साल्हेवारा/कवर्धा कबीरधाम जिले में खारा हो याा लोहारा अथवा साल्हेवारा । यहां के जंगलोंं मे तस्कर सरेआम चला रहे पेड़ों पर आरा । वन विभाग बना बैठा है बेचारा। खारा लोहारा और साल्हेवारा के जंगलों में इमारती लकड़ियोंं को धड़ल्ले से न सिर्फ काटा जा रहा है, बल्कि उन्हें जंगलों में जला दिया जा रहा है । यहांंं हम आपको यह भी बता दें कि कवर्धा वन मंत्री मोहम्मद काा विधानसभा क्षेत्र्र है ऐसे में प्र्रदेश के बाकी वनों की हालत आप आसानी सेेेे समझ सकते हैं
वनमण्डल के बोड़ला, पंडरिया और सहसपुर लोहारा विकासखंड के वन परिक्षेत्र में इन दिनों बड़ी संख्या में ईंट भट्टों में जंगल के पेड़ों को काट कर भट्टों में जलाते है भट्टों के मालिक ।
किस अधिकारी का सरक्षण है ईंट के भट्टों के मालिकों को ? क्या यह जानकारी बीट गार्ड को पता नहीं है कि उसकी बीट से कौन सा पेड़ काटा गया है? पहाड़ व वनों की ऊंचाई अधिक होने के कारण वन विभाग के अधिकारी मुख्यालय से रेंज में महीनों नहीं आते है।
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि एक तरफ हर साल पेड़ लगाओ का नारा लगता है । वन विभाग और कुछ लालची अधिकारी, व कर्मचारियों के कारण पेड़ों को काटकर अलग अलग आरा से किया जा रहा है। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि यह बारिश के दिनों में खुलेआम गिरे पेडों को रेंज में जमा करने के बजाए।
ठूंठ बयान कर रहे अधिकारियों का झूठ
इन तीनों रेंज में देखे जा सकते है । पेड़ों में ठूंठ और जमीन पर बिना पत्तों की डंगाल नजर आती है। बावजूद इसके बावजूद इसके वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी इसे रोकने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठा रहे है। जंगलों में वनस्पतियां बड़ी तेजी से नष्ट होती जा रही है।
बीते कुछ सालों से बोड़ला, लोहारा, पंडरिया, कोदवागोडान , घानीखुटा , बन्दौरा ,जहरा नवगांव, घोठला, बोककरखार , तरेगॉव ,देवसरा अंचलों में बारिश और तेज हवा के चलते वनों और वनस्पतियों को काफी नुकसान हो रहा है। वनवासी अंचलों में जहां तहां उनके ईंटो के ठेकेदार दिखाई देने लगे है।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही अधिकारी ऐसे लोगों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो आने वाले कुछ वर्षों में वन और वनस्पतियां नष्ट हो जाएगी।
रेंज मुख्यालय में नही रहते अधिकारी
वन विभाग के रेंजर डिप्टी रेंजर व वनरक्षक मुख्यालय में निवास नही करते जिसके चलते अंचल के लोगों को कभी भी इन अधिकारियों की सक्रियता जंगलों की सुरक्षा के लिए दिखाई नहीं देती। इसी का फायदा उठाते हुए ईंट बनाने वाले मालिक वनांचल में अपने लिए कुछ एजेंट जमाना प्रारंभ कर दिया है। वनांचलवासी जब इसका विरोध करते हैं तो उनके द्वारा भी धौंस जमाते हुए विवाद करने पर उतारू हो जाते हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं वन विभाग के कर्मियों का इन्हें संरक्षण प्राप्त है। इसके कारण बेखौफ होकर जंगलों में घुसकर पेड़ पौधों को काटकर ईंटों के भट्टों मे खपाने पेडों को नष्ट कर रहे हैं।
अब जरा यह भी जान लें
खारा, रेगाखार, सहसपुर लोहरा को दो विभाग वन विभाग व वनविकास निगम का संरक्षण प्राप्त है। यदि ग्रामीणों के द्वारा अधिकारी से शिकायत करते हैं तो वन विभाग के अधिकारी वनविकास निगम का क्षेत्र में आता हैं और वनविकास निगम वनविभाग का क्षेत्र आता हैं करके अपना पल्ला झाड़ लेते हैं जिसका लाभ पूरे तरह से लकड़ी माफियाओं को होता है ।
क्या कहते हैं डीएफओ
कवर्धा डीएफओ दिलराज प्रभाकर ने कहा कि वह सपरिवार क्वारंटीन हैं। वे समय-समय पर अपने मातहतों से इसकी सूचनाएं लेते रहते हैं। जहां कहीं भी पेड़ काटने या किसी भी तरह की गड़बड़ी की कोई शिकायत मिलती है। उस पर तत्काल कार्यवाही की जाती है । और उसकी रिपोर्ट भी खुद डीएफओ दिलराज प्रभाकर देखते हैं।
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