🌞ll ~ वैदिक पंचांग ~ ll🌞
🌤️ दिनांक - 15 जुलाई 2022
🌤️ दिन - शुक्रवार
🌤️ विक्रम संवत - 2079
🌤️ शक संवत -1944
🌤️ अयन - दक्षिणायन
🌤️ ऋतु - वर्षा ऋतु
🌤️ मास -श्रावण
🌤️ पक्ष - कृष्ण
🌤️ तिथि - द्वितीया शाम 04:39 तक तत्पश्चात तृतीया
🌤️ नक्षत्र - श्रवण शाम 05:31 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
🌤️ योग - प्रीति रात्रि 12:21 तक तत्पश्चात आयुष्मान्
🌤️ राहुकाल - सुबह 11:05 से दोपहर 12:45 तक
🌞 सूर्योदय - 05:30
🌦️ सूर्यास्त - 06:22
👉 दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩 *व्रत पर्व विवरण -
🔥 विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌷 विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए 🌷
👉 16 जुलाई 2022 शनिवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 10:02)
🙏🏻 शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :
🌷 ॐ गं गणपते नमः ।
🌷 ॐ सोमाय नमः ।
🌷 संक्रांति 🌷
➡ 16 जुलाई 2022 शनिवार को संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से सूर्यास्त तक)
🙏🏻 इसमें किया गया जप, ध्यान, दान व पुण्यकर्म अक्षय होता है ।
🌷 चतुर्थी तिथि विशेष 🌷
🙏🏻 चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेशजी हैं।
📆 हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।
🙏🏻 पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।
🙏🏻 शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥
➡ “ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।
🌷 कोई कष्ट हो तो 🌷
🙏🏻 हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |
👉🏻 छः मंत्र इस प्रकार हैं –
🌷 ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।
🌷 ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।
🌷 ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।
🌷 ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।
🌷 ॐ अविघ्नाय नम:
🌷 ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:
🌞 ~ पंचांग ~ 🌞
🙏🏻🌷🌸🌼💐☘🌹🌻🌺🙏


















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