने की लम्बाई 3 फीट होती है। इसके बाल के एक कतार में 9-10 बिरल दाने होते हैं जो 6 की कतारों में होते हैं। इसकी चार पंक्ति में बड़े एवं दो में छोटे दाने निकलते हैं। इसमें कौन - कौन पोष्टिक तत्व किस मात्रा में होते हैं, यह नहीं मालूम । खाने में स्वाद कैसा है ? यह भी ज्ञात नहीं।


*(5) गेहूं की परम्परागत किस्म हंसराज*

यह गेहूं की एक परम्परागत किस्म हंसराज  है। इसका दाना सरबती रंग का चमकदार होता है। वर्षा आधारित खेती के लिए प्रकृति द्वारा सौगात के रूप में मिले इस गेहू का तना 4 फीट ऊँचा होता है ताकि वक्त जरूरत कुछ पानी वह लम्बे तने में संचित रख बीज को ठोस और चिलकदार बनाने में मददगार हो सके। एक दो बार सिंचाई हो जाय तो ठीक पर न हो तब भी चिन्ता से मुक्त। बाल में दाने बिरल किन्तु कतार में 9-10 की संख्या में व 6 पंक्ति जिसमे 4 में बड़े दाने 2 में छोटे दाने होते हैं। खाने में चाहे रोटी बने चाहे दलिया दोनों के लिए उपयुक्त है।


   *(6) कठिया की ही एक किस्म कठुई* 




कठिया गेहूं की ही एक किस्म  कठुई है। कठिया की बाले गसे दाने की होती है और बाल में लम्बे टेढ़े से काटे उसकी पहचान है पर बालो के रंग से यह दो प्रकार का होता है। बाल सफेद किन्तु दाने मटमैले। बाल का रंग हल्का ललामी युक्त पर दाना मटमैला। यह दूसरे प्रकार का है जिसे कठिया के बजाय कठुई कहा जाता है। यह गेहूं की ऐसी किस्म है जिसे प्रकृति ने वर्षा आधारित खेती के लिए बनाया था। क्योकि अगर इसकी अधिक सिचाई हो गई तो फसल में गेरुआ लगने की संभावना बढ़ जाती है। दरअसल जब सिचाई के साधन नहीं थे तब नम खेत तो नवम्बर में ही बोने योग्य बत्तर में आते थे जिनमें किसान सरबती पिसी आदि गेहूं उगाते थे। पर कुछ ऐसी ऊंचे खेतो वाली भूमि होती जो 20 - 25 अक्टूबर तक ही बोने लायक हो जाती थी। ऐसे खेतो में यह कठुई किस्म ही अच्छी मानी जाती थी जो उस समय की धूप और गर्म मौसम बर्दास्त कर सकती थी। बाकी गेहूं उस गर्मी को बर्दाश्त नही कर पाते थे और पौधे सूख जाते थे। शर्त यह थी कि बुबाई थोड़ी गहरी की जाय। कठुई के बाल में दानों की कतार 6 और एक कतार में 8-9 दाने होते हैं, जिनमे 4 कतार के दाने मोटे व 2 के छोटे होते है। यह रोटी और दलिया दोनों के लिए अच्छा माना जाता है।


(7) *गेहूं की एक किस्म बसिया* 


गेहूं की एक किस्म बसिया भी है। यह पूर्णतः लम्बे तने की परम्परागत किस्म है,जिसका बीज पिछले वर्ष प्राप्त हुआ था। इसका दाना सरबती की तरह चमकीला बाल बिरल दाने युक्त 6 दानों के कतार में होती है जिसमे 4 में मोटे दाने और दो में पतले दाने होते हैं। एक कतार में नीचे से ऊपर तक दानों की संख्या 9-10 होती है व बड़ा तना होने के कारण अन्य परम्परागत किस्मो की तरह यह भी कुछ पानी तने में संचित रखता है।  जिससे सिचाई न हो तब भी दाने ठोस और चिलकदार होती हैं।


(8) *काली मूँछ गेहूँ*


यह एक प्रकार का कटिया प्रजाति का गेहूँ है इसका दाना पतला तथा 1 से.मी. तक लम्बा होता है यह गेहूँ दलिया,सूजी बनाने के लिए बहुत उपयोगी है इसके पौधे की ऊंचाई 100 से 110 से. मी. तक होती है यह गेहूँ 120 से 125 दिन में पक कर तैयार हो जाता है ईसकी बाली का ऊपरी भाग जिसे तूंकर बोलते हैं का रंग काला होता है इस कारण इस गेहूँ को काली मूँछ कहा जाता है इसको 4 से 5 सिंचाई की आवश्यकता होती है इसके इस की रोटी बहुत ही स्वादिष्ट लगती हैं यह गेहूँ भी वंसी गेहूँ के समान ही पौष्टिक होता है!


