CSP को जज ने कहा – फैसला करने का इतना ही शौक है तो वर्दी उतारकर वकालत शुरू कर दीजिए
सुरेंद्र मिश्रा जिला ब्यूरो बिलासपुर
बिलासपुर / न्यायधानी के सिविल लाइन सीएसपी संदीप पटेल को जमीन मामले में सुनवाई के दौरान पुलिसिया जांच को लेकर हाईकोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है. एफआईआर दर्ज न किए जाने से नाराज जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने कहा कि पुलिस ही जांच और एफआईआर में गड़बड़ी करती है. मामले में कुछ नेताओं का नाम सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने पूछा, पुलिस पर कहीं कोई राजनैतिक प्रेशर तो नहीं था
हाईकोर्ट के जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने तल्ख टिप्पणी की और कहा कि इस मामले में रजिस्टर्ड एफआईआर होनी चाहिए. अगर मैंने कार्रवाई करते हुए लिख दिया तो सीएसपी संदीप पटेल परेशानी में आ जाओगे. हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद सीएसपी ने तुरंत नोटरी के साथ एफआईआर करने की बात कोर्ट में कही.
दरअसल करीब सालभर पहले सरकंडा क्षेत्र के चांटीडीह में रहने वाले पूर्व ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष रज्जब अली बिल्डिंग मटैरियल सप्लाई का काम करते थे. बताया जा रहा है कि जिस जगह पर उनकी दुकान है, उसी जमीन को लेकर उनका विवाद चल रहा था. वे मानसिक तनाव में चल रहे थे. इसी तनाव में उन्होंने अपने घर के आंगन में पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. मामले में कांग्रेस नेता अकबर खान और दीपेश चौकसे के खिलाफ शिकायत हुई थी, लेकिन पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया.
मृतक रज्जब अली की जेब से एक सुसाइड नोट भी मिला था. इसमें उन्होंने परिवार के सदस्यों से माफी मांगते हुए अपने आपको कांग्रेस कार्यकर्ता बताते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से अपने परिवार के सदस्यों की सुरक्षा की मांगी थी. पुलिस ने सुसाइड नोट जब्त कर लिया था. मामले में मृतक व्यवसायी कांग्रेस नेता के बेटे हमाम अली और बेटी शबाना बेगम ने अपने पिता की मौत के लिए कांग्रेस नेता अकबर खान और तैय्यब हुसैन को जिम्मेदार ठहराया.
इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने कहा कि मामले में पुलिस ही फैसला करने वाली बन रही है. यह काम कोर्ट का है, पुलिस का नहीं. जस्टिस व्यास ने सीएसपी संदीप पटेल से कहा कि इतना ही फैसला करने का शौक है तो वर्दी उतारकर वकालत शुरू कर दीजिए और फैसला कीजिए. भगवान के लिए थोड़ी सी वर्दी की कद्र कर लीजिए
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