उपरोक्त विषयानुसार सविनय कथन है कि सम्पूर्ण विश्व के साथ ही भारत वर्ष भी विगत् 2 वर्षों से कोरोना महामारी के गहन संकट से गुजर रहा है, जिससे छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं है। पूरे भारत में अर्थव्यवस्था चरमरा सी गई है। लोगों के व्यवसाय बहुत ज्यादा प्रभावित हो गये हैं, नौकरियाँ चली गई हैं और अर्थ संकट खड़ा हो गया है।
सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हो रही है जिन्होंने ऋण लिया है और ऋण की रकम खर्च कर/निवेश कर चुके हैं किन्तु उस निवेशित रकम की वापसी सुनिश्चित नहीं हो पा रही है। येन-केन-प्रकारेण जीवन यापन कर रहे लोगों पर ई.एम.आई./ब्याज की राशि का भारी दबाव है और आपदा में अवसर की तलाश कर रहे बैंक वसूली गिरोहों की मदद से ऋणी को डरा धमका रहे हैं और शीघ्र रकम जमा करने का अनावश्यक दबाव बना रहे हैं।
कोरोनाकाल में यूँ भी लोग त्रस्त हैं, महँगाई के इस दौर में घर चलाना दूभर होता जा रहा है और बैंक प्रबंधनों द्वारा गुण्डों/बदमाशों के मार्फत वसूली करने का यह प्रयास घोर निंदनीय है। इस संकट के समय ऋणी व्यक्ति आक्रोश में कोई भी कदम उठा सकता है और कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है, ऐसा करना प्रबंधन को शोभा नहीं देता है।
हम इस ज्ञापन के माध्यम से वित्त मंत्री / गर्वनर रिजर्व बैंक का ध्यान इस ओर आकर्षित कराते हुए कहना चाहते हैं कि ई.एम.आई./ब्याज वसूली पर यह दबाव तत्काल बंद हो और ऋणी व्यक्ति को राहत - दिये जाने के बजाय इस प्रकार की कार्यवाही करना बैंक प्रबंधनों की दादागिरी है। इसे तत्काल रोका जावे अन्यथा हम ऋणियों के साथ मिलकर इस वसूली काण्ड का भरपूर तरीके से जवाब देंगे जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी बैंक प्रबंधन पर होगी। साथ ही वसूली गिरोहों की सूचना पुलिस प्रशासन को दिये जाने पर कार्यवाही न होने पर हम प्रत्यक्ष कार्यवाही करेंगे। जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी बैंक प्रबंधन/प्रशासन पर होगी।
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.