डोंगरगढ महेन्द्र शर्मा बंटी- विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 14 जून को ‘रक्तदान दिवस‘ मनाया जाता है। वर्ष 1997 में संगठन ने यह लक्ष्य रखा था कि विश्व के प्रमुख 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक रक्तदान को ही बढ़ावा दें। मकसद यह था कि रक्त की जरूरत पड़ने पर उसके लिए पैसे देने की जरूरत नहीं पड़ना चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की ज़रूरत है लेकिन उपलब्ध 75 लाख यूनिट ही हो पाता है। यानी क़रीब 25 लाख यूनिट रक्त के अभाव में हर साल सैंकड़ों मरीज़ दम तोड़ देते हैं। राजधानी दिल्ली में आंकड़ों के मुताबिक यहां हर साल 350 लाख रक्त यूनिट की आवश्यकता रहती है, लेकिन स्वैच्छिक रक्तदाताओं से इसका महज 30 फीसदी ही जुट पाता है। जो हाल दिल्ली का है वही शेष भारत का है। यह अकारण नहीं कि भारत की आबादी भले ही सवा अरब पहुंच गयी हो, रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं पहुंच पाया है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में कुल रक्तदान का केवल 59 फीसदी रक्तदान स्वेच्छिक होता है। जबकि राजधानी दिल्ली में तो स्वैच्छिक रक्तदान केवल 32 फीसदी है। दिल्ली में 53 ब्लड बैंक हैं पर फिर भी एक लाख यूनिट रक्त की कमी है। वहीं दुनिया के कई सारे देश हैं जो इस मामले में भारत को काफ़ी पीछा छोड़ देते हैं। मालूम हो हाल में राजशाही के जोखड़ से मुक्त होकर गणतंत्र बने नेपाल में कुल रक्त की ज़रूरत का 90 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान से पूरा होता है तो श्रीलंका में 60 फीसदी, थाईलेण्ड में 95 फीसदी, इण्डोनेशिया में 77 फीसदी और अपनी निरंकुश हुकूमत के लिए चर्चित बर्मा में 60 फीसदी हिस्सा रक्तदान से पूरा होता है।
रक्तमित्र हनी गुप्ता ने बताया कि- एक यूनिट रक्तदान में 350 मिलीग्राम खून लिया जाता है। रक्तदान के बाद हुई खून की कमी 24 घंटे में पूरी हो जाती है। एक यूनिट खून से एक यूनिट प्लाज्मा, एक यूनिट प्लेटलेट्स, एक यूनिट आरबीसी और एक यूनिट क्रायो मिलता है। इनसे अलग-अलग चार लोगों का जीवन बचाया जा सकता है। हर तीन महीने के अंतराल पर दोबारा रक्तदान कर सकते हैं। रक्तदान के लिए शरीर का न्यूनतम वजन 45 किलो होना चाहिए। रक्तदान पूर्व की जांच से शरीर की स्थिति का पता चलता है। हार्ट अटैक कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है। रक्तदान के बाद होने वाली खून की जांच में एचआईवी, एचबीएसएजी, एचसीबीएल, मलेरिया का भी पता चलता है। इसकी रिपोर्ट निगेटिव होने पर ही खून को सुरक्षित रखा जाता है। पॉजिटिव बीमारी के बारे में बता दिया जाता है।
हालही में श्री हनुमान भक्त युवा समिति के सदस्य कोरोना वायरस बीमारी ऐसी विषम परिस्थिति में भी रक्तदान के कार्य पर लगे रहे समिति द्वारा ब्लड डोनेशन कैम्पों व जरूरत मंद मरीजो के लिए प्रतिवर्ष लगभग 350-400 यूनिट ब्लड उपलब्ध करते आ रहे इस नेक कार्य के समिति उन सभी रक्तवीरो व सहयोगियो का ह्रदय से आभार व्यक्त करती है जो समय समय पर निःस्वर्थ भाव से अपना अमूल्य रक्त दान करते है साथ ही इस पावन दिवस की शुभकामनाएं...
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