महाशिवरात्रि पर भोरमदेव में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, छत्तीसगढ़ के खजुराहो में गूंजे "हर-हर महादेव"
कवर्धा। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भोरमदेव मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। यह मंदिर, जिसे "छत्तीसगढ़ का खजुराहो" भी कहा जाता है, आज भक्ति और आस्था के रंग में रंगा नजर आया।
सुबह से ही भक्तजन जलाभिषेक और पूजन के लिए कतारबद्ध नजर आए। "हर-हर महादेव" और "बम-बम भोले" के गगनभेदी जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा।
भक्तों का उमड़ा जनसैलाब
महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवभक्तों ने भोरमदेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक, दुग्धाभिषेक, जलाभिषेक और महामृत्युंजय मंत्रों का जाप किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु दूर-दराज से इस प्राचीन शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचे।
मंदिर प्रबंधन ने भक्तों की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की थी, ताकि सभी श्रद्धालु सुगमता से दर्शन कर सकें।
भोरमदेव मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
11वीं शताब्दी में नागवंशी राजाओं द्वारा निर्मित यह मंदिर अपनी अद्भुत शिल्पकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
इसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी कलाकृतियां मध्यकालीन भारतीय स्थापत्य कला की उत्कृष्ट मिसाल हैं। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अनमोल धरोहर है।
रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन का आयोजन
महाशिवरात्रि पर मंदिर में विशेष रात्रि जागरण का आयोजन किया गया है, जिसमें स्थानीय कलाकारों और कीर्तन मंडलियों द्वारा शिव भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी। चारों प्रहर की आरती के साथ-साथ भव्य शिव बारात का आयोजन भी श्रद्धालुओं के लिए मुख्य आकर्षण रहेगा।
आध्यात्मिक आस्था का केंद्र बना भोरमदेव
भक्तों का मानना है कि महाशिवरात्रि के दिन भोरमदेव मंदिर में दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। शिवभक्तों ने उपवास रखकर, रुद्राभिषेक कर, और महामृत्युंजय जाप के माध्यम से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त किया।
महाशिवरात्रि के इस पर्व ने भोरमदेव को आज श्रद्धा, आस्था और भक्ति के महासागर में डुबो दिया है। "हर-हर महादेव" के जयकारों के बीच भक्तों की शिवभक्ति का उत्साह अपने चरम पर है।
CNI NEWS कवर्धा छत्तीसगढ़ से अनवर खान की रिपोर्ट






















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