बालोद - टूलकिट मामले को लेकर चल रहे भाजपा के विरोध प्रदर्शन के बीच पूर्व जिला पदाधिकारी और सक्रीय भाजपा महिला नेत्री पुष्पलता बघेल के एक व्हाट्सएप पोष्ट से पूरी पार्टी में हड़कंप मच गया है। दरअसल भाजपा नेताओं के ऊपर मामला दर्ज किए जाने के विरोध में थाना के सामने धरना प्रदर्शन के लिए अपने नाम के स्थान पर किसी अन्य को शामिल किए जाने का विरोध दर्ज करते हुए एक व्हाट्सएप ग्रुप में महिला नेत्री ने अपनी भावनाएं व्यक्त की है। उक्त पोष्ट में जिले की पूर्व पदाधिकारी ने भाजपा के जिलाध्यक्ष पर नाम हटाने का आरोप भी लगाया है। इस घटनाक्रम के बाद भाजपा के उस दावे का खोखलापन सामने आ गया है जिसमें वह दम भरकर कहती थी कि नारी के सम्मान में भाजपा मैदान में। दरअसल विगत दिनों पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह सहित वरिष्ठ भाजपा नेताओं के ऊपर मामला दर्ज किए जाने के विरोध में थाने के समक्ष धरना प्रदर्शन में भाजपा की महिला नेत्रियां दरकिनार कर दी गई। इस बात को लेकर पार्टी से जुड़ी महिलाओं में रोष देखा जा रहा है। दरकिनार करने से आक्रोशित भाजपा से जुड़ी महिलाओं ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पार्टी में महिलाओं की राजनीतिक भूमिका और पहल अहम है लेकिन आंतरिक कलह और गुटबाजी के कारण जिलें में महिलाओं को लेकर भ्रम के हालात पैदा किए जा रहे है। महिला नेत्रियों में गुस्सा इतना कि जिले की एक पूर्व महिला पदाधिकारी पुष्पलता बघेल ने तो व्हाट्सएप ग्रुप में यहां तक लिख दिया कि मेरा नाम था लेकिन जिलाध्यक्ष ने हटा दिया। भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्णकांत पवार पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने लिखा कि मंडल अध्यक्ष ने मुझे शामिल किया था। लेकिन जिलाध्यक्ष के द्वारा प्रदेशभर में किसी महिला को नही रखा जाना बताकर मेरे स्थान पर किसी पुरुष को रखने के लिए कहा गया। उक्त महिला पदाधिकारी का कहना है कि अन्य एक मंडल में महिला को रखा गया। ऐसे में जिले के 14 थाना के समक्ष धरना प्रदर्शन के लिए महिलाओं को परे रखते हुए 70 नामो में केवल एक महिला को शामिल किया जाना एक विचारणीय प्रश्न है। पूरे घटनाक्रम के बाद पार्टी की महिलाओं के अलावा वरिष्ठ भाजपाजनों का कहना है कि महिलाओं को लेकर जिलें में भाजपा के भीतर जो भ्रम पैदा किया जा रहा यदि उससे बाहर निकलने का रास्ता नहीं खोजा गया तो 2023 की संभावनाओं पर बड़ा दुष्प्रभाव देखने को मिल सकता है।
● युवाओं को लेकर भी भ्रम में भाजपा ●
जिलें के अंदर भाजपा में जमकर चल रही गुटबाजी का ही नतीजा है कि अब तक महिला मोर्चा और युवा मोर्चा की कार्यकारिणी घोषित नहीं हो पाई है, क्योंकि हर एक बड़ा नेता अपनों को इन दो महत्वपूर्ण मोर्चा में पद दिलवाना चाहता है। पार्टी सूत्रों की मानें तो इससे पहले कभी इतनी देरी नहीं हुई। यह देरी पार्टी से जुड़ी महिला और युवा कार्यकर्ताओं में निराशा पैदा कर रही है। भले ही रणनीति के मामले में भाजपा सबसे तेज पार्टी मानी जाती है, लेकिन संगठन में पदों के गठन से ज्यादा जिले में मनमानी भारी है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि लगभग तीन माह का समय होने के बाद भी पार्टी की रीढ़ माने जाने वाली युवा मोर्चा और महिला मोर्चा की कार्यकारणी घोषित नही की जा सकी है।
● निर्णायक पदों पर महिलाओं से दूरी ●
कहने को तो संगठन में एक तिहाई पद महिलाओं को मिलता है। मंडल से लेकर प्रदेश तक में यह व्यवस्था लागू है। लेकिन जिलें में निर्णायक पदों पर पुरुषों का ही दबदबा है। भाजपा में महिला कार्यकर्ताओं की अच्छी खासी संख्या है, लेकिन संगठन में उन्हें पुरुष नेताओं की तरह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से दूर रखा गया हैं। जिलाध्यक्ष और महामंत्री तो बड़ी चीज है, मंडल का नेतृत्व भी महिला कार्यकर्ताओं की पहुंच से काफी दूर है। इस समय जिलाध्यक्ष, महामंत्री, कोषाध्यक्ष और 9 संगठनात्मक मंडल पुरुषों के हवाले हैं।
● पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण ●
नारी शक्ति को आगे बढ़ाने के लिए अलग से महिला मोर्चा भी बनाया गया है, लेकिन मुख्य टीम में भी इनकी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। पार्टी नेतृत्व को यह खयाल रखना होगा कि जिले में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है और किसी भी पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इन्हें अपने साथ जोड़ने के लिए पार्टी की गतिविधियों में महिलाओं को शामिल किए जाने की जरूरत है।
● गिरफ्तारी देनी थी इसलिए महिलाओं को नही रखा ●
व्हाट्सएप ग्रुप में पूर्व जिला पदाधिकारी और महिला नेत्री द्वारा किए पोष्ट और महिला मोर्चा, युवा मोर्चा जिला कार्यकारिणी के गठन में विलंब को लेकर भाजपा के जिलाध्यक्ष कृष्णकांत पवार से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्होंने किसी का नाम नही हटवाया है। गिरफ्तारी देनी थी इसलिए महिलाओं को नही रखा गया। एक महिला से बात करने के बाद धरना प्रदर्शन में शामिल किया गया था। महिला मोर्चा और युवा मोर्चा का गठन दो-चार दिनों में कर दिया जाएगा।
सी.एन.आई. न्यूज़ के लिए दल्ली राजहरा से प्रदीप सहारे की रिपोर्ट
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