जोंगरा गांव के किसान श्री सुदर्शन पहले अपने परिवार के पालन पोषण के लिए केवल मजदूरी पर निर्भर थे। अब वन भूमि अधिकार अधिनियम के तहत पट्टा
मिलने पर वह वन भूमि में मेहनत करके वहां खेत बना लिया है। वह इस भूमि पर अनाज और सब्जी भाजी की फसल उगा रहा है इससे उनकी आमदनी भी बढ़ गई है।
इसी गांव के खुशी राम सिदार, पराउराम उरांव, गंगाराम और झंगल को भी वन भू अधिकार अधिनियम के तहत पट्टा और भूमि का मालिकाना हक मिल गया है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ गये है। इन हितग्राहियों द्वारा पट्टे वाली पठारी भूमि पर मेहनत करके खेत बना लिया गया हैं। स्वयं की सिंचाई व्यवस्था से वह अपनी भूमि पर दो फसल ले रहे हैं। इसी गांव के संगनेश्वर को वन अधिकार मान्यता कानून के तहत दो एकड़ का पट्टा मिला है। पहले उनके पास जमीन नही थी। अब वह धान व सब्जी उगाकर अपने परिवार का बेहतर ढंग से पालन-पोषण कर रहे है।
राज्य सरकार की वन अधिकार मान्यता कानून के तहत भूमि का मालिकाना हक मिलने से गांव के हितग्राही परिवारों में खुशी का माहौल है।
*नरेंद्र कुमार के साथ लक्ष्मी महंत की रिपोर्ट बम्हनीडिह जिला जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़*
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