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Friday, May 9, 2025

लालपुर में सुदामा चरित्र की कथा सुन भाव विभोर हो गए श्रोता – सुदामा चरित्र के साथ हुआ भागवत कथा का समापन

 लालपुर में सुदामा चरित्र की कथा सुन भाव विभोर हो गए श्रोता



– सुदामा चरित्र के साथ हुआ भागवत कथा का समापन




रायपुर छत्तीसगढ़। लालपुर पर चल रही भागवत कथा का समापन शुक्रवार को सुदामा चरित्र के वर्णन के साथ हुआ। कथाव्यास पं. चंद्रकात शर्मा (राजू ) के द्वारा सुदामा चरित्र का वर्णन किए जाने पर पंडाल में उपस्थित श्रोता भाव-विभोर हो गए। 


कथा वाचक पं. चंद्रकात शर्मा (राजू ) ने भजन सुनाए। कथाव्यास पं. चंद्रकात शर्मा (राजू ) ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो।




 सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है।



उन्होंने कहा कि एक सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर मित्र कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी जाते हैं। जब वह महल के गेट पर पहुंच जाते हैं, तब प्रहरियों से कृष्ण को अपना मित्र बताते है और अंदर जाने की बात कहते हैं।




 सुदामा की यह बात सुनकर प्रहरी उपहास उड़ाते है और कहते है कि भगवान श्रीकृष्ण का मित्र एक दरिद्र व्यक्ति कैसे हो सकता है। प्रहरियों की बात सुनकर सुदामा अपने मित्र से बिना मिले ही लौटने लगते हैं। 




तभी एक प्रहरी महल के अंदर जाकर भगवान श्रीकृष्ण को बताता है कि महल के द्वार पर एक सुदामा नाम का दरिद्र व्यक्ति खड़ा है और अपने आप को आपका मित्र बता रहा है। द्वारपाल की बात सुनकर भगवान कृष्ण नंगे पांव ही दौड़े चले आते हैं और अपने मित्र को रोककर सुदामा को रोककर गले लगा लिया।

इधर भागवत कथा में कृष्ण लीलाओं का किया वर्णन किया।

भागवत कथा का आयोजन - हरदिया साहू समाज एवं समस्त लालपुर वासी द्वारा किया गया।


सी एन आई न्यूज के लिये हितेश मानिकपुरी की रिपोर्ट।

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