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Thursday, March 4, 2021

वेदोपनिषद का सार है भागवत कथा - शीतल द्विवेदी

 



अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट 


चाम्पा -- श्रीमद्भागवत कधा महापुराण के श्रवण से प्रत्येक जीव को एक हज़ार से अधिक अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य मिलता हैं। गंगा इत्यादि पवित्र नदियों और संगम में स्नान करने से भी ज्यादा पुण्य श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति को मिलता है! वेद उपनिषद का सारतत्व भागवत कथा में हैं। कलयुग में जो मनुष्य पाप , दूराचारी और नशाखोरी में लगा हुआ है ऐसा व्यक्ति भी अगर चिंतन-मंथन करते हुये ध्यान से सात दिनों तक कथा को सुनता है और प्रण करता है कि अब से मैं पाप कार्य नही करुंगा तो वह सब प्रकार के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। वैसे तो इस नश्वर संसार की भौतिकता के मोह-माया को छोड़कर सब मनुष्य को एक दिन ईश्वर के निकट जाना ही हैं। हर मनुष्य को चाहे वह कितना भी यथाशक्ति , सामर्थ्य और श्रद्धा भाव रखता है और श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कर श्रवण करता हैं , उसे भगवान श्रीकृष्ण मोक्ष प्रदान करते हैं।

        उक्त बातें धार्मिक नगरी चाम्पा के रहसबेड़ा प्रांगण में संगीतमयी श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ कथा के अंतिम दिवस गुरूवार को भागवताचार्य पं० शीतल द्विवेदी ने कही। इस कथा का आयोजन संजय पाठक/ श्रीमति श्रुति पाठक परिवार ने कोरोना वायरस निवारणार्थ और विश्व शांति कल्याण की भावना से करवाया है। श्रद्धालुओं को कथाश्रवण कराते हुये महाराजश्री ने बताया कि जिस घर-परिवार में श्रीमद्भागवत कथा होती हैं वह स्थान तीर्थ-स्वरूपमय हो जाता हैं। मनुष्य को धार्मिक स्थलों के भ्रमण करने के साथ साथ धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन और पठन-पाठन भी करना चाहिये। इससे मन ,वचन , कर्म और आचरण को शुद्धि मिलती है। मनुष्य को अपना विचार सदैव शुद्ध रखना भी चाहिये। श्रीमद्भागवत कथा के समापन अवसर पर महराजजी ने राजा परीक्षित की संक्षिप्त कथा के अलावा  सातों दिन की कथा का सार श्रोताओं को सुनाया। कथा समाप्ति के पूर्व समधुर भजन-कीर्तन ने लोगों को आह्लादित किया। परीक्षित मोक्ष के उपरांत विधिवत कथा का विश्राम हो गया। वहीं इस कथा के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शशिभूषण सोनी ने बताया कि रहसबेड़ा प्रांगण स्थित समलेश्वरी मंदिर के पास इस समय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के आयोजन से "सप्तदिवसीय भक्ति की धारा" बह रही थी जो कथा विसर्जन से समाप्त हो गई। सात दिनों तक की कथा में कथाव्यास ने भागवत महात्म्य , ध्रुव चरित्र , परीक्षित कथा , राजा बलि की कथा , कपिलोपाख्यान , शिव-पार्वती विवाह, प्रहलाद चरित्र, वामन अवतार, रामकथा, कृष्णजन्म, बाल लीला, कृष्ण की रासलीला, गोवर्धन पूजा , महारास एवं रूकमणी मंगल की कथा , सुदामा मित्रता की कथा सुनायी। भागवत कथा स्थल में प्रतिदिन प्रसंग के अनुसार भगवान की मनमोहक झाँकी भी निकाली जा रही थी। इनमें वामन अवतार , श्रीकृष्ण जन्म, कृष्ण सुदामा की मित्रता और रूखमणी विवाह प्रमुख था। सबसे ज्यादा आनंद भक्तों ने भगवान कृष्ण का जन्म और रूखमणी विवाह में उठाया। इस दौरान कथा स्थल वृंदावन में तब्दील हो गया था। भागवत में कृष्ण और रूखमणी विवाह के प्रसंग पर पंडाल में श्रद्धालुओं ने जमकर फूल बरसाये।कथा सुनने के लिये प्रतिदिन नगर सहित आसपास के लोग एवं जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में कथास्थल पहुँचते थे। सभी श्रद्धालुओं ने सातों दिन कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुये कथाश्रवण किया। कल गीता पाठ ,तुलसी वर्षा ,होम- हवन , सहस्त्रधारा का कार्यक्रम होगा।

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