200 वर्षों से चली आ रही परंपरकल निकलेगी करैहापारा से हनुमान जी की शोभायात्रा
रतनपुर से ताहिर अली की रिपोर्ट
रतनपुर.....ऐतिहासिक एवं पौराणिक नगरी रतनपुर जो कभी लगभग 800 वर्षों से दक्षिण कौशल छत्तीसगढ़ की राजधानी रही है। यहां के राजाओं ने अपने अपने शासन काल में प्रजा को सुखी एवं संपन्न बनाने विभिन्न आस्थाओं एवं परंपराओं की थी। इसमें मराठा शासन की कुछ परंपराए आज भी चल रही है। यहां के महाकवि महामाया भक्त बाबू रेवाराम द्वारा लिखित एवं अभिनित रतनपुरिहा गुटका भजन, बसंत ऋतु में गाए जाने वाले बासंती एवं होली गीत, नवरात्रि में गाए जाने वाले माता सेवा भजन आदि यहां की देन है।और इसकी अलग गायन शैली है।आस्थाओं की परंपरा अंतर्गत रामनवमी की रात्रि करैहापारा से निकाले जाने वाली हनुमान जी की पारंपरिक शोभायात्रा यहां लगभग 200 वर्षों से चली आ रही है। रामटेकरी रामपंचायतन मंदिर में स्थित हनुमान जी की चंदन काष्ठ से निर्मित मूर्ति को अष्टमी तिथि को करैहापारा के लोगो के द्वारा यहां लाई जाती है।और करैहापारा में विशेष पूजा अर्चना करते हैं और रामनवमी की रात्रि पालकी में सजाकर शोभायात्रा के रूप में निकाली जाती है। इस बीच संपूर्ण करैहापारा मोहल्ले के साथ जिस मार्ग से यह यात्रा गुजरती है, लोगों की आस्था देखते ही बनती है। सुबह 4 बजे यह शोभायात्रा रामटेकरी राम मंदिर में समाप्त होती है। जहां हनुमान जी श्री राम का दर्शन करने के वहीं विराजित हो जाते हैं। इस परंपरा के पीछे ऐसी मान्यता है कि श्रीराम नवमी श्रीराम जन्म के समय हनुमान जी श्री राम के समक्ष नहीं रहते।
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