जनप्रतिनिधियों की अनदेखी का दंश झेल रहा है आदिवासी तहसील बिरसा,बैहर।कर्नल बघेल
बिरसा । सालेटेकरी।कॉपर नगरी से मशहूर मलाजखंड, बिरसा और बैहर आज अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा रहा है।वजह है यहां पर आए बड़े बड़े नेताओं ने तो घोषणाएं तो बहुत किया मगर उस पर अमल नही हो सका।बैहर को जिला बनाने के लिए क्षेत्र की जनता विगत कई वर्षों से संघर्ष कर रही है लेकिन मजाल है कि कोई माई का लाल (जनप्रतिनिधि) इस संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिये कंधा दिया हो।क्या नही है बैहर, मलाजखंड और बिरसा में।अपने गुणवत्ता के लिए मशहूर मलाजखंड माइंस का तांबा हो या कई जड़ी बूटियां व कीमती पौधों से परिपूर्ण जंगल।सब है यहां मगर बैहर को जिला बनाने व इसको सहेजने वाला शायद कोई नही है।इसी लिए यहां की जनता ने बैहर को जिला बनाओ नामक संघर्ष समिति भी बना रखा है।लेकिन आम जनता की सुनता कौन है।जब बड़े बड़े नेता अपने वादों से मुकर गए तो बाकियों का क्या कहना?बैहर को जिला बनाने के लिए बिरसा तहसील के भूतपूर्व कर्नल सदन लाल बघेल ने आमजन से इस संघर्ष को और मजबूत करने की अपील किया है जिससे बैहर निवासियों की गूंज भोपाल से लेकर दिल्ली तक पहुंचे,तो शायद वहां पर बैठे नेताओ को अपना वादा भी याद आ जाये।बैहर जिला बनने से यहां पर निवासरत आमजन को समय व धन दोनों का बचत होगा।
*रेल लाइन बिछाने की मांग*
बिरसा,बैहर व परसवाड़ा तहसील आदिवासी बहुल है।इस क्षेत्र में निवासरत आदिवासी समुदाय अपने भोलेभाले पन के लिए जाना जाता है।शायद इसी का फायदा उठाते आ रहे है यहां के राजनीतिक दल।क्योंकि जब जब चुनाव का समय आता है तब तब यहां के नेताओ को यहां की जनता याद आती है।अपनी चिकनी चुपडी बातों में फंसाकर बड़े बड़े वादे कर जाते हैं।उसी वादों में से एक वादा रेल लाइन बिछाने का भी है।समय समय पर मलाजखंड तक रेल लाइन की मांग आमजन के द्वारा किया जाता रहा है और ये मांग जायज भी है।क्योंकि मलाजखंड माइंस से निकलने वाला तांबा और डस्ट को परिवहन हेतु प्राइवेट वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे प्राप्त धन सीधे वाहन मालिकों के जेब मे जाता है जो सीधे सीधे शासन को ही चुना लग रहा है।श्री बघेल ने बताया कि अगर मलाजखंड तक रेललाइन की सुविधा हो जाये तो आम जन के साथ साथ सरकार को भी बहुत फायदा होगा।आमजन को अभी बालाघाट और जबलपुर जाने के लिए बहुत सारा समय व धन खर्च करना पड़ता है जो रेललाइन की सुविधा हो जाने से सबकी बचत होगी।अब देखना यह होगा कि शासन इस ओर कब ध्यान देती है।
*सोनगुड्डा को उपतहसील बनाने की मांग*
अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र सोन गुड्डा को विगत कई वर्षों से उपतहसील बनाने की मांग की जा रही है।जिस पर शासन प्रशासन कोई ध्यान नही दे रहा है।इस पर भूतपूर्व कर्नल सदन लाल बघेल ने विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए बताया कि चूंकि सोनगुड्डा अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के साथ बैगा जनजाति व आदिवासी बहुल भी है जिस कारण से यहां पर निवास करने वाले सीधे साधे आदिवासी समाज मुख्यधारा से जुड़ने में पिछड़ रहा है।अगर सोनगुड्डा को उपतहसील बना दिया जाता है तो क्षेत्र में निवासरत आदिवासियों को अपने कार्य हेतु ज्यादा लंबा भटकना नही पड़ेगा।
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.