सुरूप द्वादशी आज - इस दिन भगवान विष्णु के सुंदर स्वरूप की पूजा की जाती है, मान्यता है कि इससे सुंदरता और सौभाग्य बढ़ता है ।
सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी। पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी व्रत रखते हैं और अगले दिन द्वादशी तिथि को पारण करते हैं। ये द्वादशी तिथि बेहद अहम है, क्योंकि इस दिन सुरूप द्वादशी व्रत रखा जाता है। जैसा कि 'सुरूप' शब्द से ही जाहिर है - सुंदर रूप। इस व्रत में भगवान विष्णु के सुंदर रूप की पूजा की जाती है, उनका स्मरण-ध्यान किया जाता है। ऐसा करने से सुंदरता और सौभाग्य बढ़ता है। इस साल सुरूप द्वादशी व्रत 16 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा।
सुरूप द्वादशी का महत्व
एकादशी तिथि की तरह सुरूप द्वादशी के दिन भी भगवान विष्णु की ही पूजा की जाती है। इस दिन उनके अलग-अलग सुंदर स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह व्रत करने से जातक की सुंदरता और सौभाग्य बढ़ता है। इसलिए यह व्रत उन लोगों के लिए खास है जो उत्तम स्वास्थ्य, सुंदरता और आकर्षण की कामना करते हैं। यह व्रत सुंदर और स्वस्थ तन के साथ सुंदर मन भी देता है।
सुरूप द्वादशी के दिन करें पीले रंग का उपयोग
सुरूप द्वादशी की पूजा करते समय पीले रंग के कपड़े पहनें। साथ ही भगवान विष्णु की पूजा करें और पूजा में पीले फूल अर्पित करें। श्रीहरि का पीले वस्त्रों से श्रृंगार करें। चने की दाल और बेसन की मिठाई का भोग लगाएं। ब्राह्मणों को भोजन कराएं, उन्हें दक्षिणा दें। जरूरतमंदों को भी दान करें।
कृष्ण भगवान ने दुःख दूर किए थे
माना जाता है कि इस दिन श्री कृष्ण ने भक्तों के दुखों को दूर किया था, इसलिए इसे कृष्ण पूजा पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। यह व्रत और पूजा करने से साधक को मानसिक शांति मिलती है। एकाग्रता बढ़ती है। उसके जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है। मोक्ष मिलने का द्वार खुलता है. पापों से मुक्ति मिलती है। जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही है, उनके जल्दी शादी के योग बनते हैं। सुंदर, स्वस्थ और संस्कारी जीवनसाथी मिलता है। साथ ही उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत रखते हैं।
द्वादशी व्रत की विधि
• प्रातःकाल स्नान: द्वादशी के दिन प्रातः जल्दी उठकर गंगा जल से स्नान करें या तीर्थ जल का प्रयोग करें।
• भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने दीपक, धूप और नैवेद्य चढ़ाकर पूजा करें।
• व्रत का पारण: एकादशी व्रत का पारण इस दिन उचित समय पर करें। पारण करते समय सात्विक भोजन करें।
• दान-पुण्य: इस दिन गरीबों, ब्राह्मणों, और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करें।
द्वादशी तिथि के लाभ
• मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
• भगवान विष्णु की कृपा से कष्ट और संकट दूर होते हैं।
• जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।
• मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।


















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