गौ सेवा और गौ रक्षा हमारा परम धर्म है - - - . आचार्य नंदकुमार शर्मा
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(कृष्ण रुक्मणी विवाहोत्सव धूमधाम से मनाया गया...)
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सी एन आई न्यूज से अजय नेताम की रिपोर्ट
तिल्दा नेवरा समीपस्थ ग्राम भैंसा ( पौंसरी ) मे चल रही भागवत कथा के छठवे दिन गुरुवार को छत्तीसगढ़ अंचल के प्रसिद्ध भागवत प्रवक्ता आचार्य पं. नंदकुमार जी शर्मा, निनवा तिल्दा वाले भगवान कृष्ण की बाल माधुर्य लीला की कथा बताये जिसे सुनकर सभी श्रद्धालुगण मंत्र मुग्ध हो गए.. आचार्य शर्मा ने बताया कि भगवान कृष्ण ने केवल छः दिन के उम्र मे सर्वप्रथम पूतना नामक राक्षसी का वध किया. कंस का भेजा हुआ पूतना भगवान के अस्तित्व को समझ नहीं पायी और कृष्ण को जहर पीला कर मारने की योजना बना कर आयी. लेकिन भगवान कृष्ण ने उनका वध करके उनका उद्घार कर दिया. उन्होंने बताया कि पूतना ही अविद्या माया है. जब मनुष्य के जीवन मे अविद्या माया आती है. भ्रम एवं अज्ञान भी इसके पर्याय है। यह चेतनता की स्थिति तो हो सकती है, लेकिन इसमें जिस वस्तु का ज्ञान होता है, वह मिथ्या होती है। सांसारिक जीव अहंकार अविद्याग्रस्त होने के कारण जगत् को सत्य मान लेता है और अपने वास्तविक रूप, ब्रह्म या आत्मा का अनुभव नहीं कर पाता। एक सत्य को अनेक रूपों में देखना एवं मैं, तू, तेरा, मेरा, इत्यादि का भ्रम उसे अविद्या के कारण होता है। आगे आचार्य जी माखन चोरी लीला, कालिया मर्दन आदि लीलाओं का वर्णन किए. उन्होंने बताया कि भगवान कृष्ण गौ माता की महत्ता और सेवा को सरोकार करने के लिए गौ चारण लीला भी किए. आचार्य शर्मा ने कहा कि गौमाता की महिमा अपरंपार है। मनुष्य अगर जीवन में गौमाता को स्थान देने का संकल्प कर ले तो वह संकट से बच सकता है। मनुष्य को चाहिए कि वह गाय को मंदिरों और घरों में स्थान दे, क्योंकि गौमाता मोक्ष दिलाती है। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि गाय की पूंछ स्पर्श मात्र से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है। उन्होंने बताया कि गाय की महिमा को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। मनुष्य अगर गौमाता को महत्व देना सीख ले तो गौमाता उनके दुख दूर कर देती है। गाय हमारे जीवन से जु़ड़ी है। उसके दूध से लेकर मूत्र तक का उपयोग किया जा रहा है। गौमूत्र से बनने वाली दवाएं बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण मानी जाती हैं।
गौ माता के शरीर मे 33 कोटि देवी देवताओं का वास होता है. एक गौ माता की पूजा करने से 33 कोटि देवी देवताओं के पूजा हो जाती है.! आचार्य शर्मा ने कहा कि रोज सुबह गौ-दर्शन हो जाए तो समझ लें कि दिन सुधर गया, क्योंकि गौ-दर्शन के बाद और किसी के दर्शन की आवश्यकता नहीं रह जाती। लोग अपने लिए आलीशान इमारतें बना रहे हैं यदि इतना धन कमाने वाले अपनी कमाई का एक हिस्सा भी गौ सेवा और उसकी रक्षा के लिए खर्च करें तो गौमाता उनकी रक्षा करेगी इसलिए गौ-दर्शन को सबसे सर्वोत्तम माना जाता है। गाय और ब्राह्मण कभी साथ नहीं छोड़ते हैं लेकिन आज के लोगों ने दोनों का ही साथ छोड़ दिया है। जब पांडव वन जा रहे थे तो उन्होंने भी गाय और ब्राह्मण का साथ मांगा था। समय के बदलते दौर में राम, कृष्ण और परशुराम आते रहे और उन्होंने भी गायों और संतों के उद्धार का काम किया. उन्होंने बताया कि रोज सुबह गौ-दर्शन हो जाए तो समझ लें कि दिन सुधर गया, क्योंकि गौ-दर्शन के बाद और किसी के दर्शन की आवश्यकता नहीं रह जाती। लोग अपने लिए आलीशान इमारतें बना रहे हैं यदि इतना धन कमाने वाले अपनी कमाई का एक हिस्सा भी गौ सेवा और उसकी रक्षा के लिए खर्च करें तो गौमाता उनकी रक्षा करेगी इसलिए गौ-दर्शन को सबसे सर्वोत्तम माना जाता है। आज लोगों को नहीं मालूम कि भविष्य में बड़ी समस्याओं का हल भी गाय से मिलने वाले उत्पादों से मिल सकता है। आने वाले दिनों में संकट के समय गौमाता ही लोगों की रक्षा करेगी। इस सच्चाई से लोग अनजान हैं।गौ माता ही हमारी संस्कृति और धर्म में ऐसे देवता के रूप में प्रतिष्ठित है,जिनकी नित्य सेवा और दर्शन करने का विधान हमारे शास्त्रों ने किया है। आचार्य शर्मा ने गृहस्थ नर नारियों को संकेत करते हुए कहा जिस घर मे गौ माता का पूजन होता , उस घर में माता लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है और अकाल मृत्यु कभी नहीं होती. सारे यज्ञ करने में जो पुण्य है और सारे तीर्थ नहाने का जो फल मिलता है, वह फल गौ माता को चारा डालने और उनकी सेवा करने मात्र से सहज ही प्राप्त हो जाता है। आगे आचार्य जी अनेकानेक कथाओं का वर्णन करते हुए भगवान कृष्ण और रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाए. पूरा कथा पंडाल भगवान के विवाहोत्सव मे झूम उठे और नृत्य किए.
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