नवीन कानून के संबंध में रेंज स्तरीय एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन सम्पन्न
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
सरगुजा - नवीन कानून भारतीय न्याय संहिता , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की धारा 23 (2) के संबंध में आज पुलिस कोऑर्डिनेशन सेंटर अंबिकापुर में पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा रेंज अंकित गर्ग के नेतृत्व में रेंज स्तरीय थाना प्रभारी/विवेचकों का एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
जिसमें सहायक उप निरीक्षक से निरीक्षक स्तर तक के पुलिस अधिकारी विवेचकों को शामिल किया गया। कार्यशाला में भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की धारा 23 (2) के संबंध में रेंज आईजी द्वारा नवीन कानून लागू होने के पश्चात से समय-समय पर कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है , इसके पूर्व भी रेंज आईजी द्वारा नवीन कानून के संबंध में कार्यशाला का आयोजन कर नवीन कानून के विभिन्न नए प्रावधानों एवं प्रक्रियाओं के संबंध में रेंज स्तर पर प्रशिक्षण दिया गया है। हाल ही में 19 जुलाई को जिला जशपुर में रेंज स्तरीय दोषमुक्ति प्रकरणों की समीक्षा के दौरान पाया गया कि गंभीर प्रकरणों में न्यायालय द्वारा विवेचना में त्रुटि जैसे जप्ती साक्ष्य का पक्षद्रोही कथन मेमोरेंडम कथनों में अपूर्ण वर्णन कथन एवं चैन कस्टडी में लिंक नहीं होने के कारण आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है। उपरोक्त तथ्यों को गंभीरता पूर्वक लेते हुये रेंज आईजी अंकित गर्ग द्वारा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की धारा 23 (2) के संबंध में कार्यशाला का आयोजन कर मेमोरेंडम कथनों को लेखवद करने में होने वाले त्रुटियों को बताते हुये उन्हें परिशुद्ध रूप से लेख करने के बारे में जानकारी दी गई , जिससे कि विचारण पश्चात न्यायालय द्वारा आरोपियों को दोषसिद्ध की संभावना पूर्ण हो। इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी बताया कि नवीन कानून लागू होने के पश्चात प्रकरणों की विवेचना कार्यवाही में कथन जप्ति एवं तलाशी के दौरान ऑडियो , फ़ोटोग्राफ़ी , वीडियो ग्राफी की महत्ता के बारे में विस्तृत जानकारी दिये गये। साथी महिला एवं बच्चों से संबंधित अपराधों में एफएसएल टीम की उपस्थिति में साक्ष्यों को एकत्रित करने व साक्ष्यों के सही तरीके से संग्रहण करने के संबंध में जानकारी दी गई। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य त्रुटिरहित विवेचना करते हुये प्रकरणों को न्यायालय प्रस्तुत किया जावे जिससे कि आरोपियों दोषसिद्ध किया जा सके , साथ ही उन्होंने विवेचकों को समझाया कि मेमोरेंडम कथनों को जिस भाषा में अभियुक्त के द्वारा दिया जा रहा है उसी भाषा में लेखबद्ध किया जावे ताकि प्रकरण दूषित ना हो और घटना की वास्तविकता पूर्ण रूप से परिलक्षित हो। साथ ही अभियुक्त के द्वारा बताये गये संपूर्ण वस्तुओं/सामग्रियों को जो घटनाक्रम से संबंधित हो उसको अक्षरशः लिपिबद्ध एवं जप्ती करने हेतु बताया गया इसके अतिरिक्त विवेचना कार्रवाई की समस्त दस्तावेज़ी साक्ष्यों जैसे जप्ती , तलाशी आदि के विवरण को तकनीकी रूप जैसे हैस वैल्यू सॉफ्टवेयर में स्टोर करने के संबंध में जानकारी दी गई , जिससे किसी भी घटना /अपराध से संबंधित है उनकी जानकारी की परिशुद्धता करप्ट न या उससे छेड़छाड़ न किया जा सके तथा आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय में प्रस्तुत किया जा सके और मजबूत साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सके। आयोजित कार्यशाला के दौरान पुलिस अधीक्षक सरगुजा योगेश पटेल , अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरगुजा अमोलक सिंह ढिल्लों , अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एमसीबी अशोक वाडे़गावकर , नगर पुलिस अधीक्षक सरगुजा रोहित शाह , वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी एस.के. सिंह , डीपीओ सरगुजा केसरी , एडीपीओ श्रीमती जीतेश्वरी सोनवानी , एडीपीओ कुमारी अश्वनी ठाकुर , उप पुलिस अधीक्षक पु.म.नि. कार्यालय मानक राम कश्यप , रक्षित निरीक्षक सरगुजा तृप्ति सिंह राजपूत सहित रेंज के थाना प्रभारी /विवेचक एवं आईजी रीडर सुभाष ठाकुर उपस्थित रहे।
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