गंगोत्री धाम,उत्तराखंड
सी एन आई न्यूज़ -पुरुषोत्तम जोशी ।
उत्तराखंड-गंगोत्री -गंगा नदी का उद्गम स्थान है।यहां भागीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अत्यंत ही सुंदर एवं मनमोहक है।
यहां पर गंगाजी का मंदिर है।यह पवित्र धाम उत्तरकाशी से 100 किमी.और समुद्र तल से लगभग 3000 मीटर की उंचाई पर स्थित है ।
इस पवित्र धाम में प्रतिवर्ष मई से अक्टूबर के माह में लाखों कि संख्या मेंश्रृद्धालु और भक्त यहां पहुँच कर गंगा मैया का दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं ।यमुनोत्री और गंगोत्री मंदिर का कपाट अक्षय तृतीया के दिन ही श्रृद्धालुओं के लिए खुलते हैं ।और दिपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद होते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीराम चंद्र जी के पूर्वज चक्रवर्ती राजा भागीरथ ने यहां एक पवित्र शिलाखंड पर बैठकर भगवान शिव की प्रचंड तपस्या की थी ।इस शिलाखंड के निकट ही 18वी शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण किया गया ।मान्यता के अनुसार देवी भागीरथी ने इसी स्थान पर धरती का स्पर्श किया ।
इस संबंध में और भी मान्यता प्रचलित है ।
यह मंदिर सफेद ग्रेनाइट से निर्मित
20 फिट ऊंचे पत्थरों से आकर्षक एवं मनमोहक है।
इस मंदिर का पूर्व दिशा कि ओर है।।इस मंदिर में शंकराचार्य यमुना सरस्वती जी और भागीरथ की मूर्ति भी स्थापित है।
मंदिर के पास भैरव मंदिर भी है और यहां पर 3कुंड भी है, सूर्य कुंड,ब्रम्ह कुंड,विष्णु कु़ंड।
यह मंदिर उत्तराखंड के चार धामों
में से एक मंदिर है ।
गंगोत्री धाम में सड़क बनने से यहां घर बसाना अत्यंत ही कठिन था।यह एक निर्जन स्थान था।
गंगोत्री मंदिर के पास एकत्रित जल को हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा अमृत तुल्य माना जाता है,सभी दर्शन के लिए पहुँचने वाले श्रद्धालु अपने घरों में लेकर जाते है ।
मान्यता है अपने पूर्ण आयु काल में इन तिर्ध स्थलों पर तीर्थ जरूर करना चाहिए।
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