राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्पदृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम : किशोरावस्था में आंखों की सुरक्षा व देखभाल के लिए दिशा-निर्देश जारी*
कवर्धा, 05 दिसंबर 2025। राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा के निर्देशन में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. डी.के. तुरे ने किशोरों के लिए आंखों की सुरक्षा एवं देखभाल संबंधी विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। जिला नोडल अधिकारी एवं नेत्र विशेषज्ञ डॉ. क्षमा चोपड़ा ने बताया कि डिजिटल युग में बढ़ते स्क्रीन एक्सपोजर को देखते हुए किशोरावस्था में नेत्र स्वास्थ्य की विशेष देखभाल अत्यंत आवश्यक है।
अपनी दृष्टि को समझें
किशोरावस्था में पढ़ाई, खेल, डिजिटल उपयोग और सोशल गतिविधियां बढ़ जाती हैं। ऐसे में आंखों को स्वस्थ रखना अनिवार्य है। बढ़ते मोबाइल उपयोग के कारण नेत्र-देखभाल अब विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बन गई है।
डिजिटल आई स्ट्रेन से बचाव
मोबाइल, लैपटॉप की नीली रोशनी आंखों पर तनाव बढ़ाती है। 20-20 नियम अपनाएँ, हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें। स्क्रीन देखने के दौरान 60 प्रतिशत कम पलकें झपकती हैं इससे सूखापन बढ़ता है। हर ब्रेक में 10 बार पलकें झपकाएँ। स्क्रीन आपकी आंखों की सीध से थोड़ा नीचे और कम से कम 25 इंच दूर रखें। ब्राइटनेस को कमरे की रोशनी के अनुसार सेट करें, ऑटो मोड सर्वोत्तम है।
बाहर का समय, भविष्य की दृष्टि का कवच
धूप में समय बिताने से मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) का खतरा घटता है। बाहर निकलते समय 100 प्रतिशत यूवी-ए एवं यूवी-बी सुरक्षा वाले सनग्लासेस पहनें। सूर्य की किरणें कॉर्निया व लैंस को नुकसान पहुँचा सकती हैं, जिससे उम्र बढ़ने पर मोतियाबिंद का जोखिम बढ़ता है। टोपी/कैप पहनने से न्ट एक्सपोजर 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
पोषण आंखों के सुपरफूड्स
आंखों का स्वास्थ्य सीधे आपकी डाइट से जुड़ा है। ल्यूटिन व जियाजैन्थिनः पालक, केला, अंडा। ओमेगा-3 फैटी एसिडः अखरोट, चिया सीड्स, अलसी, सैल्मन आदि। विटामिन सी व ई संतरा, नींबू, स्ट्रॉबेरी, गाजर, बादाम। पर्याप्त पानी पिएँ, यह आंखों में नमी बनाए रखता है।
स्वच्छता एवं संपर्क लेंस सुरक्षा
आंखें न रगड़ें, कॉर्निया को नुकसान और संक्रमण का खतरा बढ़ता है। कॉन्टैक्ट लेंस उपयोग में लापरवाही न करें। गंदे हाथों से लेंस छूने या लेंस पहनकर सोने से कॉर्नियल अल्सर और स्थायी दृष्टि हानि तक हो सकती है।
नियमित जांच व सुरक्षा उपाय
नेत्र जांच केवल चश्मे का नंबर जानने के लिए नहीं, बल्कि गंभीर बीमारियों के समय पर निदान के लिए भी महत्वपूर्ण है। हर वर्ष एक बार विस्तृत नेत्र परीक्षण अवश्य कराएँ। सिरदर्द, लाली, पानी आना, धुंधलापन आदि लक्षणों को अनदेखा न करें। खेल गतिविधियों में हमेशा सुरक्षात्मक आई-वियर का प्रयोग करें।
पालकों के लिए विशेष निर्देश
14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को मोबाइल, लैपटॉप न दें। 16 वर्ष तक स्क्रीन एक्सपोजर 2-3 घंटे से अधिक न हो। टीवी 4 वर्ष की उम्र से अधिकतम 1 घंटा हर वर्ष धीरे-धीरे समय बढ़ाएँ। 16 वर्ष से पहले सोशल मीडिया की अनुमति न दें।
शिक्षकों के लिए सुझाव
छात्रों को प्रोजेक्ट, होमवर्क मोबाइल या डिजिटल माध्यम पर न दें। कक्षा में विद्यार्थियों को नियमित रूप से आगे पीछे रोटेशन में बैठाएँ ताकि दृष्टिदोष का प्रारंभिक पता चल सके। किसी भी संदेह की स्थिति में अभिभावक की उपस्थिति में नेत्र विशेषज्ञ द्वारा परीक्षण करवाएँ।
CNI NEWS कवर्धा छत्तीसगढ़ से अनवर खान की रिपोर्ट


















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