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Tuesday, December 23, 2025

अंगारक विनायक चतुर्थी व्रत आज,इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है, और दुखों से छुटकारा मिलता है

 अंगारक विनायक चतुर्थी व्रत आज,इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है, और दुखों से छुटकारा मिलता है। 




सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी। 

   जब किसी महीने की चतुर्थी तिथि का संयोग मंगलवार को होता है तो इसे अंगारक चतुर्थी कहते हैं। साल में 2 या 3 बार ही अंगारक चतुर्थी का संयोग बनता है, इसलिए इसे बहुत ही शुभ मानते हैं। साल 2025 की अंतिम अंगारक चतुर्थी का संयोग इस बार 23 दिसंबर, मंगलवार को बन रहा है। इस दिन भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ मंगलदेव की पूजा करना भी शुभ रहेगा।


अंगारक चतुर्थी शुभमुहूर्त-


सुबह 09:47 से 11:06 तक सुबह 11:06 से दोपहर 12:25 तक दोपहर 12:04 से 12:47 तक (अभिजीत मुहूर्त) दोपहर 12:25 से 01:45 तक दोपहर 03:04 से 04:23 तक


अंगारक चतुर्थी व्रत-पूजा विधि-


- सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियम का पालन करें।

- शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें। पूजन सामग्री को एक स्थान पर एकत्रित करके रख लें। पूजन स्थान को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।

- शुभ मुहूर्त शुरू होने पर पूजा स्थान पर लकड़ी का पटिया रखकर इसके ऊपर भगवान श्रीगणेश का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। पास में ही दीपक भी जलाएं।

भगवान की प्रतिमा पर कुमकुम से तिलक करें, फूलों की माला पहनाएं। एक-एक करके दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल रोली, हल्दी, फल, फूल आदि चीजें चढ़ाएं।

- पूजा करते समय ऊं गं गणेशाय नम: मंत्र का जाप भी करें। श्रीगणेश को लड्डू का भोग लगाएं और आरती करें। समय हो तो कुछ देर मंत्र जाप भी करें।

- रात को चंद्रमा उदय होने पर पहले जल से अर्ध्य दें और फूल, चावल आदि चीजें चढ़ाकर पूजा करें। घर के बुजुर्गों के पैर छुएं। इसके बाद स्वयं भोजन करें।

- चतुर्थी तिथि का व्रत महिलाओं के साथ पुरुष भी कर सकते हैं। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। दुखों से छुटकारा मिलता है।


अंगारक चतुर्थी क्या है?


संकष्टि चतुर्थी के इस विशेष दिन का नाम ‘अंगारक’ मंगल ग्रह से जुड़ा होने के कारण पड़ा है। ‘अंगारक’ का अर्थ होता है जलते हुए कोयले जैसा लाल, जो ऊर्जा, शक्ति और उत्साह का प्रतीक है। इस दिन, चतुर्थी तिथि मंगलवार को पड़ती है, इसलिए इसे अंगारक चतुर्थी कहा जाता है। इस अवसर पर लोग भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ मंगलदेव की भी पूजा करते हैं, जिससे जीवन में मंगल ग्रह की अनुकूलता बनी रहती है।


विशेष रूप से उन लोगों के लिए यह व्रत लाभकारी है जिनकी कुंडली में मंगल दोष या मांगलिक दोष है। इस व्रत और पूजा से उनकी जीवन में चल रही समस्याओं का समाधान संभव होता है।

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