अमरूवा स्कूल के बच्चे बारिश के दिनों खुले आसमान के नीचे पढाई करने मजबूर।
अंधकार में है छत्तीसगढ के स्कूली बच्चों का भविष्य।
छत्तीसगढ में शिक्षा व्यवस्था बदहाल।
शासकीय प्राथमिक शाला पुरानी बस्ती अमरूवा स्कूल भवन खंडहर में तब्दील।
स्कूल भवन पिछले 4 वर्षो से जर्जर हो चुका है।
प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी झाकने तक नही आते स्कूल।
कसडोल बलौदाबाजार। छत्तीसगढ सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर छत्तीसगढ के स्कूलों में पानी की तरह करोंडो रूपैए खर्च कर रही है लेकिन जमीनी स्तर से गांव के स्कूल निरीक्षण करे तो देखने कुछ और मिलेगे प्रदेश के हजारों स्कूलों में गंभीर परिस्थिति है।
जिसे शिक्षा विभाग के अधिकारी समस्याओं को दूर करने में नाकाम है। स्कूली शिक्षा विभाग की अधिकारियों का टीम स्कूल निरीक्षण को लेकर जरूर जाती है। लेकिन अपने स्कूल की समस्या का सिर्फ फाईलो में ओके रिपोर्ट दर्ज कर दिया जाता है। स्कूल की समस्या तक दूर नही हो पाती है। जिस तरह जिला बलौदा बाजार भाटापारा - कसडोल ब्लाक के संकुल केंद्र डुमरपाली अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला पुरानी बस्ती अमरूवा स्कूल भवन खंडहर में तब्दील हो गया है। यह स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर होकर खंडहर में तब्दील हो चूका है। स्कूल भवन में क्लिस नहीं लगाया जा राहा है। अमरूवा स्कूल के बच्चे बारिश के दिनों खुले आसमान के नीचे पढाई करने मजबूर है। और कुछ बच्चों का मौसम साफ रहता है तो पेड़ के छांव में क्लास लगाया जाता है अगर बारिश होता है तो राजकुमार नेटी के बरामदा में क्लास लगाया जाता है। यह स्कूल भवन पिछले 4 वर्ष से जर्जर हो चुका है। इस वर्ष पूरी तरह जर्जर हो कर खंडहर में तब्दील हो गया है। शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई बार क्षेत्रिय नेता जनप्रतिनीधी शासन प्रशासन को प्रस्ताव दिया गया है। लेकिन पिछले 4 वर्षो से स्कूल के नये भवन को लेकर किसी ने नही सोचा।अंधकार में है छत्तीसगढ के स्कूली बच्चों का भविष्य।प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी झाकने तक नही आते स्कूल। बदहाल शिक्षा व्यवस्था। सी एन आई न्यूज कसडोल छत्तीसगढ से तिलक राम बरिहा की रिपोर्ट।
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