नवरात्रि पर्व में हिन्दू राष्ट्र निर्माण संकल्प के साथ करें विशेष आराधना - श्रीसुदर्शन संस्थानम्
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर - शारदीय नवरात्रि पर्व में सभी सनातनी भक्त वृंद हिन्दू राष्ट्र निर्माण के पावन संकल्प के साथ माँ आदिशक्ति की विशेष पूजा - आराधना करें। पुरी शंकराचार्य द्वारा संस्थापित एवं श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी से संबद्ध शंकराचार्य आश्रम श्रीसुदर्शन संस्थानम् , प्रांतीय कार्यालय , रांवाभाठा रायपुर से सभी देशवासियों से उक्त आराधना हेतु आह्वान किया गया है। गौरतलब है कि शिवावतार भगवत्पाद आदि शंकराचार्य महाभाग द्वारा संस्थापित चार आम्नाय पीठों में से एक पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी ओड़िशा के 145 वें श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य एवं हिन्दुओं के सार्वभौम धर्मगुरु तथा हिन्दू राष्ट्र प्रणेता पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज चातुर्मास्य पश्चात् राष्ट्रोत्कर्ष अभियान यात्रा में भारतवर्ष भ्रमण के अंतर्गत इस समय हरियाणा , दिल्ली प्रवास पर हैं। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2021 में चातुर्मास्य के समय उनके श्रीमुख से उद्घोषित आगामी वर्षों में हमारे देश की हिन्दू राष्ट्र संकल्पना के दो वर्ष व्यतीत हो रहे हैं तथा इन दो वर्षों में हिन्दू राष्ट्र निर्माण की भावना सभी सनातनियों के हृदय में बलवती हुई है। अपने अपने क्षेत्र में अपनी क्षमताओं के अनुसार सभी सनातनी इस पावन कार्य में संलग्न हैं। आवश्यकता इसको सामूहिक रूप प्रदान करने तथा सांगठनिक स्वरूप में शंखनाद करने की है। अतः आगामी शारदीय नवरात्रि पर्व में धर्मसंघ पीठपरिषद् आदित्यवाहिनी - आनन्दवाहिनी संगठन की सभी इकाईयां अपने अपने क्षेत्र में सभी धार्मिक संगठन एवं भक्तों के साथ मिलकर सामूहिक आराधना पूजन में सम्मिलित हों। दुर्गा पण्डालों में आयोजित सभी अनुष्ठानों में विभिन्न सेवा प्रकल्पों के द्वारा सक्रिय सहभागी के साथ संगठन की सहभागिता सुनिश्चित करें साथ ही सामूहिक कन्या पूजन , भोजन एवं फल वितरण की व्यवस्था भी करें। याद रहे कि पूज्य पुरी शंकराचार्यजी अपने संदेशों में उद्घृत करते हैं कि सभी जीवों में समष्टि अभिमान समाहित होना चाहिये। जीव होते हुये हम परमात्मा के अंश है यह प्रतिक्षण स्मरण रहे। सर्वप्रथम अपने अपने घरों को ही सनातनी परम्परा की एक छोटी इकाई के रूप में स्थापित कर हिन्दू राष्ट्र निर्माण के नींव को मजबूत करें। हम सबको लगभग दो अरब वर्षों से प्रचलित हमारी सनातनी परम्परा जिसके अंतर्गत हमारी शिक्षा , भोजन , आवास , चिकित्सा , यातायात , उत्सव त्यौहार , विवाह आदि व्यवस्थायें हैं इन पर गर्व करते हुये इनका परिपालन करना और इन्हें अपनाना है क्योंकि यही हमारे हिन्दू राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना को मजबूती प्रदान करेगा।
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