24 कुण्डीय महायज्ञ के साथ प्रज्ञा पुराण का कार्यक्रम ...
गरियाबंद:-अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन और ग्राम कोचवाय सहित आस पास के ग्रामीणों के सहयोग के साथ गायत्री परिवार गरियाबंद के चारो ईकाई के प्रायास से राष्ट्र जागरण हेतु 24 कुण्डीय महायज्ञ के साथ प्रज्ञा पुराण का कार्यक्रम जिला मुख्यालय गरियाबंद से 6 किलोमीटर दूर ग्राम कोचवाय में दिव्य आयोजन सम्पन्न हो रहा है।
शांतिकुंज से पहुंचे ऋषि पुत्र मुख्य वक्ता योगेश पटेल के द्वारा आज प्रज्ञा पुराण में बताया गया कि देवताओं का "वरदान" वस्तुत: इतना सस्ता नहीं है जितना लोगों ने समझ रखा है।वे 'दर्शन' करने मात्र से प्रसन्न हो जाएँगे या अक्षत, पुष्प जैसी छोटी चीजें पाकर अपना अनुग्रह हमारे ऊपर उड़ेल देंगे, ऐसा सोचना उचित नहीं। पूजा का भी अपना महत्त्व है, उसका भी लाभ होता है, पर मूल तथ्य "पात्रता" है। अनधिकारी की या कुपात्र की प्रार्थना सफल नहीं होती। देवता या भगवान को प्रसन्न करने का, उनका अनुग्रह प्राप्त करने का सुनिश्चित मार्ग अपनी पात्रता बढ़ाना ही हो सकता है।
इस सृष्टि में कोई वस्तु मुफ्त नहीं मिलती।हर वस्तु का मूल्य निर्धारित है। उसे चुकाने पर ही कुछ प्राप्त कर सकना संभव हो सकता है। सुख और समृद्धि की प्राप्ति पुण्यफल की मात्रा पर निर्भर रहती है। दुःख हमारी त्रुटियों और विकृतियों के फलस्वरूप प्राप्त होते हैं। सुख प्राप्त करने और दुःख निवारण के लिए पुण्य एवं तप की अभीष्ट मात्रा चाहिए। अन्यथा वाणी से निकले हुए केवल शब्द भले वह आशीर्वाद की भाषा में कहे गए हों, किसी के लिए विशेष उपयोगी सिद्ध नहीं हो सकते।
ईश्वर की सुव्यवस्थित सृष्टि का कण-कण नियम-बंधनों में बँधा हुआ है। इतना बड़ा शासनतंत्र बिना नियम व्यवस्था के चल ही नहीं सकता।सूर्य और चंद्रमा नियत समय पर उदय होते हैं, पृथ्वी नियत मार्ग पर नियत चाल से चलती है।
प्रार्थना करने मात्र से मनमाने उपहार देने लगे तो फिर प्रयत्न और पुरुषार्थ करने के लिए किसी को क्या आकर्षण रह जाएगा. फिर कर्मफल का तथ्य तो एक उपहास की बात बन जाएगा।
गुरुजन कृपा अवश्य करते हैं और उनके आशीर्वाद से लोगों का लाभ भी अवश्य होता है, पर वह कृपा विशुद्ध रूप में प्रार्थी की पात्रता पर निर्भर रहती है।
ग्राम कोचवाय में आयोजित प्रज्ञा पुराण एवम महायज्ञ के तीसरे दिवस शान्ति कुंज से पधारे ऋषिपुत्रों द्वारा यज्ञ क्यों करना चाहिए इस पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि हम सबको प्रतिदिन नियमित यज्ञ करना चाहिए , हमारे पास हवन सामग्री ना हो तो तुलसी के पौधा में जल चढ़ा दो यज्ञ का फल मिलेगा और जल भी न हो तो हवा में हाथ उठाकर भाव से यज्ञ भगवान को याद कर लीजिए बस यज्ञ हो गया।
यज्ञ हमारी संस्कृति का हिस्सा है यज्ञ कभी नहीं छोड़ना चाहिए । यज्ञ का धूम्र ओजोन परत को छिद्र होने से बचाता है यज्ञ से वर्षा होती है और पेड़ पौधा को प्राण मिलता है । इसके अभाव में हम आज कमजोर और दुर्बल हो रहे हैं। आज गोबर खाद का उपयोग कम कर रहे हैं और हम रासायनिक खाद का कीटनाशक का उपयोग कर रहे हैं इससे आज पसीना बहा कर कमाते हैं फिर भी हम डायबिटीज बीपी आदि अन्य बीमारियों का प्रकोप हम पर हावी हो रहा है इसलिए परम पूज्य गुरुदेव ने यज्ञ को प्राथमिकता देते हुए यज्ञ को एक अभियान की तरह छेड़ा जिससे मानव में देवत्व का उदय हो रहा है और वातावरण की शुद्ध होता है यज्ञ जीवन जीने की कला सिखाती है । हमारा जीवन शानदार बने हम देवता के समान जी सके यज्ञ में विभिन्न संस्कार के महत्व को बताते हुए पुंसवन संस्कार 46 , मुंडन संस्कार 33, विद्यारंभ संस्कार 11, संस्कार करा सभी के उज्जवल भविष्य की कामना की गई। भोजन अवकाश के पास साथ नारी सशक्तिकरण का कार्यकम किया गया एवं युवा प्रकोष्ठ द्वारा युवा शिविर कर आए हुए युवाओं को बदलते समय का पुकार पर चर्चा के पश्चात दीपयज्ञ किया गया। कल दिनांक 03 जनवरी बुधवार को भी विभिन्न संस्कार कराया जाएगा तथा यज्ञ की पूर्णाहुति की जाएगी।
विभिन्न संस्कारो को पूरा करने में रोमन चन्द्राकर , सुनीता साहू , वसुंधरा देवांगन , प्रेमलता यादव , नारद मेश्राम , विष्णु सिन्हा का विशेष योगदान रहा ।
माँ गायत्री के महायज्ञ एवं प्रज्ञा पुराण में शामिल होने वाले सभी भक्तों के लिए भोजन भण्डारा की व्यवस्था रखा गया है ।
अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन एवं कोचवाय सहित आस पास के ग्रामीणों और गायत्री परिवार गरियाबंद के चारो ईकाई के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम हर दिन हजारों की संख्या में लोग पहुँच कर यज्ञ में आहुति दे रहे हैं ।
आयोजन समिति गायत्री परिवार महिला प्रकोष्ठ के श्री मति सुनीता धर्मेंद्र साहू ने अधिक से अधिक संख्या में पहुँचक्रर इस दिव्य महायज्ञ का लाभ उठाने का अपील क्षेत्र वासियों से किया है।
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.