राष्ट्रपति के रूप में आदर्श मर्यादा कायम करने वाले डॉ राजेन्द्र प्रसाद भारत एवं बिहार के इतिहास के जाज्वल्यमान विभूति- कुलपति
भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में संगोष्ठी आयोजित
कुलपति की अध्यक्षता में जुबिली हॉल में आयोजित संगोष्ठी में 300 से अधिक शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं की हुई सहभागिता
दरभंगा। भारत के राष्ट्रपति के रूप में डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने आदर्श मर्यादा कायम की। वे भारत एवं बिहार के इतिहास में जाज्वल्यमान महान विभूति थे।
उनका जीवन काफी संघर्ष पूर्ण रहा था, फिर भी उन्होंने परिश्रमपूर्वक अनेकानेक डिग्रियां प्राप्त की थी। डॉ राजेन्द्र ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन एवं देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके जीवन एवं कार्यों से प्रभावित होकर हमारे यहां अनेक अच्छे नेता बने। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी ने डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जयंती के अवसर पर जुबिली हॉल में विश्वविद्यालय समाजशास्त्र विभाग के तत्त्वावधान में "भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद : जीवन एवं कार्य" विषय पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए कही।
कुलपति ने कहा कि डॉ राजेन्द्र प्रसाद काफी कुशल राष्ट्रपति थे। कई बार विधेयकों पर विचार-विमर्श कर वे सुधार हेतु सरकार को वापस भी कर देते थे। उनके जीवन से सादा जीवन और उच्च विचार को अपनाने की हमें सीख मिलती है। ऐसे आयोजन सिर्फ औपचारिकता न हो। नई पीढ़ी को अपने महापुरुषों के जीवन से अच्छी सीख लेनी होगी, ताकि हमारा देश 2047 तक विकसित एवं विश्वगुरु बन सके।
कुलसचिव डॉ दिव्या रानी हांसदा ने कहा कि राजेन्द्र प्रसाद का जीवन अति प्रेरणादायक है। सादगी एवं विनम्रता ही उनकी असल पहचान है। वे मानते थे कि पद नहीं, बल्कि विचार महान होता है। संविधान निर्माण में अमूल्य योगदान देने वाले राजेन्द्र बाबू का विश्वास था कि जब गांव बढ़ेगा, तभी देश का विकास होगा। उन्होंने कहा कि आज के दिन हम संकल्प लें कि हम सब उनके बताए हुए रास्ते पर चलें। शिक्षा के संकायाध्यक्ष प्रो शशि भूषण राय ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने मूल्यपरक शिक्षा एवं संस्कारों की बात की थी, जिनसे हमारी भावी पीढ़ी भारत को महान बना सके। उन्होंने कहा कि यदि हम डॉ राजेन्द्र प्रसाद के बताए मार्ग पर काम चलेंगे तो समाज अवश्य आगे बढ़ेगा।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम डब्ल्यूआईटी के निदेशक प्रो अजय नाथ झा ने कहा कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति की जीवन शैली एवं विचारों को आत्मसात करने की जरूरत है। वे हमारे मार्गदर्शक हैं, जिनमें सारे मानवीय गुण मौजूद थे। उन्होंने कहा कि आज हमारे विश्वविद्यालय में सही काम तेज गति से हो रहे हैं। यशस्वी कुलपति के नेतृत्व में विश्वविद्यालय तेजी से आगे बढ़ रहा है। राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो मुनेश्वर यादव ने डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जयंती विश्वविद्यालय में पहली बार मनाए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि स्वप्न द्रष्टा राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में अमिट छाप छोड़े। अपने जीवन में हमेशा प्रथम रहने वाले डॉ राजेन्द्र प्रसाद का जीवन और कार्य हमारे लिए सदा अनुकरणीय है। इस अवसर पर कल समाजशास्त्र विभाग में आयोजित भाषण प्रतियोगिता में विभा कुमारी- प्रथम, वैष्णवी कुमारी- द्वितीय तथा लाल कुमार एवं तबस्सुम परवीन को संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्ति के लिए कुलपति ने प्रमाण पत्र आदि से सम्मानित किया। वहीं विभिन्न कॉलेजों से आए एनएसएस स्वयंसेवकों, पीजी एवं डब्ल्यूआईटी के 250 से अधिक छात्र-छात्राओं को भी कुलपति के हस्ताक्षर से प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।
स्वागत संबोधन करते हुए सामाजिक विज्ञान के संकायाध्यक्ष सह कार्यक्रम के संयोजक प्रो मो शाहिद हसन ने बताया कि आज ही के दिन 1884 में बिहार के सारण जिला अंतर्गत स्थित जीरादेई गांव में उनका जन्म हुआ था। राष्ट्रपति होते हुए भी वे आम लोगों का जीवन जिए और काफी लोकप्रिय हुए। समारोह के प्रारंभ में अतिथियों एवं शिक्षकों ने राजेन्द्र बाबू की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की। संगोष्ठी का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। अतिथि स्वागत पाग, चादर एवं बुके से किया गया। कार्यक्रम का संचालन समाजशास्त्र की प्राध्यापिका डॉ सुनीता कुमारी तथा प्राध्यापक डॉ प्रमोद गांधी ने संयुक्त रूप से किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ सरिता कुमारी ने किया। समारोह में 300 से अधिक शिक्षक, स्वयंसेवक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे, जिनके बैठने के लिए अतिरिक्त कुर्सियों की भी व्यवस्था की गई।
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