मतदान का जश्न मनाईये
झुमके आया पर्व प्रजातंत्र का, आशाओं के फूल बरसाईये, महक उठेगा भारत का गुलशन, मतदान का जश्न मनाईये।
कौन है सुख दुःखों का सारथी, अपने पराये की परख कीजिये, नफ़रत की सियासत करने वालों को, दूर से आईना दिखाईये।
वोट पाकर हमारा भूल जाते हमें, ऐसे नुमाइंदों को सबक सिखाइये, फटेहाल देखा था हमने जिनको, - अकूत धन कहा से आया पुछिये ।
संविधान ने दिया अमोघ शस्त्र, :वोट की कीमत पहचानिये, कथनी जैसी करनी हो जिनकी, निर्भीक निष्पक्ष रहकर अपना नेता चुनिये।
एक जागरूक मतदाता
मोहला से योगेन्द्र सिंगने की रिपोर्ट
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