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Monday, June 22, 2020

रथयात्रा प्रतिबंध पुनर्विचार याचिका पर आज सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट


अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट 

नई दिल्ली -- जगन्नाथ रथयात्रा के आयोजन को लेकर 18 जून के अपने पहले आदेश में संशोधन करने की मांँग करने वाली चार याचिकाओं पर आज सोमवार को 11:00 बजे जस्टिस एस० रवींद्र भट की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की सिंगल जज बेंच में सुनवाई करेगी।
गौरतलब है कि 18 जून को भारत के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हित में, ओडिशा के पुरी में इस साल की रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अगर हम इस साल की रथ यात्रा का आयोजन करने देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे। कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों को देखते हुये सुप्रीम कोर्ट ने पुरी समेत उड़ीसा के विभिन्न इलाकों में जगन्नाथ रथयात्रा पर रोक लगा दी थी। दायर की गई याचिका में कहा गया है कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा सदियों पुरानी परंपरा है, जिसमें करोड़ों लोगों की आस्था है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि पुरी की मुख्य रथयात्रा को निकालने की अनुमति दी जाये। यात्रा निकालने और पूजा के लिये लाखों लोगों को नहीं केवल 500-600 लोगों को इजाजत मिले, जो कोरोना संकट के चलते बचाव संबंधी गाइडलाईन और शारीरिक दूरी का पूरा ध्यान रख सकें।इससे पहले पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु  शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी और जगन्नाथ मंदिर के अन्य पुजारियों सहित विहिप  ने भी इस बात पर जोर दिया कि कोरोना वायरस के कारण रथयात्रा को रोकने के अपने फैसले पर उच्चतम न्यायालय पुनर्विचार करे और जरूरी एहतियात के साथ इस उत्सव को आयोजित करने की मंजूरी दे।गजपति महाराज दिब्यसिंह देब और सेवादारों ने उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से अनुरोध किया है कि वे उच्चतम न्यायालय के 18 जून के आदेश में संशोधन के लिये जल्दी अर्जी देने में हस्तक्षेप करें। वे चाहते हैं कि राज्य सरकार न्यायालय से रथ यात्रा की अनुमति ले ले, भले ही उसमें लोग शामिल ना हों। गजपति महाराज ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लिखे अपने पत्र में स्कंद पुराण, ब्रह्म पुराण, निलाद्री महोदया और बामदेब संहिता से संदर्भ देते हुये कहा है कि पुरी में भगवान श्रीजगन्नाथ की वार्षिक रथयात्रा का आयोजन स्वीकृत और अनिवार्य है। इन पुराणों में स्पष्ट लिखा है कि श्री श्री जगन्नाथ महाप्रभु (जिन्हें पुराणों में श्री पुरुषोत्तम कहा गया है) परमात्मा हैं। वह कोई अवतार नहीं हैं, बल्की अवतारी हैं और श्री जगन्नाथ धाम पृथ्वी पर उनका स्थायी निवास है।

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