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Tuesday, July 27, 2021

जब लेक्चर देते हुये दुनियां को अलविदा कह गये अब्दुल कलाम

 



अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट 


शिलांग (मेघालय) — मिसाइल मैन अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम (एपीजे अब्दुल कलाम) देश के पूर्व राष्ट्रपति और भारतीय मिसाइल प्रोग्राम के जनक कलाम की आज पुण्यतिथि है। उन्होंने 25 जुलाई 2002 को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया था। कलाम ने एक वैज्ञानिक और इंजिनियर के तौर पर डीआरडीओ और इसरो के कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम किया है। उनका निधन 27 जुलाई 2015 में शिलांग में लेक्चर देते वक्त दिल का दौरा पड़ने से हो गया। देश उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा। एक विलक्षण व्यक्तित्व , महान बैज्ञानिक , मिसाइल मैन और भारत के पूर्व राष्ट्रपति कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम (तमिलनाडु) में एक मुस्लिम परिवार में पिता जैनुलअबिदीन (नाविक) और माता अशि अम्मा (गृहणी) के घर हुआ था। उनके परिवार की स्थिति अच्छी नहीं थी जिसके चलते उनको बचपन से ही काम करना पड़ा , पिता की आर्थिक मदद के लिये बालक कलाम स्कूली पढ़ाई के साथ साथ  समाचार पत्र वितरण का काम करते थे। स्कूली शिक्षा के समय से ही कलाम पढ़ाई-लिखाई में सामान्य थे पर नई चीज सीखने के लिये वे हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे। कहा जाता है कि कलाम अपने घर में दीपक जलाकर पढ़ाई करते थे क्योंकि उस वक्त उनके घर में बिजली नहीं हुआ करती थी। आठ साल की उम्र में वह सुबह चार बजे उठकर गणित पढ़ने के लिये जाया करते थे। वह ऐसा इसलिये करते थे क्योंकि उनके टीचर हर साल पांच बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाते थे। इसके बाद वह नमाज अदा करते और रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र इकट्ठा करते थे। अब्दुल कलाम अखबार लेने के बाद रामेश्वरम शहर की सड़कों पर बैचा करते थे। वे बचपन से ही आत्मनिर्भर थे। स्कूली शिक्षा के समय से ही कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा “रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल” से पूरी की और बाद में वे तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिये जहाँ से उन्होंने वर्ष 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया , उसके उपरान्त वे (1955) में मद्रास चले गये। जहाँ उन्होंने “एयरोस्पेस इंजीनियरिंग” की शिक्षा ग्रहण की, वर्ष 1960 में कलाम साहब ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी कर ली। ‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी’में आने के पीछे कलाम अपने पांचवी कक्षा के टीचर सुब्रह्मण्यम अय्यर को वजह बताते थे। वे कहते थे कि वो हमारे सबसे अच्छे टीचर्स में से थे। एक बार उन्होंने सवाल किया था कि चिड़िया कैसे उड़ती है ? किसी भी छात्र ने इसका जवाब नहीं दिया। अगले दिन वो सभी बच्चों को समुद्र के किनारे ले गये जहाँ कई पक्षी उड़ रहे थे। कुछ समुद्र के किनारे बैठे थे और कुछ किनारे पर उतर रहे थे। उस दिन उनके टीचर ने पक्षी के उड़ने के पीछे के कारण को समझाया साथ ही पक्षियों के शरीर की बनावट को भी विस्तार से बताया। उनके द्वारा बतायी गयी बातें कलाम के अंदर इस कदर समा गई कि इससे उन्हें जिंदगी का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रेरणा दी। बाद में उन्होंने तय किया कि वह उड़ान की दिशा में ही अपना कैरियर बनायेंगे। उसके बाद उन्होंने मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की।


वर्ष 1962 में इसरो पहुंचे कलाम


वर्ष 1962 में कलाम इसरो पहुँचे। जब कलाम प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे तब भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया था। इसके बाद वर्ष 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाईन किया। इसके बाद उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनायी। वर्ष 1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया। तब उन्हें अन्ना यूनिवर्सिटी से उन्हें डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया गया। कलाम ने तब रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का प्रस्ताव तैयार किया। इसी के साथ स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिये क्लाम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनायी गयी। वर्ष 1992 से वर्ष 1999 तक कलाम रक्षामंत्री के रक्षा सलाहकार थे। तब वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट किये और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया। वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परीक्षण में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी के तहत कलाम ने भारत को विजन 2020 दिया। इसके तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिये 2020 तक आत्याधुनिक करने की खास सोच दी। राष्ट्रपति का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद वे शिक्षण , लेखन और सार्वजनिक सेवा में लौट आये। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान , भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।


कई पुरस्कारों से हुये सम्मानित


कलाम को वर्ष 1981 में भारत सरकार ने पद्म भूषण और फिर 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। कलाम देश के केवल तीसरे ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्हे भारत के सर्वोच्च पद पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न दिया गया। उनसे पहले यह सम्मान मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन को दिया गया था।


कलाम के आखिरी पल


27 जुलाई 2015 को उनका निधन हुआ। तब वह मेघालय के शिलांग के आईआईएम में लेक्चर देने के लिये गये थे। लेक्चर देते वक्त उन्हें दिल का दौरा पड़ा। जल्द से जल्द उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया और 83 वर्ष की आयु में कलाम देश को हमेशा के लिये अलविदा कह गये।अब्दुल कलाम ऐसे व्यक्तित्व के व्यक्ति थे जिनको सभी लोग प्यार करते हैं , आज वे इस दुनियां में नहीं है फिर भी उनको लोग बहुत याद करते ह।  उनको भारत का मिसाइलमैन भी कहा जाता है आज उनके नाम से भारत में कई तरह के एजुकेशनल इंस्टिट्यूट भी बनाये गये हैं जो उनके महान ब्यक्तित्व को चिन्हित करता है।

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