(9) *सोना मोती*


औषधीय गुणों से भरपूर सोना मोती गेंहू के इस किस्म में ग्लूटेन और ग्लाइसीमिक तत्व कम होने के कारण यह डायबिटीज (Diabetes) और ह्रदय रोग (Heart Disease) पीड़ितों के लिए काफी लाभकारी है. साथ ही इसमें अन्य अनाजों के वनस्पति कई गुणा ज्यादा फोलिक एसिड (Follic Acid) नामक तत्व की मात्रा है जो रक्तचाप और हृदय रोगियों के लिए रामबाण साबित हैं।


(10) *काला  गेहूं*


काले गेहूं में एंथ्रोसाइनीन प्रचुर मात्रा में होता है. यह एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है, जो हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज , मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है. काले गेहूं रंग और स्वाद में सामान्य गेहूं से थोड़ा अलग होते है, लेकिन बेहद पौष्टिक होते हैं


(11) *लोकवन गेहू*


औषधीय गुणों का है खजाना

इसमें आयरन प्रचुर मात्रा में होता है। ये गेहूं कैंसर, ब्लड प्रेशर, मोटापा और शुगर के मरीजों के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। इससे खून की कमी दूर होती है। साथ ही आंखों की रौशनी भी बढ़ती है।


(12) *शरबती गेंहू*


शरबती” गेहू देश में उपलब्ध गेहूं की सबसे प्रीमियम किस्म है। इसके लिए काली और जलोढ़ उपजाऊ मिट्टी उपयुक्त है। शरबती गेहू को द गोल्डन ग्रेन भी कहा जाता है, क्योकि इसका रंग सुनहरा होता है यह हथेली पर भारी लगता है और इसका स्वाद मीठा होता है इसलिए इसका नाम शरबती है। जैसा कि नाम से पता चलता है, शरबती किस्म का गेहूँ टेस्ट में थोड़ा मीठा होता है, शायद अन्य गेहूँ की किस्मों की तुलना में इसमें ग्लूकोज और सुक्रोज़ जैसे सरल शर्करा की मात्रा अधिक होती है।


(13) *कठिया गेंहू*



पोषक तत्वों की प्रचुरता - कठिया गेहूं से खाद्यान्न सुरक्षा तो मिली परन्तु पोषक तत्वों में शरबती (एस्टिवम) की अपेक्षा प्रोटीन 1.5-2.0 प्रतिशत अधिक विटामिन 'ए' की अधिकता बीटा कैरोटीन एवं ग्लूटीन पर्याप्त मात्रा में पायी जाती है. इसके अलावा

 (14) *लखपति  गेंहू*

 (15) *अजमेरी गेंहू*

(16) *तेजस H8759* 

(17) *पूसा तेजस*

(18) *काली बाली*

(19) *पर्पल गेहू*

(20) *करण वंदना*

(21) *लाल बाली*

(22) *चावल कोटा*

(23) *जौ गेंहू* 

(24) *बन्शी गेहू*

(25) *गोल दाना गेंहू*

(26) *हरा गेंहू*

(27)  *चंदौसी गेहूं*

(28) *एच डब्ल्यू2004गेहूं*

(29) *एच आई8498गेंहू*

(30)  *गेंहू009*

(31) *केडी 2001गेंहू*

(32) *आई डी2003गेंहू*

(34) *एच डी 2004गेहूं*

 (35) *यूडी1948गेंहू*

(36) *डीडी1945गेंहू*

 लगाए हैं।



सी एन आई न्यूज़ बेमेतरा छत्तीसगढ़ देव यादव9098647395

No comments:

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box.

Hz Add

Post Top Ad