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Friday, September 5, 2025

श्रीगोवर्द्धनमठ की तीन दिवसीय प्रवास में चाम्पा अफरीद संगठन को हुई अलौकिक अनुभूति

 श्रीगोवर्द्धनमठ की तीन दिवसीय प्रवास में चाम्पा अफरीद संगठन को हुई अलौकिक अनुभूति



अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट 


जगन्नाथपुरी - भगवत्पाद शिवावतार आदि शंकराचार्य महाभाग द्वारा संस्थापित चार आम्नाय पीठों में से एक ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी पीठ के 145 वें  श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज चातुर्मास्य में श्रीगोवर्द्धनमठ में निवासरत रहते हैं एवं उपरोक्त सुअवसर पर संतवृन्द , विद्यार्थी तथा भक्त वृन्द मठ में उपस्थित रहकर पुरी शंकराचार्यजी के श्रीमुख से विद्याध्ययन का लाभ प्राप्त करते हैं। इस चातुर्मास्य में पूरे राष्ट्र के विभिन्न प्रांतों के धर्मसंघ पीठपरिषद् , आदित्यवाहिनी - आनन्दवाहिनी के सदस्यगण अपने - अपने क्षेत्रों में सनातन मान बिन्दुओं की रक्षा हेतु प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। विभिन्न अवसरों पर अपने आध्यात्मिक संदेश में श्रीशंकराचार्यजी सनातनी हिन्दुओं को संकेत करते हैं कि संयुक्त परिवार के विलोप का अर्थ होता है सनातन कुलाचार , कुलवधू  , कुलवर , कुलदेवी , कुलदेवता और कुलगुरु का विलोप होना। और इन सबके विलोप का अर्थ होता है मनुष्य को विकास के नाम पर सन्तान उत्पन्न करने और भोजन करने का मात्र यंत्र बना देना। इसी प्रकार किसी भी संस्थान में एक अराजक तत्व को आश्रय मिल गया , अराजक तत्व ही खिंचेंगे , गुरुत्वाकर्षण है। इसीलिये ध्यान रखना चाहिये कहीं भी कितना उपयोगी कोई क्यों ना हो , अराजकता उसके मस्तिष्क में है तो उसको पनपने नहीं देना चाहिये , वो घुसेगा तो अराजक तत्वों को ही आकर्षित करेगा। भविष्य में संक्रमण की स्थिति पर उद्घृत करते हैं कि आगे बहुत कुछ होना है , डरा नहीं रहे। एक प्रकार से विप्लवपूर्ण वातावरण बहुत सन्निकट है , सावधान रहने की आवश्यकता है। धर्म और ईश्वर के बल पर उद्दीप्त रहने की आवश्यकता है , उस घाटी को पार करने के बाद भारत , हिन्दू राष्ट्र के रूप में ख्यापित होगा और पूरे विश्व में हिन्दूत्व की लहर चलेगी , कई वर्षों तक भारत के प्रभाव में आकर अन्य देश भी आर्योचित आचार - विचार से सम्पन्नता का परिचय देने में समर्थ होंगे। उनका राष्ट्र के नाम संदेश है कि इन्दुसर से मानसर तक भारत बृहद बनायेंगे - हम भारत भव्य बनायेंगे। चातुर्मास्य में पूज्य शंकराचार्यजी के सानिध्य में गोष्ठी में सम्मिलित होना एक अलौकिक अनुभूति है। जो प्रथम बार इसमें सम्मिलित होते हैं उनके लिये कौतुहल का विषय होता है कि विश्व मानवता के एकमात्र हितचिंतक महान विभूति का उनको दर्शन का सौभाग्य सुलभ होगा वहीं पुराने भक्त एवं शिष्यों के लिये यह ऊर्जा प्राप्त करने का अवसर होता है। महाराजश्री के सत्संग कक्ष में आने के पूर्व उपस्थितजन कक्ष के शांत वातावरण में उपस्थित आध्यात्मिक ऊर्जा को आत्मसात करते हैं तत्पश्चात महाराजश्री के जिज्ञासाओं के समाधान क्रम में उनके दिव्य वाणी से उपदेश श्रवण तथा साक्षात दर्शन से स्वयं को कृतार्थ करते हैं। इस वर्ष चार्तुमास्य के समापन के कुछ दिनों पूर्व अफरीद (चाम्पा) छत्तीसगढ़ के सदस्यों को आनन्दवाहिनी प्रदेश प्रमुख एवं राष्ट्रीय संयोजिका श्रीमती सीमा तिवारी के निर्देशन में चालीस सदस्यीय दल को सेवा प्रकल्प का सुअवसर प्राप्त हुआ। इस अवसर पर पीठ परिषद के पद्मेश शर्मा , बंशीधर दीवान , गोंदी यादव , आदित्यवाहिनी के अरविंद तिवारी , रामकृष्ण केंवट , संतु भैना , हीरा लाल , संतू राम , धनंजय सिंह , अविनाश सिंह , विश्वनाथ सिंह , गौतम कुमार , ओंकार राठौर , सुंदर लाल , पंचू राम तथा आनंदवाहिनी से संगीता दीवान , पद्मा शर्मा , तुलसा तिवारी , मिथलेश राठौर , जनता बाई , वेद बाई , सुशीला केंवट , गंगा बाई , चंद्रिका बाई , किरण यादव , राजकुमारी , राम बाई कर्ष , हीरी बाई , संतोषी राठौर , राम बाई केंवट , सफुरा बाई , संतोषी बरेठ बाल और बाल वाहिनी से नैना यादव , नंदिता , धनेश्वरी , सोफरमती , रश्मि यादव , पूजा कुमारी , सावन यादव , उन्नति की सहभागिता रही।

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