सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और मदद करे : पंडित परमानंद शास्त्री
तिल्दा-नेवरा। काम, क्रोध और लोभ तीन चीज जीवन में हमेशा दुख देता है। इसलिए इन तीन चीजों से दूर रहकर भगवान की भक्ति करनी चाहिए। जीवन क्षणभंगुर है। एक दिन दुनिया को छोड़कर सब को जाना है। उक्त बातें ठाकुरदेव चौक मढ़ी में समस्त मोहल्ला वासियों की ओर से आयोजित हो रही संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह के सातवें दिन गुरुवार को कथावाचक भागवत भूषण पंडित परमानंद शास्त्री मढ़ी वाले ने कही। व्यास पीठ से कथा व्यास ने सुदामा चरित्र प्रसंग पर भावपूर्ण व्याख्यान दिया तो श्रोताओं के आंखों में आंसू आ गई। इस दौरान कथा व्यास ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया। कथाव्यास ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र (सखा) से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे। द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा-सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे। सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया-कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए। और उनका अभिनंदन किया। इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। उन्होंने सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की। इसके बाद महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। कथा श्रवण करने बड़ी संख्या में रसिक श्रोतागण कथा पंडाल पहुंच धर्म लाभ अर्जित कर रहे हैं। कथा का विश्राम 02 मार्च को होगा। परायणकर्ता कृष्णा प्रसाद शर्मा सांकरा वाले हैं।
C N I न्यूज से अजय नेताम की रिपोर्ट
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